इन दिनों भूमि अधिग्रहण को लेकर हरियाणा में हंगामा बरपा हुआ है. जब देखो भूमि अधिग्रहण मामले पर सरकार अपनी सफाई देती नजर आती है तो मौका मिलते ही विपक्ष हमला बोल देता है. कहने का अर्थ यह है की सरकार कभी कोई सेक्टर, कभी एसइजेड तो कभी कोई सरकारी उपक्रम लगाने के लिए भूमि पर भूमि अधिग्रहण किये जा रही है और विपक्ष शोर मचाये जा रहा है. जबकि हल है की कुछ भी निकल कर सामने नहीं आ रहा है. या यह भी कह सकते है की अभी इस मामले में अपनी-अपनी रोटियाँ सेंक रहे है. इस मामले का कोई हल नहीं निकलता देख अब तो किसान भी पूछने लगा है की आप सब बुद्धिजीवी एक बात बताओ आखिर हमारी गलती क्या है.
अब देखो ना गोरखपुर गाँव के किसान वही सब कह रहे हैं जो सरकार कहती है. सरकार कहती है कि किसी भी इंडस्ट्री के लिए उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा, किसान भी तो यही कह रहें हैं कि उनकी भूमि बेहद उपजाऊ है. बुद्धिजीवी व वैज्ञानिक कहते हैं कि परमाणु बिजली संयंत्र घनी आबादी वाले क्षेत्र में नहीं लगाना चाहिए, वो भी तो यही कह रहे हैं कि उनका क्षेत्र (फतेहाबाद, हिसार, सिरसा जिले आदि) घनी आबादी वाला है. नेता-अफसर सब कहते हैं कि विरोध प्रदर्शन शांति पूर्वक (लोकतांत्रिक) तरीके से होना चाहिए, पिछले आठ महीनों से हम वही तो कर रहें हैं.
फतेहाबाद डी सी ऑफिस के सामने किसान शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं. इस दौरान दो किसान (भागुराम व राम कुमार ) काल का ग्रास बन चुके है. मगर सरकार है कि सुनती ही नहीं है. जापान की त्रासदी के बाद तो परमाणु संयंत्र के खतरे से आम आदमी भी वाकिफ हो चुका है. अब आप ही बताओ की किसानो की गलती क्या है? ये लोग कब तक अपना कामकाज छोड़कर यहाँ धरने पर बैठे रहें. जनता इनका साथ नहीं दे रही और शासन-प्रशासन को कुछ सुनता नहीं. बावजूद इसके जब ये लोग भी जाट समुदाय की तर्ज पर रास्ते जाम करेंगे, रेलवे ट्रैक जाम करेंगे तो सभी इनको गलत बताएँगे.
ऐसे में इन किसानो का कहना है की इतना सब होने के बाद पुलिस मामले दर्ज करेगी और जेल में बंद कर देगी. हथियार उठाएंगे तो हमें नक्सली बताकर गोली मार दी जायेगी. हमारी जमीन, रोजी-रोटी कैसे बचे? आप ही कोई रास्ता सुझाएँ, आप फिर भी बुद्धिजीवी हैं.
1 आपकी गुफ्तगू:
सरकार के पास सही दृष्टि और सुविचारित योजना का अभाव है.
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