दिल को एक तसल्ली सी मिली की शायद मेरा यह छोटा सा प्रदेश जल्द ही भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनने वाला है. लेकिन यह क्या अभी यह समाचार पढ़ें कुछ समय ही हुआ था की मुझे एक परिचित मिला. हालचाल जानने के बाद मैंने उनसे पूछ ही लिया की आज कल कहाँ हो. उन्होंने तपाक से जवाब दिया की कुछ मत पूछ यार, धक्के खा रहा हूँ. मैंने पूछा की भाई ऐसी क्या बात हो गई. अच्छी भली सरकारी नौकरी है, परेशानी क्या है. उसने कहा की कुछ नहीं यार हिसार से तबादला हो गया था उसे रुकवा कर आया हूँ. प्रदेश के जन स्वास्थ्य विभाग में 450 जे. ई. कार्यरत्त है, जिनमे से 250 के तबादले एक महीने के अन्दर कर दिए गए. ऐसा नहीं है की ऐसा सिर्फ जे. ई. के साथ किया गया हो. एस.डी.ओ. के साथ भी ऐसा ही हुआ है.
मैंने अचरज भरे लहजे में कह ही दिया की इसमें क्या बात है यार, तबादले तो होते ही रहते है. अरे नहीं यार ऐसा नहीं जो तुम सोच रहे हो. यह कोई आई.ए.एस. या आई.पी.एस. के तबादले थोड़े ही है जो प्रदेश की प्रशासनिक व् सुरक्षा व्यवस्था सुचारू बनाने के लिए किये गए हो. सब पैसे खाने का चक्कर है. अब कोई तबादला रुकवाने के लिए पैसे देगा तो कोई मनपसंद स्थान पर तबादला करवाने के नाम पर. बस इन तबादलों के पीछे मकसद एक ही होता है की पैसा एकत्रित करना है. जितने ज्यादा तबादले उतना ज्यादा धन. अब तुम ही बताओ की 450 जे.ई. में से एक साथ 250 के तबादले करना क्या मामूली बात लगती है. ऐसा कौन सा काम रुका पड़ा था जो तबादले करने से शुरू हो जायेगा.
बात कुछ-कुछ समझ में आने लगी. लेकिन साथ ही मुख्यमंत्री का ब्यान भी दिमाग की चक्करी काट रहा था. लग रहा था की यार तबादले से सहम कर ऐसा कह रहा है तो दिल कह रहा था की जब सरकारी मंत्री ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देंगे तो मुख्यमंत्री क्या कर सकते है. दिमाग की बत्ती जली और समझ में आया की आखिर आदेश जारी तो मंत्री जी ने ही किये है, और तबादला रोकने के आदेश भी मंत्री जी को ही करने है. इसका मतलब कुछ न कुछ तो मकसद है, इन तबादलों के पीछे. कहीं ऐसा तो नहीं की तबादले के नाम पर निचे से ऊपर तक पैसा खाया जाना हो. जिसकी जहा तक पहुँच है वो वहीँ से अपना तबादला रुकवाने की कोशिश करेगा या फिर मनपसंद स्थान पर करवाने की. बस फिर क्या था दिल से बरबस ही आवाज निकल पड़ी की वाह रे वाह मंत्री जी.
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