शायद यह मेरा भारत के पूर्व राष्ट्रपति ऐ पी जे अब्दुल कलाम के प्रति अपार प्रेम ही था की आज जब मेरी नज़र सड़क किनारे लगे एक होर्डिंग पर पड़ी तो सहसा रुक गया और होर्डिंग पर लिखे कुछ शब्द पढने लगा लेकिन मैं पढ़ते पढ़ते गंभीर हो गया । बोर्ड पर लिखा था की वोट जरुर डालिए पर दिल से नही दिमाग से । लेकिन मैं विनम्र हो कर श्री कलाम से यह पूछना चाहता हूँ की भारत में आप ही एक ऐसा राजनितिक दल या नेता बता दे जिसको मैं अपना कीमती वोट दे सकूँ । मैं उनके कहे अनुसार वोट तो जरुर डालूँगा लेकिन अगर उनकी बात मान भी लूँ की दिमाग से डालो तो सबसे पहले तो मैं यह देंखू की मेरे वोट डालने से देश का प्रधानमंत्री कौन बनेगा । वह जो सोनिया गाँधी के हाथ की कठपुतली है या वह जिसको चुनाव के समीप आते ही भगवन राम की याद सताने लगी या फिर वो जो कुर्सी प्रेम में इतने अंधे हो गए है की जनता की सुध भूल कर आपस में लड़ रहे है । एक बार तो मैं यह बात न भी मानू की देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस अध्यक्ष के हाथो की कठपुतली है लेकिन मैं बड़ों की कही उस बात से भी किनारा नही कर सकता की जहा से धुआ उठता है आग तो जरुर लगी होती है । जबकि कांग्रेस के साथियों सहित अन्य राजनितिक दलों का हाल तो हाल ही में सब ने देखा ।
अब तो दिल ही काम आएगा
अब आप ही बताये जब दिमाग काम करना छोड़ दे तो क्या किया जाए । दिल की बात मान ली जाए या नेताओ से यह पूछा जाए की आखिर अब आप ही बता दे की हम आपको वोट क्यो दे । आज जो नेता गली गली, घर घर वोट मांगता दिखाई दे रहा है वो जीतने के बाद 5 साल कहा रहता है । कहने का अर्थ यह है की सभी नेता एक ही थाली के चट्टे बट्टे दिखाई देते है । किसी ने विकास के नाम पर कुछ नही किया तो कोई विकास कर नही सकता । तो कोई विकास करना ही नही चाहता । अगर वो विकास ही करवा देंगे तो आने चुनाव में मुद्दा क्या होगा ।
किल बनोगे या हथोडा
अब तो आपको ही विचार करना होगा की कलाम के कहे अनुसार आप दिल की सुनोगे या दिमाग से काम लोगे क्योकि दिल से काम लिया तो हो सकता है की आप को किल के रूप में इस्तेमाल किया जाए। क्योकि फिर तो आप नेताओ की बातो में आकर जहा वो कहेंगे बटन दबा देंगे । लेकिन अगर आपने दिमाग से काम किया तो आप द्वारा दबाया गया बटन हथोडे का काम करेगा ।
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आखिर किसको दे वोट और क्यो
लेबल: कांग्रेस, चुनावी गुफ्तगू, भाजपा, राजनितिक गुफ्तगू, सभी
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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