
मैं अन्ना के खिलाफ नहीं हूँ और ना ही उनकी मुहीम की मुखालफत कर रहा हूँ. उनसे कोई शिकायत भी नहीं है. गिला है तो बस आपसे. अन्ना के रंग में रंगने से ना तो यह देश सुधरने वाला है और ना देश से भ्रष्टाचार ही ख़त्म होगा. अन्ना ने आपसे सहयोग इसलिए माँगा है की देश से भ्रष्टाचार समाप्त किया जा सके. अगर आपको अन्ना का साथ देना है, अन्ना ही बनना है तो सबसे पहले तो रिश्वत देनी बंद करनी होगी. उसके बाद बात आती है भ्रष्टाचारियों की गिरफ्तारी की तो वो काम अन्ना का जन लोकपाल विधेयक करेगा. लेकिन आज जो कुछ हो रहा है वो अन्ना की सोच के विपरीत हो रहा है. सुबह हम किसी सरकारी कार्यालय में अपना काम रिश्वत देकर करवाते है और शाम होते-होते पहुँच जाते है अन्ना के मिशन का हिस्सा बनने.
जलसे-जलूस हो रहे है. पदयात्रा हो रही है. जगह-जगह कैंडल मार्च निकाले जा रहे है. कसमे-वादे लिए जा रहे है की जब तक यह मुहीम पूरी नहीं हो जाती हम अन्ना का साथ देंगे. लेकिन आज देश में एक भी ऐसा स्थान नहीं है जहाँ किसी ने यह वादा किया हो, यह कसम खाई हो की मैं भविष्य में रिश्वत नहीं दूंगा. रिश्वत लेने वाले की शिकायत करूँगा. बस एक भेड़चाल की तरह सब पीछे हो लिए अन्ना के. अगर सभी ऐसा सोच महात्मा गांधी के पीछे होते तो आज देश आजाद नहीं होता. अन्ना की मुहीम का हिस्सा बन हमको भी कुछ प्रण करना होगा. देश के लिए सोचना होगा, देश के लिए करना होगा. फिर यह कहना की हां मैं अन्ना के साथ हूँ, मैं भी अन्ना हूँ. अगर ऐसा नहीं कर सकते तो बंद कर दो यह झूठ की जमात.

इस विषय पर मैंने कई दिनों तक कई लोगो से गुफ्तगू की. नतीजा निकला की आज जो लोग अन्ना की मुहीम का हिस्सा बने हुए है वो कौन लोग है. नेता है, छात्र है, व्यापरी है, कर्मचारी है, मजदूर है, दूध वाला है, हलवाई है, रेहड़ी वाला है, पैट्रोल पम्प का मालिक है या फिर किसी का खुद का होटल है. इनमे से कौन रिश्वत नहीं लेता या कौन नहीं देता. जिसका जब वश चलता है तब रिश्वत लेता भी है और देता भी है. नेता है तो टिकट लेने के नाम पर रिश्वत देता है और गलती से कुर्सी मिल भी गई तो हर काम के लिए रिश्वत लेता भी है. छात्र है तो पहले दाखिले के लिए पैसे दो और फिर नौकरी के लिए. व्यापारी भी आज किसी से पीछे नहीं है. पहले अपना माल बेचने के लिए रिश्वत देता है और फिर फर्जी भुगतान के नाम पर पैसे लेता है.
पैट्रोल पम्प, दूध वाला मिलावट के लिए रिश्वत देते है तो हलवाई नकली माल बेचने के लिए. देश का दुर्भाग्य तो यह है की आज रेहड़ी वाले को रेहड़ी लगाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है. सुबह से लेकर शाम होते-होते इनमें हर कोई रिश्वत देता है और शाम को मैं अन्ना के साथ हूँ, मैं अन्ना हूँ कहते हुए पहुँच जाता है अन्ना के साथ. मुझे यह कहते हुए कोई शर्म नहीं की अगर यहीं असलियत है तो मैं अन्ना के साथ नहीं हूँ. क्योंकि मुझे आज रिश्वत देनी पड़ती है और शायद भविष्य में भी देनी पड़ेगी. अगर अन्ना का साथ देना है तो आओ कुछ ऐसा करें की कम से कम हमारे क्षेत्र में भविष्य में किसी को रिश्वत नहीं देनी पड़े. इसके लिए एक संगठन भी बनाया जा सकता है, जो रिश्वत लेने वाले अधिकारीयों से मिलकर जनता की समस्या हल करवाएं.
अगर हम ऐसा कुछ करते है तभी हम यह कह सकते है की मैं अन्ना के साथ हूँ, मैं अन्ना हूँ. वरना बंद कर दो झूठ बोलना. बावजूद इसके यह समझने की गलती मत करना की सरकार आपसे डर रही है. कांग्रेस और कांग्रेसियों की नींद तो इसलिए उड़ी हुई है की उसे अन्ना का लोकपाल विधेयक पास करना पड़ेगा. फिर भले ही कांग्रेस को इसके पीछे आपकी एकजुटता दिखाई दे रही ही लेकिन गुफ्तगू इस बात को लेकर हो रही है की सभी जानते है की यह अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा है.साथी ही साथ जनता से एक निवेदन भी करना चाहूँगा :-
कोई बस नहीं जलाई...
रेल की पटरी नहीं उखाड़ी...
जबरदस्ती दुकानें बंद नहीं करवाई...
मजदूरों के चूल्हे भी नहीं बुझने दिए...
चक्का जाम में फंसी किसी महिला के
सड़क पर बच्चे को जन्म देने की
कोई खबर भी नहीं आई...
पर वाह! क्या जबरदस्त आग लगाईं...
दिलों में जगी आग और उम्मीदों को
अब हम बुझने नहीं देंगे...
1 आपकी गुफ्तगू:
भाई लाल वाली लाईने तो सच में हकीकत बता रही है, एकदम सच, जिसे पढकर मंत्री के काफ़िलों को भी शर्म आनी चाहिए।
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