चुनाव की घंटी बजने के कारण चुनावी हलचल के साथ-साथ आपको नेताओ के लंबे-लंबे भाषणों का सामनाभीकरना पड़ेगा । इन सबके बीच जहा आपका ध्यान समाचार पत्रों की और खीचा जाएगा वही समाचार चैंनलभीअपनी ओर आकर्षित करने के लिए उन्ही समाचारों को सुर्खिया बना कर आपके बीच करेंगे । अगर आप किसीसेबात करोगे तो वो भी राजनीति पर । कहने का अर्थ यह है की कुल मिला कर सारा दिन वही कीच-कीच केबीचगुजर जाएगा । लेकिन शाम होते होते अगर एक चीज आपके दिल को शुकून पहुचायेगी तो वह यह कीआजआपके कानो में देशभक्ति से सराबोर किसी गाने के बोल अवश्य पड़े थे । जी हा, वही देशभक्ति के गीत जिनकेकुछबोल मात्र कानो में पड़ने से ही शरीर के रोम रोम में हलचल पैदा हो जाती है । इन गीतों का देश की आजादी मेंजहाअहम् रोल था वही आज भी देश की रक्षा करने वालो के लिए ये गीत मुख्य भूमिका अदा करते है ।
लेकिन यहाँ सोचने वाली बात यह है की देश सेवा करने के नाम पर राजनीति करने वाले इन नेताओ को पुरे 5 सालयह गीत याद नही आते लेकिन चुनाव के दिनों में ये लोग अपने लिए ऐसे ऐसे गीतों का चयन करते है की इनगीतोंको सुन बेवकूफ जनता उन्हें जयादा से जयादा वोट दे । यही देश भक्ति के गीत इन नेताओ की चुनावी रिक्शाकोआगे बढाते है तो चुनाव कार्यालयों में भी इन्ही गीतों की गूंज सुनाई देती है । लेकिन अब यह याद रखना कीजिनगीतों को सुन आपके रोम रोम में देश भक्ति हिचकोले खाने लगती उन्हें यह नेता चुनावो के बाद फिर से भुलादेंगे ।
चुनावो के समय ही क्यो सुनाई देते है भक्ति के गीत
लेबल: चुनावी गुफ्तगू, सभी
तड़का मार के

तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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यह गलत बात है

पूरे दिन में हम बहुत कुछ देखते है, सुनते है और समझते भी है. लेकिन मौके पर अक्सर चुप रह जाते है. लेकिन दिल को एक बात कचोटती रहती है की जो कुछ मैंने देखा वो गलत हो रहा था. इसी पर आधारित मेरा यह कॉलम...
* मौका भी - दस्तूर भी लेकिन...
* व्हीकल पर नाबालिग, नाबालिग की...
लडकियां, फैशन और संस्कृति

आज लडकियां ना होने की चाहत या फिर फैशन के चलते अक्सर लडकियां आँखों की किरकिरी नजर आती है. जरुरत है बदलाव की, फैसला आपको करना है की बदलेगा कौन...
* आरक्षण जरुरी की बेटियाँ
* मेरे घर आई नन्ही परी
* आखिर अब कौन बदलेगा
* फैशन में खो गई भारतीय संस्कृति
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