इनैलो छोडक़र कांग्रेस में शामिल हुए संपत सिंह को सत्ता सुख तो मिल गया है, लेकिन इनैलो सरकार में मिलने वाली तव्वजों से वह अब भी वंचित हैं। शायद इसीलिए चर्चा में बने रहने के लिए अलूल-जलूल बयान देते हैं और बाद में उसके लिए माफी मांग लेते हैं। आजकल संपत का यह बयान और फिर माफी मांगना गुफ्तगू का विषय बना हुआ है।
जहां पूरा देश अन्ना हजारे के समर्थन में सडक़ों पर उतर रहा है, वहीं संपत ने अन्ना की तुलना भिंडरवाला से कर दी। इस बयान से वह चर्चा में तो आ गए लेकिन आम जनता में उनके खिलाफ रोष पनप गया। यही कारण रहा कि उन्हें अगले दिन अपने बयान को लेकर माफी मांगनी पड़ी। यह पहली बार नहीं था। इससे पहले संपत सिंह जाट आरक्षण मुद्दे पर बयान देकर जाटों को भडक़ा चुके हैं। उन्हें बाद में जाट आरक्षण पर दिए बयान पर भी सफाई देनी पड़ी थी। अब कांग्रेस में शामिल होने से पहले संपत के मन में शायद ये ख्याल था कि उनकी वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें कांग्रेस सरकार में मंत्री पद जरूर मिलेगा। मगर, उनको कोई उच्च पद नहीं दिए जाने से उनके सारे ख्यालात हवा हो गए। उनकी पुरानी पार्टी के कुछ नेता तो ये मानते हैं कि जब भी सरकार में मंत्री का कोई पद खाली होता है, वह सक्रिय हो जाते हैं और इस तरह की बयानबाजी करते हैं।
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