कांग्रेस एक बड़ा परिवार है । और बड़े परिवारों में अक्सर नोक-झोक तो चलती ही रहती है । लेकिन समय आने पर सभी एक दुसरे का भरपूर सहयोग देते है । यह कांग्रेस के नेताओ के मुंह पर वो रटा-रटाया जुमला है जिसको आप कभी भी सुन सकते हो । फिर चाहे वो पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल हो या मौजूदा मुख्यमंत्री हुडा । और तो और सोनिया गाँधी भी यह कहने से नही चुकती । फिर भले ही भजनलाल अलग पार्टी बना ले या अन्य बड़े नेता किसी और पार्टी में शामिल हो जाए । अब हरियाणा की राजनीति को ही देख लो । कभी प्रदेश के वितमंत्री वीरेंदर सिंह मुख्यमंत्री से नाराज हो कर पार्टी छोड़ने की बात करते है तो कभी स्वयं मुख्यमंत्री । चलो जी किसी तरह चुनावो तक इस घमासान को विराम दे दिया गया है । लेकिन उसका
क्या जो बात ऊपर तक तो नही पहुँच रही लेकिन पार्टी में द्वंदयुद्ध जारी है । कोई नेता किसी प्रत्याशी से उचित दूरी बनाये हुए है तो कोई प्रचार से कन्नी काट रहा है । ऐसा नही है की यह सिर्फ़ हिसार ही हो रहा है । हाल ही में हुए हिसार के आदमपुर उपचुनाव के समय भी ऐसा ही कुछ हुआ था । जब ऊपर से टिकट लेकर आए रणजीत सिंह के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था । जहा सांसद जयप्रकाश उपचुनाव में रणजीत सिंह से उचित दुरी बनाये हुए थे वही विधायक व् जिलाध्यक्ष छत्रपाल भी चुनाव से कन्नी काट रहे थे । रणजीत सिंह ने काफी हो-हल्ला भी किया था । जगह जगह इस बात का प्रचार किया गया था की वो कांग्रेसियों की वजह से ही चुनाव हारे है । उन्होंने कहा था ऐसे नेताओ की एक लिस्ट ऊपर भेज दी गई है और जल्द इस पर कार्यवाही होगी । समय तो बीत गया लेकिन न कोई कार्यवाही हुई और न ही कोई उम्मीद है । इतना जरुर है की फिर वही इतिहास दोहराया जा रहा है । इन लोकसभा चुनावो में जहा पुनः जिलाध्यक्ष छत्रपाल हिसार जिले से गायब नजर आ रहे है वही रणजीत सिंह भी आदमपुर के कार्यकर्ताओ को ढूंढे से नही मिल रहे । ऐसे में यह मान लिया जाए की बड़े परिवारों में अक्सर कलह तो होती रहती है लेकिन कांग्रेस जैसे बड़े परिवार में कलह ख़त्म नही होती या फिर समय समय पर कांग्रेस ही कांग्रेस को हराती आई है ।
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