हिसार लोकसभा उपचुनाव की गहमागहमी हुए भले ही महीनों बीत गए हो लेकिन अब कहीं जाकर जनता को पता लगने लगा है की हां चुनाव आ गया है. सिर्फ इसलिए नहीं की मतदान की तिथि समीप आ गई है या चुनाव का शोर बढ़ गया है बल्कि इसलिए की चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जिसकी भरी गर्मी में बिजली नहीं होने से सांस फूली हुई थी. चोरी का आलम यह था की व्यापारियों को नहीं पता था की जो प्रतिष्ठान वो ठीक से बंद कर के जा रहा है वो सुबह स्वयं आकर खोलेगा या शटर के ताले चटके हुए मिलेंगे. बीते कुछ समय में नगर हुई हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ ने आम आदमी की नींद तक उचाट दी थी. पुलिस की हर कोशिश को नाकाम करते हुए चैन स्नेचर आये दिन महिलाओं की या तो चैन तोड़ कर रफूचक्कर हो जाते रहे है या फिर उनका पर्स उड़ा कर भाग जाते थे.
मगर जनता आज खुश है. उन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग करना है सिर्फ इसलिए नहीं, बल्कि उनकी ख़ुशी का मुख्य कारण है की आज शहर सहित जिले में जहाँ ना कोई अपराधिक वारदात हो रही है वहीँ महिलायें भी त्यौहार के दिनों में सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवागमन कर पा रही है. लोगो में गुफ्तगू हो रही है की जिन अपराधियों ने जनता का जीना दूभर कर दिया था आखिर आज वो किसके कहने मात्र से अपने मंसूबों को अंजाम नहीं दे रहे. एकाएक कहाँ गए सभी अपराधी. क्या उनको चुनाव के दिनों में कुछ और काम दे दिया गया है. ऐसा भी हो सकता है की हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई व् अनेक भाजपा नेता जो की पिछले दो सप्ताह से हिसार जिले में डेरा डाले हुए है उनके डर व् पुलिस की सक्रियता के चलते सभी अपराधी खामोश हो गए है.
अभी कुछ दिनों पूर्व जब मई रात को अपनी गली में घुसा तो गली का नजारा कुछ बदला-बदला सा नजर आया. टाक-झांक करने पर पता लगा की जिस गली की स्ट्रीट लाईट कई साल से बंद पड़ी थी आज वो जगमगा रही थी. दीवाली का समय है शायद इसलिए नगर निगम द्वारा ठीक करवा दी गई होगी यह सोच मैं घर के अन्दर चला गया. सुबह जैसे ही गली से गुजर रहा था तो गली की सड़क का वह हिस्सा मुझे खुदा हुआ मिला जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी की यह जल्दी से बनवा दिया जायेगा. आस-पड़ोस वालों ने खुश होते हुए बताया की रात को जेसीबी मशीन से इसको खोदा गया है और यहाँ सीमेंट की सड़क बनवाई जाएगी. अभी कुछ आगे ही चला था की ऐसा ही एक और नजारा देख मैं हतप्रद था. मुख्य सड़क पर आया तो कहीं रंग पुताई का कार्य चल रहा था तो कहीं-कहीं मरम्मत का काम जोर-शोर से जारी था.
इसका जिक्र मैंने अपने कुछ साथियों से किया. उन्होंने कहाँ की तुम पत्रकारों की यहीं कमी है. कोई काम हो रहा है तो होने दो, क्यों बात को बढाते हो. अब कहीं जाकर तो कुछ विकास के काम हो रहे है उसको भी क्या बंद करवा दोगे. जो मैं सोच रहा था उसने स्पष्ट कह दिया की जो काम बहुत पहले होने चाहिए थे वो आज चुनाव के दिनों में हो रहे है. इसका अर्थ यह हुआ की ऐसा नहीं है की शासन-प्रशासन को पता नहीं होता की कहा क्या कमी है, बस कमी है तो काम को अंजाम तक पहुंचाने की. जो काम आज हो रहे है अगर वो समय पर हो जाये तो सत्ता में रहते हुए ना मुख्यमंत्री को जिले में डेरा डालना पड़े और ना ही पूर्व मुख्यमंत्री को विकास की याद दिलानी पड़े. कुछ भी हो जनता खुश है और चाह रही है चुनाव पांच वर्ष में नहीं अपितु वर्ष में एक बार होने चाहिए, जिससे चुनाव की आड़ में वो जिंदगी के कुछ अच्छे पल गुजार सके.
1 आपकी गुफ्तगू:
कामना करें ईश्वर से स्वच्छ छवि वाले चुने जांय और ऐसी ही स्थिति कायम रहे…अच्छे विचार…
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