
बात यहीं पर ख़त्म नहीं हुई. भ्रष्टाचार के इस हवन में जनता की आहुति पाने के लिए बहुत सी सुविधाओं का सहारा लिया गया. किसी समर्थक ने जनता का समर्थन जुटाने के लिए वेबसाईट शुरू की तो किसी ने एसएम्एस का सहारा लिया. तो कुछ समर्थको ने टेलीफोन और मोबाइल कंपनियों से बात कर ऐसी सुविधा भी इजाद करवा ली की आप सिर्फ एक नंबर पर मिस कॉल करोगे और आपके पास एक सन्देश आएगा की इस आन्दोलन के समर्थन के लिए आपका धन्यवाद. कुल मिलकर कहने का भाव यह है की सभी का मकसद एक ही था की किसी भी तरह देश से भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाएँ. जनता भी खूब थी की हर सुविधा का उसने भरपूर साथ देते हुए अन्ना हजारे जी का खूब सहयोग किया.
माना की सभी चाहते है की देश से भ्रष्टाचार जड़ से ख़त्म हो जाये. शायद यहीं कारण था की जनता ने अन्ना हजारे के आन्दोलन की चहुँ ओर प्रसंशा की. बताते है की 125 करोड़ की आबादी वाले इस देश की 121 करोड़ की आबादी ने अन्ना हजारे के समर्थन में ई मेल, एसएम्एस या मिस कॉल की. किसी ने कुछ नहीं किया तो वो थे कुछ राजनीतिज्ञ. लेकिन अभी सवाल वहीँ का वहीँ. आखिर भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे का समर्थन करने वाले ये 121 करोड़ लोग कौन थे. मजदूर थे, व्यापारी थे, रिक्शा चलाने वाले थे, अधिकारी थे या नेता थे. वो जो भी थे, भले ही उन्होंने अन्ना हजारे की इस मुहीम का साथ दिया हो लेकिन उनमे से किसी ने भी भ्रष्टाचार ख़त्म करने का प्रयास नहीं किया.
सभी ने साथ दिया तो सिर्फ फोटो खिंचवाने, माला पहनाने, साथ बैठने या फिर समाचार पत्रों में नाम छपवाने के लिए. क्या 121 करोड़ लोगो में से कोई भी ऐसा नहीं था जो भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हो. क्या अन्ना हजारे की मुहीम में साथ चलने वालों में से कोई भी रिश्वत नहीं ले रहा. अगर 121 करोड़ की जनता आम है तो आज इस देश में रिश्वत कौन लेता है, भ्रष्ट कौन है. नहीं ऐसा कुछ नहीं है. आज सारी जनता पैसा कमाने के लिए भ्रष्ट है, लेकिन किसी ने भी अभी तक यह नहीं कहा की मै भविष्य में रिश्वत नहीं लूँगा या अगर मुझे भविष्य में कोई भ्रष्ट अधिकारी मिलता है तो मै उसके खिलाफ शिकायत करूँगा. तो क्या ऐसे में देश से भ्रष्टाचार समाप्त हो पायेगा. यह कोई और नहीं हमको ही सोचना है.
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