लोकसभा चुनावो के मद्देनज़र गठबंधन आज की जरुरत बन गया है । देश के सभी राजनितिक दल इस बात सेभलीभांति वाकिफ है । यही करण है की आज देश में बेमेल मिलन का दौर शुरू हो चुका है । जो प्रतिद्वंदी दल औरउनके नेता कल तक एक दुसरे को फूटी आँख नही सुहाते थे वो आज गले मिल रहे है । हरियाणा में इनलो-भाजपाऔर बिहार में लालू-पासवान का मिलन इस बात का उदहारण है । लेकिन हम कुछ नही कर सकते क्योकि सभीको राजनीति का इक्का जो बनना है जनता का क्या है । इसको तो जैसा कहेंगे वैसा ही मान लेंगी । लेकिन इससमय जो गठबंधन हो रहे है उस से इतना जरुर है की कांग्रेस इस समय हाशिये पर आ गई है । देश की सबसे बड़ीपार्टी होने का दावा कर रही कांग्रेस यह भूल गई है की वह कुर्सी पाने के चक्कर में बैकफुट पर जा रही है । विश्व कीसबसे बड़ी पंचायत में 543 सांसद है जिसमे से 200 से अधिक कांग्रेस के है । लेकिन वर्तमान परिदृश्य में जोगठबंधन हो रहे है उसमे सहयोगी दल अपना फायदा खोज रहे है । यही करण है की आगामी लोकसभा में कांग्रेस केसांसदों की संख्या कम होती नज़र आ रही है । वह बात अलग है की फिर भी कांग्रेस अपना प्रधानमंत्री बनाने मेंकामयाब रहे । लेकिन अगर गलती से भी कोई गलती हो गई और सहयोगी दल ने कुर्सी के लालच में कोई भी खेलखेल दिया तो कांग्रेस कही की नही रहेगी । ताज़ा राजनीति को देख फिलहाल तो यही देखने को मिल रहा है की देशमें राजनितिक संकट अपने चरम पर है । स्पष्ट देखा जा सकता है की सब पार्टियों का कोई न कोई नेता अपने कोइक्का साबित करने में जुटा है । अब आप ही देख लो की हरियाणा में कांग्रेस के 9 सांसद है लेकिन सट्टा बाज़ारअब 7 सीट ही कांग्रेस की दिखा रहा है । वही बिहार में भी लालू यादव और राम बिलास पासवान ने जो खेल खेला हैउससे भी कांग्रेस सकते मे है ।
साख खोती कांग्रेस
तड़का मार के

तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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यह गलत बात है

पूरे दिन में हम बहुत कुछ देखते है, सुनते है और समझते भी है. लेकिन मौके पर अक्सर चुप रह जाते है. लेकिन दिल को एक बात कचोटती रहती है की जो कुछ मैंने देखा वो गलत हो रहा था. इसी पर आधारित मेरा यह कॉलम...
* मौका भी - दस्तूर भी लेकिन...
* व्हीकल पर नाबालिग, नाबालिग की...
लडकियां, फैशन और संस्कृति

आज लडकियां ना होने की चाहत या फिर फैशन के चलते अक्सर लडकियां आँखों की किरकिरी नजर आती है. जरुरत है बदलाव की, फैसला आपको करना है की बदलेगा कौन...
* आरक्षण जरुरी की बेटियाँ
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* आखिर अब कौन बदलेगा
* फैशन में खो गई भारतीय संस्कृति
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