फैशन में खो गई भारतीय संस्कृति


फैशन क्या हुआ की आज हर किसी के सिर चढ़ कर बोल रहा है. बुजुर्ग हो या जवान भले ही फिर हो युवा. हर कोई फैशन की और खींचा चला जा रहा है. माना की आज युवा भारतीय संस्कृति में फल-फूल रहा है लेकिन आज वो साँसे फैशन की दुनिया में ले रहा है. मैं यहाँ यह नहीं कहना चाहता की फैशन को छोड़ देना चाहिए लेकिन अपनी संस्कृति को देखते हुए यह एक हद तक ही जायज है. कही ऐसा ना हो की एक दिन फैशन मेरे द्वारा कुछ दिनों पूर्व की गई गई मेरी गुफ्तगू को सच कर दे की फैशन की आड़ में मेरे देश की बहु-बेटिया लोगो की आँखों की किरकिरी बन जाये. वो गुफ्तगू पढने के लिए यहाँ क्लिक करे. तो यहाँ बात चल रही थी
फैशन की. तो उसकी तो बात भी चलती रहती है और फैशन भी चलता रहेगा. लेकिन उस फैशन के भोंडेपन जो अभी तक पेश कर रहा था वो था फैशन टीवी. लेकिन कुछ वैसा ही नजारा आज देश की मायानगरी मुंबई में भी देखने को मिला. अब फैशन का भोंडापण चल रहा हो तो माहौल में गर्माहट आना भी लाजमी है. लेकिन जब उसकी तस्वीरे बाहर आई तो सभी हैरान हो गए. एकबारगी तो ऐसा लगा की ऐसा भारत में नहीं हो सकता. या यह कहे की ऐसा भारत में नहीं होना चाहिए. लेकिन यह मायानगरी है भैया यहाँ फैशन मैं कुछ भी हो सकता है.

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1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हाँ जी नया जमाना है!
आजकल नंगापन फैसन बन गया है!

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तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

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यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

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आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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