क्या हाल है मित्र,
कैसे हो,
क्या कर रहे हो,
खुश तो हो ना,
ऐसा कुछ पूछने के लिए एसएम्एस नही किया है मैंने, इसलिए खुश होने की जरुरत नही है। मेरे एक दोस्त का जब मुझे यह एसएम्एस मिला तो मेरा दिमाग घुमा। मन में तरह-तरह के विचार आने लगे। तभी एक और एसएम्एस आया। उसमे लिखा था की क्या सोचने लगे। लगता है नाराज हो गए। अरे यार मैंने तो यह पूछने के लिए एसएम्एस किया था की बिजली है क्या। यहाँ सुबह से बिजली नही है। सोचा की दोस्तों को एसएम्एस कर पूछ लूँ की उनके यहाँ बिजली है क्या। और उसकी यह सफाई पढ़ मेरी हँसी छुट गई। सोचा की आम एसएम्एस है और मैंने कोई ध्यान नही दिया। मै भी बिजली की मार का मारा था इसलिए मैंने भी यह एसएम्एस अपने मित्रो को फोरवोर्ड कर दिया। यह एसएम्एस फॉरवर्ड किए 2 दिन हुए थे की पता लगा की बिजली की कमी को दर्शाते ऐसे सदेशो की भरमार आज बाजार में चर्चा का विषय बन गई है।
अब एक एसएम्एस ऐसा भी है जो हरियाणा के मुख्यमंत्री की घोषणाओ और प्रदेश को न. 1 बनने को करार जवाब देता है।
क्या आप जानते है की हरियाणा के लोगो की खुशी का राज क्या है।
हरियाणा देश का एक मात्र ऐसा प्रदेश है।
जहा की जनता हर 2 घंटे बाद खुशी मानती है।
ओये बिजली आ गई ओये।
जब मुझे मेरे एक पत्रकार साथी का यह एसएम्एस मिला तो बात कुछ कुछ दिमाग में आने लगी की लगता है इन एसएम्एस पर कुछ लिखा जा सकता है। बस मैं अपने काम में जुट गया और पाया की ये एसएम्एस कुछ तो जनता के दिमाग की उपज है लेकिन हरियाणा की विपक्षी पार्टिया भी सरकार की नकामिया गिनाने के लिए एसएम्एस वार में जुट गई है। और क्यो न जुटे हरियाणा के विधानसभा चुनाव जो सर पर है। लेकिन इस में कोई दोराय नही की आज हिसार की जनता ही नही प्रदेश की जनता बिजली के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है।
बिजली मार पर एसएम्एस वार
तड़का मार के

तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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यह गलत बात है

पूरे दिन में हम बहुत कुछ देखते है, सुनते है और समझते भी है. लेकिन मौके पर अक्सर चुप रह जाते है. लेकिन दिल को एक बात कचोटती रहती है की जो कुछ मैंने देखा वो गलत हो रहा था. इसी पर आधारित मेरा यह कॉलम...
* मौका भी - दस्तूर भी लेकिन...
* व्हीकल पर नाबालिग, नाबालिग की...
लडकियां, फैशन और संस्कृति

आज लडकियां ना होने की चाहत या फिर फैशन के चलते अक्सर लडकियां आँखों की किरकिरी नजर आती है. जरुरत है बदलाव की, फैसला आपको करना है की बदलेगा कौन...
* आरक्षण जरुरी की बेटियाँ
* मेरे घर आई नन्ही परी
* आखिर अब कौन बदलेगा
* फैशन में खो गई भारतीय संस्कृति
2 आपकी गुफ्तगू:
Meree 'kavita' pe comment ke liye shukriya..!
Kavita to mere jeevan ka behad chota hissa hai..!
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Baqqee blog links in me se kisee bhee blog pe mil jayenge! Jin me ruchee ho,zaroor padhen!khushee hogee..!Mai na to kavi hun,na lekhak!
Oh...ye kahna rah gaya,ki, aapka ye lekh bada mazedaar bhee laga aur ek halka fulka,phirbhee sanjeeda wyang bhee..
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