क्या बिच्छु और फेफडे रोक पाएंगे तम्बाकू का सेवन


आखिरकार देश के सर्वोच्च न्यालय ने वर्ल्ड नो टोबैको डे पर केन्द्र सरकार को नाकारा घोषित करते हुए तम्बाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को ही इनके पैकेट पर चित्र के जरिये चेतावनी देने का आदेश दिया है भले ही न्यालय ने कम्पनियों द्वारा पेश की गई आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया हो लेकिन इन आदेशो से इतना जरुर पता लगता है की 7 माह पूर्व देश में किसी भी सार्वजानिक स्थान पर धुम्रपान करने पर प्रतिबन्ध लगाने के बावजूद सरकार इसे सही से लागु नही कर पाई है बावजूद इसके अगर कोई व्यक्ति फिर भी धुम्रपान करता पाया गया तो उस पर कानूनन जुर्माना लगाने का प्रावधान भी रखा गया था लेकिन आज देश के कुछ हिस्सों को छोड़ प्रतिबन्ध तो दूर किसी पर जुर्माना तक नही लगाया गया है अब इसे प्रशासन की कमी बताया जाए या शासन की यह तो पता नही लेकिन इतना जरुर है की शायद मेरे देश में कानून टूटने के लिए ही बनता है यही कारण है की आज चाहे बस स्टैंड हो या रेलवे स्टेशन या कोर्ट कचहरी परिसर या फिर सरकारी अस्पताल सहित कोई निजी अस्पताल। धुम्रपान करने वालो की एक लम्बी लाइन लगी नजर आती है ऐसा नही है की यहाँ कोई सरकारी आदमी नही होता, बस होती है तो उसकी मज़बूरी की अगर कोई कुछ कर भी रहा है तो उसका क्या जाता है क्योंकि उसके विभागाध्यक्ष ने ऐसा कोई आदेश नही दिया हुआ की वो कोई जुर्माना कर सके
मजेदार बात तो यह है की उपरी आदेश आने के पश्चात् भी यह आदेश जिला उपायुक्त की मेज पर धुल फाक रहे है जबकि जिला स्तर पर अभी तक इस बारे में कोई सूचना जारी नही की गई है इतना जरुर है की सभी विभागाध्यक्षने सिर्फ़ अपने कार्यालय में नो स्मोकिंग का बोर्ड लगा कर अपनी ड्यूटी से इतिश्री कर ली है फिर चाहे तम्बाकू के पैकेट पर चेतावनी लगी हो या 40 फीसदी हिस्से पर बिच्छु और फेफडे का फोटो लगा हो जब तक सरकार और प्रशासन की और से कोई जागरूकता अभियान नही चलाया जाएगा तब तक जनता जागरूक नही होगी।

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शरद कोकास said...

भई यह तो लोगों को खुद ही सोचना होगा -शरद कोकास

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