हरियाणा मे नये समीकरण : इनेलो ने बसपा से मिलाया हाथ

चंडीगढ़ : इनेलो-बसपा के गठबंधन की चर्चा कुछ महीनों से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चल रही थी और इनेलो के नेता इस बारे में इशारा भी कर रहे थे। बीते महीने बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिन पर अभय चौटाला ने दिल्ली में उनसे मुलाकात कर शुभकामनाएं दी थी जिसके बाद चर्चाएं और ज्यादा तेज हो गई थी। इस विषय पर पूछे गए एक सवाल पर अभय चौटाला ने कहा था कि बसपा संस्थापक कांशी राम जी के साथ चौधरी देवीलाल के घनिष्ठ संबंध थे और अगर वे गठबंधन करेंगे तो डंके की चोट पर घोषणा के साथ करेंगे।
शायद यही कारण रहा की प्रदेश की राजनीति में नये सियासी समीकरणों को हवा देते हुए प्रमुख विपक्षी दल इनेलो व बहुजन समाज पार्टी ने आगामी चुनावों के लिए हाथ मिलाया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला, बसपा उत्तर भारत प्रभारी डा. मेघराज एवं प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश भारतीय ने यहां आयोजित पत्रकार सम्मेलन में समझौते की घोषणा की। फिलहाल समझौते की घोषणा की गई है लेकिन कौन दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, यह बाद में दोनों दलों के नेता बैठक करके तय करेंगे।
अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद इनेलो बसपा की बैसाखी के सहारे लोकसभा चुनाव में उतरने जा रही है। अभय चौटाला ने इस गठबंधन को तीसरे मोर्चे की नई शुरुआत बताया। उन्होंने कहा इस गठबंधन का अर्थ है कि अब किसान, दलित, पिछड़े और कमेरे वर्ग मिलकर नई पहचान बनायेंगे। गठबंधन के ऐलान के साथ ही उन्होंने 'हरियाणा की बनायेंगे नई पहचान-अब समय बदलाव का' नारा दिया।
बसपा का इनेलो से दूसरी बार गठबंधन हुआ है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में इनेलो व बसपा के बीच गठबंधन की बात कोई नई नहीं है। दोनों दलों के बीच 1998 में भी गठबंधन हुआ था और तब इनेलो-बसपा के बीच क्रमश: 6-4 लोकसभा सीटों पर समझौता हुआ था, यानि छह सीटों पर इनेलो व चार सीटों पर बसपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनेलो ने छह में से चार सीटें जीतीं थी, जबकि बसपा को चार में से सिर्फ एक सीट पर ही विजय हासिल हुई थी। इनेलो व बीजेपी में गठबंधन होने पर 1999 में इनेलो ने बीएसपी से किनारा कर लिया था।
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शायद यही कारण रहा की प्रदेश की राजनीति में नये सियासी समीकरणों को हवा देते हुए प्रमुख विपक्षी दल इनेलो व बहुजन समाज पार्टी ने आगामी चुनावों के लिए हाथ मिलाया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला, बसपा उत्तर भारत प्रभारी डा. मेघराज एवं प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश भारतीय ने यहां आयोजित पत्रकार सम्मेलन में समझौते की घोषणा की। फिलहाल समझौते की घोषणा की गई है लेकिन कौन दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, यह बाद में दोनों दलों के नेता बैठक करके तय करेंगे।
अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद इनेलो बसपा की बैसाखी के सहारे लोकसभा चुनाव में उतरने जा रही है। अभय चौटाला ने इस गठबंधन को तीसरे मोर्चे की नई शुरुआत बताया। उन्होंने कहा इस गठबंधन का अर्थ है कि अब किसान, दलित, पिछड़े और कमेरे वर्ग मिलकर नई पहचान बनायेंगे। गठबंधन के ऐलान के साथ ही उन्होंने 'हरियाणा की बनायेंगे नई पहचान-अब समय बदलाव का' नारा दिया।
बसपा का इनेलो से दूसरी बार गठबंधन हुआ है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में इनेलो व बसपा के बीच गठबंधन की बात कोई नई नहीं है। दोनों दलों के बीच 1998 में भी गठबंधन हुआ था और तब इनेलो-बसपा के बीच क्रमश: 6-4 लोकसभा सीटों पर समझौता हुआ था, यानि छह सीटों पर इनेलो व चार सीटों पर बसपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनेलो ने छह में से चार सीटें जीतीं थी, जबकि बसपा को चार में से सिर्फ एक सीट पर ही विजय हासिल हुई थी। इनेलो व बीजेपी में गठबंधन होने पर 1999 में इनेलो ने बीएसपी से किनारा कर लिया था।
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