3 वर्षों तक सिर्फ कागजों में दौड़ती रही डीसी साहब की इनोवा
हिसार (राजेश्वर बैनीवाल)। प्रदेश की मनोहर सरकार भले ही सिस्टम को भ्रष्टाचार मुक्त करने के दावे करती नहीं थकती, लेकिन उसी सरकार के सिस्टम को सरकार के ही अधिकारी
भ्रष्टाचार से खोखला करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा मामला फतेहाबाद की जिला आईटी सोसाइटी का है। जिला आईटी सोसाइटी (डीआईटीएस) का काम जिले के बीपीएल परिवारों और पंचायतों को डिजीटल साक्षर करने का था, लेकिन वो अपने भारी-भरकम फंड को इधर-उधर एडजस्ट करने में ही लगी रही। जिला आईटी सोसाइटी की पिछले तीन साल की आडिट रिपोर्ट में तो यही खुलासा हुआ है। मुख्यमंत्री तक शिकायत जाने के बाद मामले की जांच विजीलेंस को सौंपी गई है।
आडिट रिपोर्ट की मानें तो फतेहाबाद जिले में तीन वित्त वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 तक जितने भी डीसी आए, वो लगातार तीन वर्षों तक रोजाना 120 किलोमीटर इनोवा गाड़ी में घूमते रहे। इतना ही नहीं इन तीन वर्षों में आए सरकारी अवकाश और उनके निजी अवकाशों के दौरान भी ये इनोवा गाड़ी सड़कों पर दौड़ती रही। हां, ये बात अलग है कि जिले के किसी भी डीसी को स्थानीय लोगों या अधिकारियों ने इनोवा गाड़ी में निरीक्षण आदि पर जाते नहीं देखा। इसका सीधा सा मतलब है कि उनके लिए डीआईटीएस की इनोवा गाड़ी कागजों में ही दौड़ती रही और तीन साल में डीजल बिल की आड़ में सात लाख रुपए को ठिकाने लगा दिया गया।
हैरानी तो इस बात की है कि पिछले तीन साल में लगातार वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के बावजूद इस गड़बड़झाले को रोकने का किसी ने प्रयास तक नहीं किया। और तो और आडिट रिपोर्ट में भी इन अनियमितताओं को अनदेखा किया जाता रहा। पिछले तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट में जो सामने आया है, उसकी जानकारी देते हुए आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट सुशील बिश्नोई ने बताया कि वित्त वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक डीसी की इनोवा गाड़ी पर सात लाख का डीजल एवं रिपेयरिंग खर्च आया है। हैरानी की बात तो ये है कि पिछले एक साल में जिला आईटी सोसाइटी ने एक भी पंचायत को डिजीटल साक्षर करने के लिए एक कैंप तक नहीं लगाया।
जानकारी के अनुसार फतेहाबाद जिले में दो-तीन साल में अलग-अलग उपायुक्त कार्यरत रहे लेकिन एनके सोलंकी ही इन तीन सालों में अधिकतर समय फतेहाबाद के उपायुक्त पद पर रहे। मीडिया ने जब पूर्व डीसी सोलंकी से इस संदर्भ में बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया और फोन काट दिया। हालांकि जिला आईटी सोसाइटी के पिछले तीन साल के आडिट रिपोर्ट की एक प्रति भी है। ये इनोवा गाड़ी फिलहाल डीसी फतेहाबाद के निवास पर बने गैराज में बंद शटर के पार खड़ी है।
विजीलेंस को दी जांच : सुशील
एडवोकेट सुशील बिश्नोई के अनुसार उन्होंने पूरे गड़बड़झाले की शिकायत मुख्यमंत्री मनोहर लाल को की थी। मुख्यमंत्री ने शिकायत का अध्ययन करवाकर मामले की जांच का आश्वासन दिया था। अब उन्हें पता चला है कि मामले की जांच विजीलेंस को दे दी गई है। उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है ताकि भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसी जा सके।
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भ्रष्टाचार से खोखला करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा मामला फतेहाबाद की जिला आईटी सोसाइटी का है। जिला आईटी सोसाइटी (डीआईटीएस) का काम जिले के बीपीएल परिवारों और पंचायतों को डिजीटल साक्षर करने का था, लेकिन वो अपने भारी-भरकम फंड को इधर-उधर एडजस्ट करने में ही लगी रही। जिला आईटी सोसाइटी की पिछले तीन साल की आडिट रिपोर्ट में तो यही खुलासा हुआ है। मुख्यमंत्री तक शिकायत जाने के बाद मामले की जांच विजीलेंस को सौंपी गई है।
आडिट रिपोर्ट की मानें तो फतेहाबाद जिले में तीन वित्त वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 तक जितने भी डीसी आए, वो लगातार तीन वर्षों तक रोजाना 120 किलोमीटर इनोवा गाड़ी में घूमते रहे। इतना ही नहीं इन तीन वर्षों में आए सरकारी अवकाश और उनके निजी अवकाशों के दौरान भी ये इनोवा गाड़ी सड़कों पर दौड़ती रही। हां, ये बात अलग है कि जिले के किसी भी डीसी को स्थानीय लोगों या अधिकारियों ने इनोवा गाड़ी में निरीक्षण आदि पर जाते नहीं देखा। इसका सीधा सा मतलब है कि उनके लिए डीआईटीएस की इनोवा गाड़ी कागजों में ही दौड़ती रही और तीन साल में डीजल बिल की आड़ में सात लाख रुपए को ठिकाने लगा दिया गया।
हैरानी तो इस बात की है कि पिछले तीन साल में लगातार वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के बावजूद इस गड़बड़झाले को रोकने का किसी ने प्रयास तक नहीं किया। और तो और आडिट रिपोर्ट में भी इन अनियमितताओं को अनदेखा किया जाता रहा। पिछले तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट में जो सामने आया है, उसकी जानकारी देते हुए आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट सुशील बिश्नोई ने बताया कि वित्त वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक डीसी की इनोवा गाड़ी पर सात लाख का डीजल एवं रिपेयरिंग खर्च आया है। हैरानी की बात तो ये है कि पिछले एक साल में जिला आईटी सोसाइटी ने एक भी पंचायत को डिजीटल साक्षर करने के लिए एक कैंप तक नहीं लगाया।
जानकारी के अनुसार फतेहाबाद जिले में दो-तीन साल में अलग-अलग उपायुक्त कार्यरत रहे लेकिन एनके सोलंकी ही इन तीन सालों में अधिकतर समय फतेहाबाद के उपायुक्त पद पर रहे। मीडिया ने जब पूर्व डीसी सोलंकी से इस संदर्भ में बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया और फोन काट दिया। हालांकि जिला आईटी सोसाइटी के पिछले तीन साल के आडिट रिपोर्ट की एक प्रति भी है। ये इनोवा गाड़ी फिलहाल डीसी फतेहाबाद के निवास पर बने गैराज में बंद शटर के पार खड़ी है।
विजीलेंस को दी जांच : सुशील
एडवोकेट सुशील बिश्नोई के अनुसार उन्होंने पूरे गड़बड़झाले की शिकायत मुख्यमंत्री मनोहर लाल को की थी। मुख्यमंत्री ने शिकायत का अध्ययन करवाकर मामले की जांच का आश्वासन दिया था। अब उन्हें पता चला है कि मामले की जांच विजीलेंस को दे दी गई है। उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है ताकि भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसी जा सके।
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