अब तो सिर्फ आपका ही सहारा है


कुछ दिनों से अजब सी दुविधा में हूँ. बहुत सोचा, सोच-सोच कर परेशान भी हो लिया. लेकिन कोई हल नहीं निकाल पाया. दिन हो या रात मेरी यही समस्या मुझे हर वक्त घेरे रहती. सोमवार बीत लिया, मंगलवार हो लिया लेकिन मुझे मेरी समस्या का समाधान नहीं मिला. बुधवार को मेरी दुविधा और ज्यादा बढ़ गई. तब कहीं जाकर मेरी धर्मपत्नी ने मुझ से पूछ ही लिया की आखिर क्या बात है. क्यों इतना परेशान हो रहे हो, कुछ मुझे भी तो बताओ. उसके टोकने से गुस्सा भी बहुत आया लेकिन किसी ने पहली बार मेरी परेशानी पूछी थी सो मैंने उसको बताने में ही भलाई समझी. सोचा की शायद वो ही मेरी तकलीफ को कम करने में मेरी साथी बन जाएँ. मजे की बात यह रही की तकलीफ तो कम नहीं कर सकी लेकिन रास्ता जरुर बता दिया. आप भी समझे की मेरी तकलीफ क्या है और मेरी पत्नी ने मुझे क्या रास्ता बताया.
तो तकलीफ यह है की कुछ पाठको और साथियो की बात मान कर मैंने गुफ्तगू पर हिसार टॉप फाइव नाम से हिसार के मुख्य पांच समाचार देने शुरू किये थे. मुझे भी अच्छा लगा की पाठक मेरे ब्लॉग को पढ़ते है और कुछ ज्यादा की मांग कर रहे है. पत्रकार होने के नाते से मैंने इसे हाथों-हाँथ लिया और समाचार देने शुरू कर दिए. आज हिसार टॉप फाइव को गुफ्तगू में शामिल किये एक महीना हो चुका है. इसका मुझे फायेदा यह हुआ की मेरे ब्लॉग पर पाठको का टैफिक पहले से ज्यादा हो गया. कुछ नियमित पाठक भी बढे तो कुछ समाचार पत्रों से फोन भी आये की गोयल जी आपकी यह खबर अच्छी लगी वो गुफ्तगू अच्छी लगी. हम इसको अपने समाचार पत्र में स्थान दे रहे है. मुझे ख़ुशी भी हुई की चलो कुछ तो फायेदा हुआ. लेकिन आजकल मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है.
अब आप कहेंगे की गोयल जी पगला गए है. जब इतना कुछ मिल गया है तो दुविधा कैसी. तो बात यह है की जिस उद्देश्य से गुफ्तगू की स्थापना की गई थी और जिसको पढने के लिए अक्सर पाठक गुफ्तगू पर आते थे उनको कुछ निराशा होने लगी. ऐसे कुछ पाठको का कहना है की गोयल जी जो समाचार आप गुफ्तगू पर देने लगे है वो तो हम समाचार पत्रों में पढ़ते ही है. आपकी तो गुफ्तगू ही हमको अच्छी लगती थी. जिसमे आप समाचार का दूसरा पहलू हमको बताते थे. अब आप नियमित समाचार देने लगे इसलिए हमने आपके ब्लॉग पर आना छोड़ दिया. जब मैंने उनको कहा की गुफ्तगू तो अभी भी जारी है तो उनका जवाब था की अब पता ही नहीं लगता की आपने क्या गुफ्तगू की है और क्या हिसार के समाचार है. कुछ इसी कारण आजकल गुफ्तगू पर कोमेंट भी कम हो गए है.
मेरे दिल का हाल
इन दिनों मेरे साथ वो हाल है की ना मरा जा रहा है और ना जिया ही जा रहा है. क्योंकि एक पत्रकार को क्या चाहिए की या तो उसको उसके काम का मेहनताना मिले या उसके काम की तारीफ. तो मुझे आज कल कुछ भी नहीं मिल रहा. इसलिए आज कल कुछ दुविधा में हूँ की क्या करूँ. तो क्या मै हिसार टॉप फाइव लिखना बंद कर दूँ या इसको ऐसे ही चलने दूँ. या फिर गुफ्तगू पर सिर्फ गुफ्तगू ही करूँ और हिसार टॉप फाइव के लिए नया ब्लॉग बनाऊ. जिसके लिंक मै गुफ्तगू पर देना शुरू कर दूँ. इससे यह होगा की जिसको हिसार टॉप फाइव गुफ्तगू पर पढनी है वो लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकता है और गुफ्तगू पढने वाले के लिए गुफ्तगू पर भीड़ भी नहीं होगी.

मेरी पत्नी का समाधान
मेरे दिल की सुनने के बाद अब आप मेरी पत्नी ने मुझे क्या राय दी वो भी जान लो. उसने कहा की जब आप ब्लॉग लिखने लगे हो तो ब्लॉगर से बड़ा कोई साथी नहीं होता. आप उनसे ही क्यों नहीं पूछ लेते की उनको क्या और कैसे पसंद है. इससे आपकी परेशानी भी दूर हो जाएगी और उनका साथ भी बना रहेगा. फिर जैसा वो कहें आप वैसा ही करें. आपके लिए यही अच्छा है. तो अब आपकी क्या राय है मुझे बताएं.

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1 आपकी गुफ्तगू:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय सूर्य गोयल जी
नमस्कार !

लगता है, आप भी हमारी तरह ही बहुत सेंटीमेंटल- से हैं ।
भाई साहब, भावुकता अच्छी नहीं ।
… और पत्रकारिता तो हृदयहीनों का काम है, आप जैसे नर्म कलेजे वाले कहां आ गए ?
ऐसा करें, आप अपनी भावनाओं को कविता में भी ढालना प्रारम्भ करदें,
… मुश्किल नहीं :) बहुत सारे लोग हैं …

आप स्वयं जब पहचानते हैं किजिस उद्देश्य से गुफ्तगू की स्थापना की गई थी और जिसको पढने के लिए अक्सर पाठक गुफ्तगू पर आते थे उनको कुछ निराशा होने लगी … तो आप सचमुच गुफ्तगू पर सिर्फ गुफ्तगू ही करें और हिसार टॉप फाइव के लिए नया ब्लॉग बनाएं
मुझ जैसे आम ब्लॉगर के लिए हरियाणा हिसार के मुख्य पांच समाचार किस काम के ? लिंक होगा तो रुचि रखने वाले स्वतः ही वहां भी पहुंचेंगे ही पहुंचेंगे …

आपका ब्लॉग इतना ख़ूबसूरत है कि बार बार आना चाहूंगा, फॉलो भी कर रहा हूं ।
आपसे निवेदन यही है कि, परेशानी को भूल जाएं … भाभीजी को समाधान सुझाने के लिए धन्यवाद अवश्य कहें …

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

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