हजंका का जन्मदिन और हजंका


हरियाणा जनहित कांग्रेस. कहने को तो दो दिसम्बर को पार्टी की वर्षगाठ है लेकिन बीते कुछ समय से पार्टी में जो कुछ घटित हुआ है उससे लगता नहीं है की आज हजंका में पार्टी जैसी कोई चीज बची है. दो वर्ष पूर्व आज ही के दिन रोहतक में रैली कर पार्टी सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई ने जो संकेत दिए थे उससे हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टिया ही नहीं अपितु कांग्रेस तक में खलबली
मच गई थी. एक बारगी तो ऐसा लगने लगा था की अब हरियाणा जनहित कांग्रेस का प्रदेश में कोई सानी नहीं है लेकिन कुछ ही समय बिता होगा की एक-एक कर पार्टी कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेता तक पार्टी छोड़ने लगे. सभी का एक ही कहना था की कुलदीप बिश्नोई पार्टी नहीं चला सकते और भजनलाल के दिन अब लद लिए है. लेकिन जो कुलदीप बिश्नोई स्वयं प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहा था वो ऐसी कोई गलती कर सकता है की पार्टी नेता पार्टी छोड़ रहे है बात किसी के हजम नहीं हुई. लेकिन कहते है की धुँआ वही से उठता है जहा आग लगी हो. पार्टी दावा करती है की पार्टी गठन के बाद उसने तीन-तीन चुनावो का सामना करते हुए प्रदेश में अपनी अच्छी पैठ बनाई है लेकिन साथ ही पार्टी सुप्रीमो का कहना है की इस दौरान पार्टी ने कुछ खोया है तो बहुत कुछ पाया है लेकिन शायद वो यह भूल गए की पार्टी गठन के समय भी पार्टी का एक ही सांसद और एक ही विधायक था और आज भी स्थिति ज्यों की त्यों है. मेरी गुफ्तगू का पहलु यह है की कुछ खोते हुए हरियाणा जनहित कांग्रेस ने क्या बहुत कुछ पाया है. लेकिन हमको क्या करना है क्योंकि यह तो गुजरे ज़माने की बात हो चुकी. कहते है की राजनीति किसी व्यक्ति को ऊपर की और ले जाती है लेकिन इतना जरुर है की आज हरियाणा जनहित कांग्रेस उसी दहलीज पर खड़ी है जहा से कांग्रेस का दर छोड़ने के बाद भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई पीछे की और मुड़े थे.

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