संयम जैन, स्वतंत्र पत्रकार
हिसार: सही कहा है कि मौके का फायदा तो हर कोई उठाता है। चाहे वह नेता हो, अफसर हो, चोर हो या फिर शहर के रेहड़ी, ऑटो व चाय वाले। शहर के महावीर स्टेडियम में इन दिनों सेना की भर्ती चल रही है। रोजाना हजारों बेरोजगार युवा अपना भाग्य आजमाने शहर में आ रहे हैं। सुनने में आया कि शहर में आने वाले इन हजारों युवाओं से रेहड़ी, ऑटोरिक्शा, चायवाले, रिक्शा वाले सामान्य से कई गुणा अधिक वसूली कर रहे हैं। 5 रुपए की चाय को 10 रुपए में बेचा जा रहा है। 10 रुपए की जगह ऑटो का किराया 30 रुपए तक लिया जा रहा है। फलों के दाम भी बढ़ा दिये गए हैं। सुनकर बहुत दुख हुआ। जब नेता निर्दलीय या एक पार्टी की टिकट पर चुनाव लडक़र मौके का फायदा उठाते हुए अपने समर्थकों को धोखा दे सकता है तो फिर ये गरीब लोग क्यों पीछे रहें। नेता तो करोड़ों में अपना ईमान और अपने समर्थकों की भावनाओं को बेचता है। इन गरीब रिक्शा या रेहड़ी वालों ने तो कुछ रुपए ज्यादा ही वसूले हैं। अफसर तो मौका देखकर रिश्वत लेता है फिर इन गरीबों का थोड़ा अधिक मुनाफा कमाना क्यों गलत है।
यह बात अलग है कि रेहड़ी, ऑटो व चाय वालों की इस हरकत से शहर का नाम दूसरे जिलों में बदनाम होगा, मगर जिला अधिकारियों को क्या फर्क पड़ता है। जब नगर निगम अधिकारियों को शहर में चल रहे अवैध निर्माण नजर नहीं आ रहे हैं तो फिर बिना अनुमति रेहड़ी लगाकर ग्राहकों से अधिक वसूली कैसे नजर आएगी। जब यातायात पुलिस शहर की यातायात व्यवस्था को बिगाडऩे में मुख्य कारण बने ऑटो रिक्शा वालों पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है तो अधिक किराया वसूली पुलिस कैसे रोक सकती है।
बचपन में सुनी एक पुरानी कहानी याद आती है, जिसके अनुसार एक भारतीय नेता जापान घूमने जाता है। वहां रेलवे स्टेशन पर उसे कहीं फल नहीं मिलते। वह अपने साथियों से कहता है कि जापान में तो कहीं फल ही नहीं मिलते। एक जापानी यह सुनकर कहीं से फलों का टोकरा भरकर लाता है और उस नेता को दे देता है। नेता उसे रुपए देना चाहता है मगर वह जापानी रुपए लेने से इंकार कर देता है और कहता है कि यह बात दोबारा मत कहना कि जापान में फल नहीं मिलते।
अब इन बेचारे रेहड़ी, रिक्शा, ऑटो या चाय वालों को ऐसी देशभक्ति से क्या मतलब। लगातार बढ़ती महंगाई के इस दौर में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो जाये तो यही बहुत है। रसोई गैस सिलैंडर की कीमतों में 250 रुपए तक बढऩे की खबर सुनने के बाद तो गरीब क्या अमीर भी अपने धंधे में मुनाफे की दर बढ़ाना चाहेगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद तेल दामों में वृद्धि की भी खबर है। ऐसे में ऑटो रिक्शा वालों ने अभी से ज्यादा किराया लेना शुरू कर दिया तो क्या खास बात है।
सेना की भर्ती तो बस एक मौका है। मौके का फायदा तो हर कोई उठाता है। ए. राजा को केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला तो उसने 1 लाख 70 हजार करोड़ का 2जी स्कैम कर डाला। सुरेश कलमाड़ी को कॉमनवेल्थ समिति का प्रमुख बनने का मौका मिला तो उसने 70 हजार करोड़ का घोटाला कर दिया। देशभक्त अन्ना हजारे को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने का मौका मिला तो उन्होंने देश को जोड़ा। मगर, यूपीए सरकार को मौका मिला तो उसने अन्ना हजारे के आंदोलन को ही दबा दिया। ये तो मौके की बात है। मौके का फायदा तो हर कोई उठाता है, फिर इन बेचारे गरीब रेहड़ी, चाय या ऑटो वालों ने कौन सा गुनाह कर डाला।
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हिसार: सही कहा है कि मौके का फायदा तो हर कोई उठाता है। चाहे वह नेता हो, अफसर हो, चोर हो या फिर शहर के रेहड़ी, ऑटो व चाय वाले। शहर के महावीर स्टेडियम में इन दिनों सेना की भर्ती चल रही है। रोजाना हजारों बेरोजगार युवा अपना भाग्य आजमाने शहर में आ रहे हैं। सुनने में आया कि शहर में आने वाले इन हजारों युवाओं से रेहड़ी, ऑटोरिक्शा, चायवाले, रिक्शा वाले सामान्य से कई गुणा अधिक वसूली कर रहे हैं। 5 रुपए की चाय को 10 रुपए में बेचा जा रहा है। 10 रुपए की जगह ऑटो का किराया 30 रुपए तक लिया जा रहा है। फलों के दाम भी बढ़ा दिये गए हैं। सुनकर बहुत दुख हुआ। जब नेता निर्दलीय या एक पार्टी की टिकट पर चुनाव लडक़र मौके का फायदा उठाते हुए अपने समर्थकों को धोखा दे सकता है तो फिर ये गरीब लोग क्यों पीछे रहें। नेता तो करोड़ों में अपना ईमान और अपने समर्थकों की भावनाओं को बेचता है। इन गरीब रिक्शा या रेहड़ी वालों ने तो कुछ रुपए ज्यादा ही वसूले हैं। अफसर तो मौका देखकर रिश्वत लेता है फिर इन गरीबों का थोड़ा अधिक मुनाफा कमाना क्यों गलत है।
यह बात अलग है कि रेहड़ी, ऑटो व चाय वालों की इस हरकत से शहर का नाम दूसरे जिलों में बदनाम होगा, मगर जिला अधिकारियों को क्या फर्क पड़ता है। जब नगर निगम अधिकारियों को शहर में चल रहे अवैध निर्माण नजर नहीं आ रहे हैं तो फिर बिना अनुमति रेहड़ी लगाकर ग्राहकों से अधिक वसूली कैसे नजर आएगी। जब यातायात पुलिस शहर की यातायात व्यवस्था को बिगाडऩे में मुख्य कारण बने ऑटो रिक्शा वालों पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है तो अधिक किराया वसूली पुलिस कैसे रोक सकती है।
बचपन में सुनी एक पुरानी कहानी याद आती है, जिसके अनुसार एक भारतीय नेता जापान घूमने जाता है। वहां रेलवे स्टेशन पर उसे कहीं फल नहीं मिलते। वह अपने साथियों से कहता है कि जापान में तो कहीं फल ही नहीं मिलते। एक जापानी यह सुनकर कहीं से फलों का टोकरा भरकर लाता है और उस नेता को दे देता है। नेता उसे रुपए देना चाहता है मगर वह जापानी रुपए लेने से इंकार कर देता है और कहता है कि यह बात दोबारा मत कहना कि जापान में फल नहीं मिलते।
अब इन बेचारे रेहड़ी, रिक्शा, ऑटो या चाय वालों को ऐसी देशभक्ति से क्या मतलब। लगातार बढ़ती महंगाई के इस दौर में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो जाये तो यही बहुत है। रसोई गैस सिलैंडर की कीमतों में 250 रुपए तक बढऩे की खबर सुनने के बाद तो गरीब क्या अमीर भी अपने धंधे में मुनाफे की दर बढ़ाना चाहेगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद तेल दामों में वृद्धि की भी खबर है। ऐसे में ऑटो रिक्शा वालों ने अभी से ज्यादा किराया लेना शुरू कर दिया तो क्या खास बात है।
सेना की भर्ती तो बस एक मौका है। मौके का फायदा तो हर कोई उठाता है। ए. राजा को केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला तो उसने 1 लाख 70 हजार करोड़ का 2जी स्कैम कर डाला। सुरेश कलमाड़ी को कॉमनवेल्थ समिति का प्रमुख बनने का मौका मिला तो उसने 70 हजार करोड़ का घोटाला कर दिया। देशभक्त अन्ना हजारे को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने का मौका मिला तो उन्होंने देश को जोड़ा। मगर, यूपीए सरकार को मौका मिला तो उसने अन्ना हजारे के आंदोलन को ही दबा दिया। ये तो मौके की बात है। मौके का फायदा तो हर कोई उठाता है, फिर इन बेचारे गरीब रेहड़ी, चाय या ऑटो वालों ने कौन सा गुनाह कर डाला।
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