फौज, फौजी और हरियाणा


हरियाणा: यह शायद प्रदेश में हो रहे ओधौगिक विकास का ही असर है की एक ओर तो भारतीय सेना के उच्चाधिकारी सेना में भर्ती के लिए युवाओं की बाट जोह रहे है और दूसरी तरफ उनकी आशा के विपरीत मात्र 30 प्रतिशत प्रतिभागी ही भर्ती में हिस्सा लेने के लिए पहुँच रहे है. एक समय होता था जब भारतीय फौज में हरियाणा का दबदबा होता था. जाट लैंड के युवा फौजी बनने में गर्व महसूस करते थे. भारतीय फौज में हरियाणा का नाम जहाँ सबसे ऊपर होता था वहीँ युद्ध के समय हरियाणा के फौजी भी सबसे आगे होते थे. शायद ही ऐसा कोई युद्ध रहा हो जिसमे हरियाणा के वीरों ने अपना व् प्रदेश का नाम रोशन नहीं किया हो. लेकिन आज स्थिति यह है की हरियाणवी युवाओं में फौजी बनने को लेकर रुझान घट रहा है.
यहीं कारण है की सेना के आलाधिकारी जहाँ फतेहाबाद जिले से 6000 से अधिक प्रतिभागी आने की उम्मीद जता रहे थे वहीँ फतेहाबाद से मात्र 2300 प्रतिभागी ही सेना का भर्ती टेस्ट देने के लिए पहुंचे. इसमें भी मजेदार बात यह है की 2300 में से भी केवल 120 युवक ही सेना का फिजिकल टेस्ट का पहला चरण पूरा कर पाए. जो औसतन 0.5 प्रतिशत रहा. ऐसा ही कुछ हाल जींद जिले का भी रहा. भले ही जींद के युवा फतेहाबाद जिले के युवाओं से मोर्चा मार गए हो लेकिन सेनाधिकारियों की उम्मीदों पर खरा उतरने में वो भी नाकामयाब रहे. जींद से 4500 प्रतिभागी फौज में भर्ती होने के लिए हिसार पहुंचे थे लेकिन 400 युवा ही टेस्ट का पहला चरण पार कर पाए. जिसका औसतन लगभग 10 प्रतिशत रहा.
एक ओर जहाँ ओधौगिक व् व्यापारिक विकास के चलते पानीपत, करनाल, फरीदाबाद, गुडगाँव व् अम्बाला जिले के युवाओं का रुझान सेना के प्रति कम हो चुका है वहीँ सेना को हिसार, जींद, रोहतक, भिवानी व् फतेहाबाद जिले के युवाओं का सेना में भर्ती होने के लिए बेसब्री से इन्तजार रहता है. इस पर भी अगर कुल 0.5 या 10 फीसदी युवा ही फिजिकल टेस्ट पास कर पाएंगे तो वो दिन दूर नहीं जब हरियाणा के साथ वीरों की धरती का नाम जुड़ना बंद हो जायेगा. सेना में भर्ती के लिए युवाओं की घटती संख्या जहाँ दुःखदायी है वहीँ यह शायद हरियाणा का दुर्भाग्य ही है की बीते वर्ष सिरसा में हुए वायु सेना के भर्ती टेस्ट से वापिस लौट रहे युवाओं ने रेलगाड़ी में सफ़र कर रही एक लड़की के कपडे तक फाड़ दिए थे.

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