सपने तो सिर्फ सपने होते है


अक्सर नेता जनता को सपने दिखाते रहते है. यह उनका काम भी है ओर राजनीति करने के लिए धंधा भी. लेकिन यह हिसार का दुर्भाग्य ही है की यहाँ के नेताओ द्वारा देखे गए सपने कभी पूरे नहीं होते. यही कारण है की चुनावो के बाद एक समय ऐसा आता है जब जनता अपने को ढगा सा महसूस करती है. अब देखो ना पूर्व बिजली मंत्री स्व. ओमप्रकाश जिंदल ने हिसार के लिए एक सपना देखा था की वो हिसार को पेरिस बना देंगे. आज हिसार किसी भी सूरत में पेरिस तो नहीं बना लेकिन आज इतना बदसूरत हो गया है की जनता को फिर वही सपना याद आने लगा है. जनता भी बेचारी क्या करे. बड़ी भोली है, बार-बार याद दिलाने से भी जब जिंदल घराने को स्व. जिंदल का वो सपना याद नहीं आ रहा तो सड़क पर बैनर तक लगा दिया. उधर शासन और प्रशासन है की बार-बार कहने के पश्चात भी नींद से नहीं जाग रहा.
आज शहर की ऐसी कोई सड़क नहीं होगी जो खस्ता हाल ना हो. लेकिन इन सब सडको के बीच एक सड़क ऐसी भी है की जिसकी तरफ शासन, प्रशासन सहित जिंदल घराने का कोई ध्यान नहीं है. पिछले चार वर्षो से यह सड़क है की बनने का नाम नहीं ले रही. चार साल पहले रेलवे विभाग ने नगर का पुराना ओवरब्रिज यह कहते हुए एक तरफ से बंद कर दिया था की यह टूटने की कगार पर है. इसके चलते राजस्थान और दिल्ली की ओर से आने वाला ट्रैफिक बालसमंद रोड से गुजारा जाने लगा. एकाएक भारी ट्रैफिक के गुजरने से सड़क टूटने लगी. व्यवसायियों के हो-हल्ला करने, प्रशासनिक अधिकारियो सहित नेताओ को ज्ञापन व् जाम लगाने के कारण पुल को कियो बार खोला गया और बंद किया गया.
लेकिन एक दिन ऐसा आया की जनता को यह सपना सच होता नजर आया. मौका था चुनावो का. इसी रोड पर स्व. ओमप्रकाश जिंदल की धर्मपत्नी व् पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल का चुनाव कार्यालय बनता है. चुनाव नजदीक आने के कारण एक बार तो सड़क की मरम्मत करवा दी गई लेकिन आज फिर सड़क की हालत दयनीय बनी हुई है. प्रशासन की तरफ से समय-समय पर सड़क पर मिटटी व् रोड़े तो गिरव दिए जाते है लेकिन अभी तक ऐसी किसी कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया गया जिससे जनता को इन खड्डों व् सड़क से उठने वाली मिटटी से निजात मिल सके. अब बारी थी दूसरे नेता के सपने दिखाने की. हाल ही में विधायक संपत सिंह ने फिर जनता को एक सपना दिखाया की वो इस सड़क का निर्माण अतिशीघ्र करवा देंगे.
उनके इस सपने के बाद जनता व् व्यवसायी निश्चिन्त होकर बैठ गए की अब तो सड़क बन ही जाएगी. लेकिन आज दो माह बीतने के बाद भी सड़क की और कोई ध्यान नहीं दिया गया तो व्यापारियों की संघर्ष समिति ने पुनः अधिकारियो के चक्कर काटने आरम्भ किये. पता लगा की जल्द ही सड़क का टेंडर छोड़ा जायेगा. लेकिन हाल ही में टेंडर को ख़ारिज किया गया तो जनता फिर से अपने को ढगा सा महसूस करने लगी है. कोई विकल्प ना दीखते हुए व्यापारियों ने सड़क के दोनों और बैनर लगा दिए की जिंदल साहब के पेरिस में आपका स्वागत है. इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होने से अब तो यही लगने लगा है की सपने तो सिर्फ सपने होते है.

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1 आपकी गुफ्तगू:

शरद कोकास said...

और जनता इस बात को कब समझेगी

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