वैसे तो आज कॉमनवेल्थ गेम्स देशवाशियो के लिए निराशा का सबब बने हुए है. शुरू से लेकर अब तक कभी मैदानों पर तो कभी तैयारियों को लेकर इन गेम्स पर उंगली उठती रही है. लेकिन इन सब के बीच हिसार की जनता के लिए यह ख़ुशी का समय है की एक साथ चार-चार खिलाडी कॉमनवेल्थ गेम्स में हिसार का प्रतिनिधित्व कर रहे है. इतना ही नहीं हिसार ने देश को अनेको खिलाडी दिए है जिन्होंने समय-समय पर देश-विदेश में अपना परचम लहराया है. लेकिन एक समय ऐसा आया जब इन खिलाडियों के हाथ सिर्फ निराशा ही लगी. मौका था क्वींस बैटन रिले का.सबसे पहले हरियाणा में हिसार को ही क्वींस बैटन रिले की मेजबानी करने का मौका मिला था लेकिन शायद यह खिलाडियों की बदकिस्मती ही थी की भारी राजनीति के चलते क्वींस बैटन हिसार के बाहरी इलाको में आई भी और मात्र 15 मिनट में ओझल भी हो गई. फतेहाबाद से हिसार जिले के गाँव शंकरपुरा में जब बैटन ने प्रवेश किया तो लोगो ने ढोल-नगाडो से इसका स्वागत किया लेकिन यह देख उनको निराशा हुई की बैटन एक गाडी में थी. भारी सुरक्षा इंतजाम होने के कारण जहाँ जनता को पता ही नहीं लगा की बैटन कौन सी गाडी ने है वही खिलाडी भी बैटन को तांकते रह गए.
उल्लेखनीय है की हिसार के राजेन्द्र भाला फैंक कर तो जोगिन्द्र सिंह बाक्सिंग में अपना दमखम दिखायेंगे. महिला खिलाडियों में निर्मला बूरा कुश्ती के जरिये गोल्ड मैडल पाने के लिए मैदान में उतारेगी तो पूनम मालिक की चाह है की हाकी में वो अपे प्रतिद्वंदियों के दांत खट्टे करे.
जब खिलाडियों के सिर्फ निराशा ही हाथ लगी
लेबल: खेल-खिलाडी, राजनितिक गुफ्तगू, सभी, हिसार की गुफ्तगू
तड़का मार के

तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
a
यह गलत बात है

पूरे दिन में हम बहुत कुछ देखते है, सुनते है और समझते भी है. लेकिन मौके पर अक्सर चुप रह जाते है. लेकिन दिल को एक बात कचोटती रहती है की जो कुछ मैंने देखा वो गलत हो रहा था. इसी पर आधारित मेरा यह कॉलम...
* मौका भी - दस्तूर भी लेकिन...
* व्हीकल पर नाबालिग, नाबालिग की...
लडकियां, फैशन और संस्कृति

आज लडकियां ना होने की चाहत या फिर फैशन के चलते अक्सर लडकियां आँखों की किरकिरी नजर आती है. जरुरत है बदलाव की, फैसला आपको करना है की बदलेगा कौन...
* आरक्षण जरुरी की बेटियाँ
* मेरे घर आई नन्ही परी
* आखिर अब कौन बदलेगा
* फैशन में खो गई भारतीय संस्कृति
1 आपकी गुफ्तगू:
आपकी रचना चोरी हो गयी .....
यहाँ देखे : -
http://chorikablog.blogspot.com/2010/09/blog-post_5420.html
Post a Comment