पहले कामनवेल्थ खेलो को लेकर तैयारियों में देरी और उसके बाद उसी तैयारोयो में लगने वाले पैसो को लेकर गोलमाल. रही सही कसर बरसात पूरी कर रही है. कभी खेलो को लेकर बनने वाले मैदानों पर उंगली उठ रही है तो कभी बरसात में मुख्य स्डेडियम की छत टपक रही है. कुछ दिनों से दिल्ली में बरसात ने जिस कदर कहर ढाया है उसे देख अभी भी संशय के बदल छाए हुए है की क्या भारत में यह खेल हो पाएंगे. कहने का अर्थ यह है की शुरू से ही इन खेलो को लेकर विभिन प्रकार की चर्चाओं का बाजार गर्म था और जब तक यह खेल संपन्न नहीं हो जाते यह बाजार ऐसे ही गर्म रहेगा.
लेकिन हिसार की जनता के लिए एक ख़ुशी की बात है की इन खेलो में हिसार का छोरा अपना दमखम दिखायेगा. वैसे तो दलबीर सिंह का पुत्र राजेन्द्र भिवानी के सच्चा खेडा का रहने वाला है लेकिन खेलो का अभ्यास उसने शुरू से ही हिसार के महावीर स्डेडियम विंग से किया है. अभी दो दिन पूर्व ही उसका चयन पटियाला में किया गया. राजेन्द्र एथलेटिक का खिलाडी है और आल इंडिया में स्वर्ण पदक हासिल कर चुका है. इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर की सीनियर प्रतियोगिता में उसने दूसरा स्थान हासिल किया है. नेता व् अधिकारी इन खेलो को लेकर क्या खेल खेल रहे है यह तो पता नहीं लेकिन इतना जरुर है की अब हिसार की जनता को राजेन्द्र के खेल से अवश्य उम्मीद रहेगी.
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कामनवेल्थ में दमखम दिखायेगा हिसार का छोरा
लेबल: खेल-खिलाडी, युवा, सभी, हिसार की गुफ्तगू
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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