पूरे देश में जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया गया. रात जैसे ही 12 बजे, हर जगह भगवान् श्री कृष्ण का जन्मदिन हर्षोउल्लास से मनाया गया. इसके साथ ही मंदिरों में भगवान् श्री कृष्ण की जय जयकार होने लगी. गुफ्तगू ने भी भगवान् के जन्मदिन पर खुशिया मनाई. हिसार के बहुत से मंदिरों में घूम-घूम कर भगवान् के अनेको रूपों को अपने कैमरे में कैद किया. जैसा की जनमाष्टमी के दिन आपसे वादा किया गया था की हिसार के मंदिरों की फोटो आपको दिखाई जाएगी. गुफ्तगू ने उसे पूरा किया. वैसे तो शाम होते-होते एक समय भगवान् इंद्र देव
जम कर बरसे और एक बार जनमष्टमी का मजा किरकिरा होता हुआ नजर आया लेकिन लगभग एक घंटा बरसने के बाद नगर में फिर से चहल-पहल नजर आने लगी. श्री कृष्ण के भक्तो पर बरसात का असर कम ही दिखाई दिया तथा भक्तो ने भीगते हुए मंदिरों में झाँकियो के दर्शन किये. गुफ्तगू ने भी 10 फोटो अपने पाठको के लिए कैमरे में कैद की है. शायद आपको अच्छी लगे. आप फोटो पर क्लिक कर बड़ा कर सकते हो. इस बीच जहाँ सारी दुनिया श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रंग में रंगी हुई थी वही कुछ बदमाश अपनी योजनाओ को अंजाम देने की फिराक में
थे.
इसी के चलते एक युवा को काल का ग्रास बनना पड़ा. कल भी गुफ्तगू की गई थी की मेरे देश में मनाये जाने वाले कुछ त्योहारों पर अब आवारागर्द, बदमाश व् मनचले युवक अपनी मानसिकता को अंजाम देने लगे है. यही कारण है की जनता में ऐसे कुछ त्योहारों के प्रति रुझान घटने लगा है. अगर यहाँ और त्योहारों का जिक्र छोड़ सिर्फ जन्माष्टमी की बात की जाये तो यह कहना गलत नहीं होगा की आज के परिवेश में इस त्यौहार पर लडकियों का निकलना सुरक्षित नहीं रहा गया है वही कुछ लोग इन त्योहारों पर अपनी पुरानी रंजिश निकालने का अवसर ढूंढते है. या फिर यह कहा जाये की दिन-प्रतिदिन बढती बदमाशी के चलते आज जनता घर से निकलने में कतराने लगी है. इसी का नतीजा था की हिसार में 21 वर्षीय एक युवक की तेज धारदार हथियार से हत्या कर दी गई. पुलिस के अनुसार अभी तक यह हत्या आवारागर्दो द्वारा की गई लगती है लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की इस हत्या के पीछे पुरानी रंजिश भी हो सकती है. मृतक की नवंबर में शादी तय थी.
यह घटना आवारागर्दो का काम इसलिए लगती है की मृतक के साथी ने बताया की वो दोनों एक मंदिर देख अपने घर को लौट रहे थे की बीच रास्ते में 10 - 12 युवक खड़े मिले. उन्होंने उनसे माचिस मांगी. उन्होंने जैसे ही माचिस के लिए माना किया तो एक युवक ने तेज धारदार हथियार निकाला और मृतक सुनील पर हमला कर दिया. जल्द ही सुनील को सामान्य अस्पताल ले जाया गया जहा उसने दम तोड़ दिया. इसके पीछे पुरानी रंजिस भी हो सकती
है क्योंकि सुनील हिसार के एक मल्टीप्लेक्स में टिकट विन्डो पर कार्यरत्त है. हो सकता है की कभी इन लडको के साथ टिकट को लेकर सुनील का कोई झगडा हुआ हो. कुछ भी हुआ हो लेकिन इतना जरुर है की अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन भारतीय त्योहारों की परम्परा टूटने लगेगी.यह भी हो सकता है की एक दिन हमारे बच्चे हम से यह पूछने लगे की भारत में जनमाष्टमी कैसे मनाई जाती थी.
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अब तो श्री कृष्ण को ही आना पड़ेगा
लेबल: अपराधिक गुफ्तगू, त्यौहार, युवा, सभी, हिसार की गुफ्तगू
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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0 आपकी गुफ्तगू:
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