आजाद भारत की आजाद तरक्की


मेरी गुफ्तगू के सभी साथियो व् पाठको सहित पूरे देशवाशियों को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाये. आओ आज के दिन हम सब मिल कर यह दुआ करे की हमारा देश दिन दोगुनी और रात चोगुनी तरक्की करे. अक्सर देखा और सूना जाता है की जब भी भारत और पकिस्तान की बात होती है तो अमेरिका या उसका कोई भी राष्ट्रपति दोहरी भूमिका अदा करता है लेकिन फिर भी मेरी भगवान् से प्रार्थना है की वो अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा की बात सच करे और मेरा भारत सदैव दुनिया भर के लिए उम्मीद की किरण बना रहे. 
लेकिन इन दिनों तरक्की के नाम पर जो कुछ देश में हो रहा है उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. अगर तरक्की इसी को कहते है तो मेरा देश ऐसा ही ठीक है. क्योंकि हर किसी को उम्मीद तो रहेगी की हम तरक्की करेंगे. लगता है अब कुछ तो मुझे कोसने लगे होंगे और कुछ के मेरी बात शायद समझ में नहीं आई होगी. जी हां मै उसी तरक्की की बात कर रहा हूँ जो कभी तो हमको अच्छी लगने लगती है और कभी अभिशाप. वही तरक्की जिसको हम प्रतिदिन देखते और मौजूदा जिंदगी में एहसास करते है. लेकिन फिर भी हम उसे अनसुना और अनदेखा कर देते है.
आज स्वतंत्रता दिवस है. सुबह से मोबाइल पर संदेशो का आवागमन शुरू हो गया था. कुछ में सिर्फ बधाई थी तो कुछ हट कर सन्देश दे रहे थे. उनमे से एक सन्देश ऐसा था की आप लोगो से गुफ्तगू करने का मन किया. इस सन्देश में वो सब कुछ था जिसका हम जिंदगी में निर्वहन करते है. लेकिन कभी उसका दूसरा पहलू नहीं समझ पाए. अब देखो ना आजाद भारत में आज हर कोई होम डिलीवरी देने की बात करता है. लेकिन फिर भी आम जनता किसी भी सरकारी काम की होम डिलीवरी से मरहूम है. बात हो रही थी देश की आजादी और तरक्की की. 
तो आज मेरे देश में पिजा व् बर्गर सहित अनेको सामान बेचने वाली गैर सरकारी कंपनिया एम्बुलेंस और पुलिस के मुकाबले जल्दी सर्विस दे रही है. जबकि देश का आजाद सरकारी तंत्र आज भी पुरानी लकीर पीट रहा है. 
आज मेरे देश में कार लेने वाले को 8 प्रतिशत पर लोन मिल रहा है जबकि साक्षरता की दुहाई दे रही सरकार आज भी शिक्षा के नाम पर 12 प्रतिशत पर लोन दे रही है. 
यह मेरे देश के लिए बड़े शर्म की बात है की देश का सारा मिडिया शोएब और सानिया मिर्जा की शादी की कवरेज करने में जुटा था और उधर 76 पुलिस कर्मी एक गरीब को मार रहे थे. तथा बाद में उसकी मौत हो गई. 
आज देश में अनाज के नाम पर एक गरीब को एक दाना तक नसीब नहीं हो रहा और कहीं किसी के नेता के गोदाम में तो कही सरकार की अनदेखी के कारण हजारो टन अनाज खराब हो रहा है. 
ऐसा मेरे देश में ही होता है की जहा दाल, चावल व् चीनी के भाव आसमान छु रहे है और मोबाइल कंपनिया सिम कार्ड फ्री में लुटा रही है. और उस समय हम इसको देश की तरक्की मान रहे होते है.
क्रिकेट तो आज पूरी दुनिया में खेला और देखा जाता है लेकिन ऐसा सिर्फ आजाद भारत में होता है की एक अरबपति कोई दान-धर्म ना करके अपना करोडो रुपया एक क्रिकेट टीम खरीदने में लगा देता है. 
देश को स्वतंत्रता दिलाने वाले ना जाने कितने ही वीर पूर्व सेनानियों का अनुसरण करते हुए देश को आजादी दिला गए लेकिन आज यहाँ हर कोई प्रसिद्धी तो पाना चाहता है लेकिन कोई प्रसिद्ध व्यक्तित्व का अनुसरण नहीं करना चाहता. 
मेरे देश में सुबह उठने के साथ ही अनेक मुद्दों पर विचार-विमर्श शुरू हो जाता है. कभी नेताओ पर तो कभी उनकी गन्दी राजनीति पर. यहाँ तक की अपराध और देश की तरककी पर भी बात कर ली जाती है. ऐसी ही एक सुबह बात हो रही थी बालश्रम पर. कुछ लोग सुबह की सैर के समय बात कर रहे थे की बालश्रम कराने वालो को तो फांसी पर लटका देना चाहिए. कुछ समय ऐसे ही बात करते-करते निकल गया. तभी उनमे से एक ने आवाज लगाईं, छोटू चार चाय ला.

अब तो ऐसा लगने लगा की वो समय आ गया है जब हम सबको अपने दिल पर हाथ रख कर अपनी अंतरात्मा से यह पूछना पड़ेगा की अब तू बता की क्या हम वाकई आजाद भारत में जी रहे है या हम कोई अविश्वसनीय सपना देख रहे है.

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1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
--
मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
--
वन्दे मातरम्!

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