शराब पर भारी पानी


बहुत दिन हो गए. आपके बीच नहीं आ पाया. इसका मुझे मलाल भी है लेकिन ख़ुशी इस बात की है की घर में इस दौरान दो शुभ कार्यक्रम हुए. जिस कारण मैं कोई गुफ्तगू नहीं कर पाया. लेकिन कोई बात नहीं, मौसी के लड़के की शादी और मेरी बहन की सगाई की जो ख़ुशी आज मैं आपसे बाँट रहा हूँ उसे मैं सदा याद रखूँगा. लेकिन एक बात जरुर है की बीते दस दिनों में मुझे मेरे सभी पाठको, समर्थको और नियमित पाठको की बहुत याद आई. इसका जो मुख्य कारण था वो यह की इस दौरान देश-प्रदेश सहित मेरे शहर हिसार में बहुत कुछ घटित हुआ. कुछ जिलो में नगर परिषद्, पंचायत व् नगर पालिकाओ के चुनाव हुए तो देश की शांति को भंग करने वाले नक्सलियों को वार्ता की पेशकश की गई. मिर्चपुर मामले को लेकर संसद का घेराव तक किया गया वहीँ राहुल बाबा ने दोबारा हिसार आकर राजनीति को हवा दी तो ट्रेन हादसे ने भी जनता को हिला कर रख दिया. इन सब से परे हिसार में एक लड़की की अश्लील फोटो खिंच कर तीन साल तक ब्लैक मेलिंग के जरिये रेप किया गया तो गलत दिशा से आ रहे एक ट्रक ने ओवर ब्रिज पर एक व्यक्ति की जान ले ली.
इन सब के बावजूद मैं पिछले काफी समय से सोच रहा था की राजनीति पर कुछ लिखू. लेकिन कुछ तो समय का अभाव और गर्मी में हाल बेहाल. फिर भी मैंने जैसे-तैसे कर कुछ लिख कर छोड़ दिया था. जिसे मैं आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ. बात कुछ ऐसी है की अभी हाल ही में हरियाणा के कुछ जिलो में नगर परिषद्, पालिकाओ और पंचायत के चुनाव संपन्न हुए है. मुद्दा यह नहीं है की इन चुनावों में कौन जीता, कौन हारा. बात सिर्फ इतनी सी है की इन चुनावों में क्या-क्या हुआ. कैसे-कैसे हुआ और क्यों हुआ. जैसा की सभी जानते है की उत्तर भारत में गर्मी इन दिनों चरम पर है. तो यह भी लाजमी है की इतनी गर्मी में भले ही मुख्यमंत्री बिजली-पानी के लिए कितने की बड़े-बड़े दावे कर ले लेकिन जनता की पूर्ति करना बहुत मुश्किल है. ऐसे में जनता भी बेचारी क्या करे. उसके पास एक ही रास्ता बचता है की धरना और प्रदर्शन. फिर भले की किसी को परेशानी हो रही हो या किसी को दुःख तकलीफ. यही कारण है की हिसार के उपायुक्त को यह सन्देश देना पड़ा की जनता ऐसा ना करे अगर उन्हें कोई तकलीफ है तो जनता उनसे सीधे मिले.
यहाँ बात हो रही थी चुनावों की. ऐसा नहीं है की चुनावों में खड़े प्रत्याशियों को गर्मी के साथ-साथ बिजली-पानी के पसीना नहीं बहाना पड़ा हो. प्रत्याशियों पर बिजली-पानी के लिए इतना दबाव था की किसी को यह पता नहीं था की इन चुनावों में कौन जीतेगा और कौन हारेगा. यहाँ तक की मतदाता को खुश करने के सभी तरीको के अलावा शराब भी इन चुनावों में कोई काम नहीं आई. जनता की सिर्फ एक ही मांग थी की बिजली-और पानी. जिसका की आज पूरे प्रदेश में बुरा हाल है. स्वयं प्रत्याशी मानते है की जनता को खुश करने के लिए इतना पैसा आज तक के चुनावों में शराब या अन्य तरीको पर नहीं लगा जितना की अब की बार जनता के दरवाजो पर पानी भिजवाने में खर्च हुआ है. तो क्या हम यह बात मान ले की चुनाव आयोग भले ही प्रत्याशियों पर कितना ही शिकंजा कस ले प्रत्याशी तो चुनावी खर्च अपने तरीके से ही करेंगे. कहने का भाव यह है की सभी को जीत सुनिश्चित करनी है फिर काहे का चुनाव आयोग और कैसा पैसा. लेकिन प्रत्याशियों को इन चुनावों में यह गाने का जरुर अवसर मिला की "महंगा हुआ पानी की थोडा-थोडा पिया करो".
चलते-चलते 
एक तो शादी का मौसम, उस पर घर में शादी तो ऐसा नहीं हो सकता की हिसार के पुराने ओवर ब्रिज पर से गुजरना ना हो. लेकिन एक रात मैंने जो नजारा देखा उसे देख में स्तब्ध रह गया. एक तो यह पुल तीन साल से ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है उस पर रात 8 बजे नो अंटरी खुलने के बाद ओवर लोडिड ट्रक ओवर ब्रिज का एक हिस्सा बंद होने के कारण गलत दिशा से जा रहे थे. अगले ही दिन समाचार पत्र में पढ़ा की रात को ट्रक और एक कार की दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई. पुलिस अधीक्षक ने इस घटना पर तुरंत कार्यवाही करते हुए पुल की 24 घंटे निगरानी के लिए पुलिस दल तैनात किया है.

Related Articles :


Stumble
Delicious
Technorati
Twitter
Facebook

1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

इसीलिए तो मेरा भारत महान है!

Post a Comment

अंग्रेजी से हिन्दी में लिखिए

तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
a
 

gooftgu : latest news headlines, hindi news, india news, news in hindi Copyright © 2010 LKart Theme is Designed by Lasantha