
इन सब के बावजूद मैं पिछले काफी समय से सोच रहा था की राजनीति पर कुछ लिखू. लेकिन कुछ तो समय का अभाव और गर्मी में हाल बेहाल. फिर भी मैंने जैसे-तैसे कर कुछ लिख कर छोड़ दिया था. जिसे मैं आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ. बात कुछ ऐसी है की अभी हाल ही में हरियाणा के कुछ जिलो में नगर परिषद्, पालिकाओ और पंचायत के चुनाव संपन्न हुए है. मुद्दा यह नहीं है की इन चुनावों में कौन जीता, कौन हारा. बात सिर्फ इतनी सी है की इन चुनावों में क्या-क्या हुआ. कैसे-कैसे हुआ और क्यों हुआ. जैसा की सभी जानते है की उत्तर भारत में गर्मी इन दिनों चरम पर है. तो यह भी लाजमी है की इतनी गर्मी में भले ही मुख्यमंत्री बिजली-पानी के लिए कितने की बड़े-बड़े दावे कर ले लेकिन जनता की पूर्ति करना बहुत मुश्किल है. ऐसे में जनता भी बेचारी क्या करे. उसके पास एक ही रास्ता बचता है की धरना और प्रदर्शन. फिर भले की किसी को परेशानी हो रही हो या किसी को दुःख तकलीफ. यही कारण है की हिसार के उपायुक्त को यह सन्देश देना पड़ा की जनता ऐसा ना करे अगर उन्हें कोई तकलीफ है तो जनता उनसे सीधे मिले.
यहाँ बात हो रही थी चुनावों की. ऐसा नहीं है की चुनावों में खड़े प्रत्याशियों को गर्मी के साथ-साथ बिजली-पानी के पसीना नहीं बहाना पड़ा हो. प्रत्याशियों पर बिजली-पानी के लिए इतना दबाव था की किसी को यह पता नहीं था की इन चुनावों में कौन जीतेगा और कौन हारेगा. यहाँ तक की मतदाता को खुश करने के सभी तरीको के अलावा शराब भी इन चुनावों में कोई काम नहीं आई. जनता की सिर्फ एक ही मांग थी की बिजली-और पानी. जिसका की आज पूरे प्रदेश में बुरा हाल है. स्वयं प्रत्याशी मानते है की जनता को खुश करने के लिए इतना पैसा आज तक के चुनावों में शराब या अन्य तरीको पर नहीं लगा जितना की अब की बार जनता के दरवाजो पर पानी भिजवाने में खर्च हुआ है. तो क्या हम यह बात मान ले की चुनाव आयोग भले ही प्रत्याशियों पर कितना ही शिकंजा कस ले प्रत्याशी तो चुनावी खर्च अपने तरीके से ही करेंगे. कहने का भाव यह है की सभी को जीत सुनिश्चित करनी है फिर काहे का चुनाव आयोग और कैसा पैसा. लेकिन प्रत्याशियों को इन चुनावों में यह गाने का जरुर अवसर मिला की "महंगा हुआ पानी की थोडा-थोडा पिया करो".
चलते-चलते
एक तो शादी का मौसम, उस पर घर में शादी तो ऐसा नहीं हो सकता की हिसार के पुराने ओवर ब्रिज पर से गुजरना ना हो. लेकिन एक रात मैंने जो नजारा देखा उसे देख में स्तब्ध रह गया. एक तो यह पुल तीन साल से ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है उस पर रात 8 बजे नो अंटरी खुलने के बाद ओवर लोडिड ट्रक ओवर ब्रिज का एक हिस्सा बंद होने के कारण गलत दिशा से जा रहे थे. अगले ही दिन समाचार पत्र में पढ़ा की रात को ट्रक और एक कार की दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई. पुलिस अधीक्षक ने इस घटना पर तुरंत कार्यवाही करते हुए पुल की 24 घंटे निगरानी के लिए पुलिस दल तैनात किया है.
1 आपकी गुफ्तगू:
इसीलिए तो मेरा भारत महान है!
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