आज देश पर मर मिटने की बात हर कोई करता है. कोई कहता है की मैं देश के लिए यह कर सकता हूँ तो कोई कहता है की जरुरत पड़ने पर मैं देश के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर सकता हूँ. यहाँ तक की देश भक्ति का जज्बा पैदा करने और अपने को देश भक्त दिखाने के लिए विभिन्न आयोजनों में देश भक्ति से सराबोर कार्यक्रम तक पेश किये जाते है. इन कार्यक्रमों में कोई सांस्कृतिक आयोजन हो या टीवी पर दिखाए जाने वाले रियल्टी शो. यहाँ तक की हिसार में इन दिनों आये जादूगर मंगल तारा भी अपने को देशभक्त दिखाने के लिए अपने शो में कभी तिरंगा हाथ में ले कर लहराते है तो कभी 100 फीट लम्बा तिरंगा खाली पेटी में से निकालते है. दर्शक भी देश भक्ति के गाने से सराबोर उनकी इस प्रस्तुति का भरपूर आंनद उठाते है.
लेकिन इस बीच मेरी जहाँ नजर जाकर टिकी उसे देख मुझे लगा की वाकई यह जादूगर देश भक्त है या सिर्फ वाहवाही के लिए ही ऐसे शो में देशभक्ति की प्रतुतिया दिखाई जाती है. जबकि यह सर्वविदित है की ऐसे शो लगभग प्रत्येक प्रशासनिक अधिकारी से लेकर प्रबुद्ध नागरिक सहित भारी तादाद में आम जनता देखने आती है. हिसार में भी जहाँ अतिरिक्त उपायुक्त ने जादूगर मंगल तारा के शो का उद्धघाटन किया था वही अब तक विभिन्न अधिकारी और जनता इस शो को देख चुके है. लेकिन क्या अब तक किसी की नजर इस बात पर नहीं गई की जो तिरंगा जादूगर अपने हाथ में लेकर लहरा रहा है उसमे अशोक चक्र तो है ही नहीं. फिर वो अपने शो में किस देशभक्ति की बात करते है. क्यों कर रहे है वो तिरंगे का अपमान.
जहा हमे ऐसे आयोजनों को रोकना होगा वही जनता को इस बारे में जागरूक भी करना पड़ेगा. जबकि मैं तो समय-समय पर गुफ्तगू करता रहता हूँ की आज जिस तिरंगे के आगे पूरा देश सिर झुकाता है उसका विभिन्न आयोजनों और स्थानों पर समय-समय पर अपमान हो रहा है. भले ही वो तिरंगा एक ईमारत पर लगाया गया हो या एक नगर में 100 फीट की उचाई पर लहरा रहा हो. कुछ समय पहले भी मैंने इस बारे में गुफ्तगू की थी की अब तो सांसदों को भी तिरंगे का अपमान करने की छुट मिल गई है. लेकिन अब देखना यह है की प्रशासन और सरकार कब जागती है. कभी कोई बड़ा आदमी अगर तिरंगे का अपमान करता है तो बहुत हो-हल्ला मचाया जाता है लेकिन ऐसे आयोजनों पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया जाता.
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क्या इसी का नाम है देशभक्ति
तिरंगे के अपमान को लेकर लिखी गई मेरी यह पोस्टे भी जरुर पढ़े.
मान तो मिला सम्मान नहीं
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लेबल: जादूगर, राष्ट्रीय ध्वज, सभी, सामाजिक गुफ्तगू
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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आओ अब थोडा हँस लें
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2 आपकी गुफ्तगू:
bhai aapki story padhi, aapke zazbaat dekh kar achha laga. magar shayad aap ka nazariya mujhe samajh main nahi aaya. flag par ashok chakra nahi hai to wo national flag kaise ho gaya aur uska apmaan kaise ho gaya. mujhe ye clear nahi hua.
श्री मान गुफ्तगू करने का शुक्रिया. चलो मै आपकी बात मान लेता हूँ की उसके हाथ में जो झंडा है वो अशोक चक्र नहीं होने की वजह से राष्ट्रीय ध्वज नहीं है. लेकिन आज कहीं भी तिरंगे के तीन रंग हमको दिखते है तो पता लगता है की यह भारत की शान है. लेकिन अगर यह जादूगर राष्ट्रीय झंडा नहीं लहरा रहा है तो ऐसा करके वो क्या दिखाना चाहता है.
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