कहते है की भगवान् के घर देर है अंधेर नहीं. कुछ इसी जुमले को सिद्ध किया है विश्व की सबसे बड़ी पंचायत ने. उसने अब सांसदों को भी अपमान करने की इजाजत दे दी है. आप सोच रहे होंगे की यह कौन सी नई बात है. सांसद तो समय-समय पर किसी ना किसी रूप में अपमान करते ही रहते है. कभी आचार सहिंता का तो कभी देश की गरिमा का. आजकल तो यह अपने पद को भी नहीं बकसते. लेकिन यहाँ पर जो मेरी गुफ्तगू का विषय है वो है भारत की आन-बान-शान के अपमान का. जी हां भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा. अभी दो दिन पूर्व मैंने लिखा था की कैसे देश के तिरंगे को अपमानित किया
जा रहा है और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगती. कारण वही की सांसद नवीन जिंदल के प्रयासों से अब कोई भी भारतीय अपने भवन पर तिरंगा लहरा सकता है. फिर भले ही वो उल्टा लहरा रहा हो या रात को भी. उसके लिए नवीन जिंदल को कोई फर्क नहीं पड़ता.
अब नवीन जिंदल की एक और कोशिश रंग लाई है. अब देश का कोई भी सांसद तिरंगे का लेपल पिन लगा कर संसद में जा सकता है. उनके इस कदम के लिए शनिवार सुबह के सभी समाचार पत्र उनकी वाहवाही से भरे पड़े थे. तो क्या अब यह मान लिया जाये की जिस भी सांसद ने तिरंगे की लेपल पिन लगा रखी है उनको कोई चैक किया करेगा की वो सीधी लगी है या नहीं. क्या सभापति मीरा कुमार ने ऐसी अनुमति देने से पूर्व कोई नियम भी तय किये है की अगर कोई लेपल पिन गलत तरीके से या उलटी लगी है तो संसद पर किस तरह की कार्यवाही की जाएगी. जबकि घर-घर जाकर राष्ट्रीय ध्वज लगाने का जिम्मा उठा रही राष्ट्रीय ध्वज फाउंडेशन ने आज तक कही यह जा कर पता नहीं किया की जहा उन्होंने ध्वज लगाये है क्या वो सही तरीके से लहरा रहे है. या उनके प्रति किसी की कोई शिकायत तो नहीं है. जबकि किसी पर कोई कार्यवाही होना तो बहुत दूर की बात है.
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अब सांसदों को भी मिली अपमान करने की इजाजत
लेबल: नवीन जिंदल, राष्ट्रीय ध्वज, सभी, सामाजिक गुफ्तगू
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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1 आपकी गुफ्तगू:
मेरा भारत महान!
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