मैं तो खेलूँगा होली खाटू श्याम के संग


लगता है अब होली आ गई. एक तो बाजारों में बच्चे पिचकारी लिए खड़े दिखने लगे है तो कहीं-कहीं अबीर-गुलाल की दुकाने भी सजने लगी है. ब्लॉगर तो लगभग पांच दिन पूर्व से ही होली की शुभकामनाये अपने-अपने ब्लॉग पर देने लगे थे. तभी आज कुछ दोस्तों ने कहा की कल खाटू श्याम जी चलते है होली खेलने के लिए तो लगा की अब होली आ गई है. अब खाटू जी जा रहा हूँ तो दो-तीन दिन कुछ लिख नहीं पाउँगा फिर होली के दौरान
कुछ लिखना मुश्किल भी हो सकता है तो सबसे पहले मेरी और से मेरे ब्लोगर साथियों और पाठको को सपरिवार होली की शुभकामनाये. इसके बाद खाटू की होली व् यहाँ होने वाले फाल्गुन मेले का कुछ सचित्र विवरण मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ. सोचता हूँ की आपको पसंद आएगा.

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम धाम छोटे से मन्दिर से स्वरूप में आया था। जो आज एक दरबार का रूप ले चुका है तथा भक्तों की लगने वाली लम्बी-लम्बी कतारों के कारण आज यह एक धाम में तबदील हो चुका है। आज भी यह सरकारी व प्रशासन द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से मरहूम है। वैसे तो बाबा श्याम की कथा से कोई विरला ही अनभिग्य होगा। लेकिन इतना अवश्य बतलाना चाहेंगे कि जब भगवान श्री कृष्ण ने बरबरीक से सिर का दान मांगा तो श्री कृष्ण जी बातों में उलझे बरबरीक ने अपना सिर काटकर कृष्ण जी के चरणों में रख दिया। उनके इस दान से खुश श्री कृष्ण ने बरबरीक को अपने नाम श्याम से नवाजा व कलयुग का अवतार तथा शीश के दानी सहित अनेक नाम से बरबरीक को आर्शीवाद दिया।
माना जाता है कि खाटू में स्थित विशाल कुण्ड से बाबा की यह प्रतिमा प्रगट हुई थी। जिसे 1777ई0 पूर्व में मन्दिर स्थल पर नींव रखकर स्थापित किया गया था। ऐसा कहते है कि अगर कोई भगत इस कुण्ड में डुबकी लगाकर दरबार में कोई भी मन्नत मांगे तो वह अवश्य पूरी होती है। धारणा के अनुसार शुक्ल पक्ष की प्रत्येक ग्यारस व बारस को बाबा का दिन माना जाता है। बावजूद इसके यहां प्रतिदिन मेले जैसा माहौल होता है फाल्गुन मास की दसवीं, ग्यारस व बारस को तो खाटू धाम की छटा देखते ही बनती है। अबीर, गुलाल व भक्ति के नशे में मदमस्त दूर से दूर से आने वाले श्रधालुओ के लिए यहां तीन सरकारी सहित 110 धर्मशाला व चार होटल है सरकारी आंकड़ों की माने तो पूरे वर्ष बाबा के दर्शन करने वालों की संख्या 40-45 लाख है
जबकि इन तीन दिनों में यहा 10 से 15 लाख श्रद्धालु आते है। जिनको मेले के दौरान सम्भालने का जिम्मा 800 पुलिसकर्मी, 1500 स्वयं सेवक व 800 स्काउटस के हाथ में होता है।
रिंगस। वह स्थान जहां से खाटू की दूरी 18 किलोमीटर है यहां से कोई भक्त पैदल बाबा के दरबार में पहुचता है तो कोई दण्डवत तो कोई पेट के बल "पेट पिलानी" पहुंच कर बाबा को रिझाने की कोशिश करता है ज्यादा संख्या हाथ में बाबा का पीला निशान "ध्वजा" निशान लेकर आने वाले श्रधालुओ की होती है मेले पर यहां 50,000 निशान चढ़ते है। श्याम दरबार में अनेकों विशिष्ट व अतिविशिष्ट व्यक्ति मत्था टेक चुके है लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल राजस्थान की राज्यपाल होते हुए व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत उस सूचि में नाम शामिल कर चुके है जो बाबा के दरबार आते है। फिर भी आज खाटू श्याम धाम अनेकों सुविधाओं के अभाव में सरकार के अपनी ओर आकर्षण की बाट जोह रहा है। रिंगस से चलने वाले श्रधालुओ के लिए यहां कोई लाईट की व्यवस्था नहीं है। वहीं उन्हें नंगे पाव सडक़ व कच्चे रास्तों पर चलना पड़ता है पीने के पानी की व्यवस्था भी स्वयंसेवी संगठनों ने सम्भाल रखी है। भारी तादाद में पैदल श्रधालुओ के आने के पश्चात भी रिंगस से लेकर खाटू धाम तक कोई पुलिस व्यवस्था सरकार की तरफ से नहीं की गई है। जबकि सरकार को चाहिए कि किसी भी अप्रिय घटना व आतंकी कार्यवाही को रोकने के लिए रिंगस के मुख्य द्वार पर मैटल डायरेक्टर का प्रबंध करें। खाटू धाम की बढ़ती लोकप्रियता के कारण सन् 1986 को श्री श्याम मन्दिर कमेटी का गठन किया गया। कमेटी के महामंत्री प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि प्रशासन व सरकार ने कभी भी मन्दिर की तरफ ध्यान नहीं दिया तथा मन्दिर हमेशा राजनीति के चलते उपेक्षा का शिकार रहा है। मन्दिर के विकास पर जो खर्च हो रहा है वह सब ट्रस्ट का लग रहा है। श्री चौहान ने बताया कि मन्दिर भूमि अधिग्रहण को लेकर उच्च न्यायलय में मुकद्मा चल रहा है। उन्होंने कहा कि श्याम भक्तों को जो असुविधा हो रही है। वह सरकार की देन है।

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1 आपकी गुफ्तगू:

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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