आपके लिए लाया गुलाब का फूलपहले तो देश में हुए लोकसभा चुनाव की झिक-झिक और उसके बाद हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव की किच-किच के बावजूद दोनों ही चुनाव भले ही शांतिपूर्वक संपन हो गए हो लेकिन इस दौरान राजनीति के जो रंग देखने को मिले उससे दिल ने भी कहा की कि भैया अब कुछ दिन कही शांति से गुजार आओ. यही कारण था की आपसे बिना इजाजत लिए
* और वो कहते है की हम आजाद है
6 दिन हरियाणा के साथ लगते राजस्थान कि आबो-हवा में शांति से समय बिताने गया था कि वहा जाने के बाद पता चला कि यहाँ भी नगरपालिकाओ के चुनाव का जोश जनता के सिर चढ़ कर बोल रहा है. लेकिन खुशगवार मौसम के बीच मेरे छोटे से परिवार के साथ 6 दिन कैसे गुजर गए यह पता ही नहीं चला. मेरे इस ब्रेक के एक-एक पल को और अधिक हसीन बनाने में मेरे दोस्त ने भी सपरिवार मेरा साथ दिया. इस सफ़र में अब हम हो चुके थे सात सदस्य. जिसमे चार बड़े और तीन बच्चे शामिल थे. हम 17 नवम्बर कि रात्रि को हिसार से चले और जोधपुर होते हुए माउन्ट आबू पहुंचे. एक दिन जोधपुर घुमने के बाद हम माउन्ट आबू आ गए. यहाँ से पुष्कर जी में ब्रह्मा जी का मंदिर देखते हुए सालासर धाम में भगवान् हनुमान के दर्शन कर हिसार पहुंचे. शांतिपूर्वक समय बिताने कि एवज में बिताये गए यह 6 दिन घुमने के लिहाज से तो ठीक-ठाक रहे लेकिन दिल को जो शांति चाहिए थी वो अभी नहीं मिली. इसका मुख्य कारण राजस्थान में नगरपालिका चुनाव भी रहा तो यात्रा के बीच जो कुछ घटित हुआ उससे पत्रकार का दिमाग था कि शांत ही नहीं रहा. 23 नवम्बर हो राजस्थान में चुनाव थे कि हम 22 को ही हिसार पहुँच गए. सोचा कि अब आप लोगो से खुल कर मेरी यात्रा कि गुफ्तगू करूँगा लेकिन यहा आते ही शादियों में लग गए. एक सप्ताह शादियों में व्यस्त रहने के बाद आज मौका मिला आपसे गुफ्तगू करने का. इस छोटे से ब्रेक में मैंने क्या-क्या किया, कहा-कहा घुमा और कौन सी शादी मेरे लिए क्यों खास रही सब गुफ्तगू के माध्यम से आपके सामने रखूँगा लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता.
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लो मैं लौट आया एक छोटे से ब्रेक के बाद
लेबल: मेरी यात्रा, राजस्थान, सभी
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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1 आपकी गुफ्तगू:
शुभकामनाएँ!
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