मेरे देश में कानून बनाने का एक फैशन सा है. जब देखो, जिसे देखो कोई कानून बनाने की बात करता है तो कोई बिना सोचे-समझे कानून बना भी देता है. अब जब कानून बनाना फैशन ही है तो फैशन तो आता-जाता रहता है. शायद यहीं कारण है की कानून बनता बाद में है और उसको तोड़ने के रास्ते पहले निकाल लिए जाते है. कुछ इक्का-दुक्का कानून को छोड़ बमुश्किल ही कोई नया ऐसा कानून बना होगा जिसके प्रति न्यायालय से लेकर शासन-प्रशासन ने सख्त कदम उठाये हो. भले ही वो सार्वजानिक स्थान पर धुम्रपान ना करने का कानून हो या फिर कन्या भ्रूण हत्या निरोधक. भले ही वो सट्टा खाईवाली के खिलाफ कानून हो. क्योंकि सट्टा खाईवाली के खिलाफ भी कोई सख्त कानून नहीं है, जबकि कन्या भ्रूण हत्या के आरोपी आज पकडे ही कितने जाते है.
अब देखो ना हाल ही में भारत में एक ऐसा कानून बना दिया गया जिसका आम आदमी से सरोकार है. अब सोचने का विषय यह है की जो वस्तु आम आदमी से जुडी हो क्या उसके खिलाफ बने कानून को अमल में लाना आसान है. तो शायद आपका भी जवाब होगा नहीं. अब जब कानून को अमल में लाना इतना मुश्किल है तो ऐसा कानून बनाया ही क्यों गया. मै न्यायालय की नीति और नियत पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर रहा लेकिन गुफ्तगू का विषय सिर्फ इतना है की जब आज तक सार्वजानिक स्थानों पर होने वाले धुम्रपान पर ही रोक नहीं लग सकी तो पॉलीथीन पर रोक कैसे लगेगी. वैसे न्यायालय ने सख्त निर्देश दिए है की पॉलीथीन निर्माण से लेकर बेचने व् उपयोग में लाने तक पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
गुटके हुए महंगे
पॉली थीन पर प्रतिबन्ध के चलते तम्बाकू के शौकीन लोग अवश्य इन दिनों परेशान नजर आ रहे है. ज्ञात हो की अभी तक जितने भी गुटके आ रहे है वो सभी पॉली थीन के पाउच में आ रहे थे, लेकिन न्यायालय ने पॉली थीन पर प्रतिबन्ध लगाने के साथ सबसे पहले उन कंपनियों को निर्देश दिए थे जो अपने उत्पाद पॉली थीन में पैक कर बेचते है. ऐसे में गुटका कंपनियों ने जहाँ पॉली थीन का विकल्प खोजने के लिए अपना उत्पादन बंद कर दिया है वहीँ बाजार में गुटके के रेट आसमान छूने लगे है. इन दिनों गुटके के दामो में दोगुनी वृद्धि देखि जा रही है.
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अब देखो ना हाल ही में भारत में एक ऐसा कानून बना दिया गया जिसका आम आदमी से सरोकार है. अब सोचने का विषय यह है की जो वस्तु आम आदमी से जुडी हो क्या उसके खिलाफ बने कानून को अमल में लाना आसान है. तो शायद आपका भी जवाब होगा नहीं. अब जब कानून को अमल में लाना इतना मुश्किल है तो ऐसा कानून बनाया ही क्यों गया. मै न्यायालय की नीति और नियत पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर रहा लेकिन गुफ्तगू का विषय सिर्फ इतना है की जब आज तक सार्वजानिक स्थानों पर होने वाले धुम्रपान पर ही रोक नहीं लग सकी तो पॉलीथीन पर रोक कैसे लगेगी. वैसे न्यायालय ने सख्त निर्देश दिए है की पॉलीथीन निर्माण से लेकर बेचने व् उपयोग में लाने तक पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
प्रशासन की कार्यवाही
न्यायालय द्वारा पॉलीथीन पर प्रतिबन्ध लागू होने के साथ ही कानून भी अमल में आ चूका है. लेकिन सवाल यह है की आज इस कानून के प्रति शासन व् प्रशासन कितना सख्त है तो आपको जवाब मिलेगा की कुछ भी तो नहीं. इस कानून के प्रति प्रशासन की कार्यवाही मात्र इतनी ही है की जब मन में आया किसी बाजार में गए और वहां जाकर दुकानदारों को पॉलीथीन उपयोग में नहीं लाने के निर्देश दे दिए. अगर दिल किया तो कुछ दुकानों में जाकर पॉलीथीन जब्त कर लिए. इतने में अगर अन्य दुकानदारों को भनक लग गई तो वो अपने पॉलीथीन इधर-उधर कर देते है. चाइना बाजार हुआ हावी
आज हर उत्पाद पर चीनी बाजार हावी है. भारत में प्रतिदिन और प्रति व्यक्ति उपयोग में आने वाला मुश्किल ही कोई ऐसा उत्पाद होगा जो चीन से नहीं आता हो. बीतो दिनों तो पॉलीथीन भी चीन से आने लगा था. महंगा होने की वजह से उसका उपयोग कम भले ही था लेकिन अब भारत में पॉलीथीन पर प्रतिबन्ध लगने से चीन को यह उम्मीद जरुर बंधी है की उसके यहाँ से आने वाले कपडे के बैग सस्ते होने की वजह से जिस कदर भारतीय बाजार पर छायें थे उसमे और अधिक तेजी आएँगी.गुटके हुए महंगे
पॉली थीन पर प्रतिबन्ध के चलते तम्बाकू के शौकीन लोग अवश्य इन दिनों परेशान नजर आ रहे है. ज्ञात हो की अभी तक जितने भी गुटके आ रहे है वो सभी पॉली थीन के पाउच में आ रहे थे, लेकिन न्यायालय ने पॉली थीन पर प्रतिबन्ध लगाने के साथ सबसे पहले उन कंपनियों को निर्देश दिए थे जो अपने उत्पाद पॉली थीन में पैक कर बेचते है. ऐसे में गुटका कंपनियों ने जहाँ पॉली थीन का विकल्प खोजने के लिए अपना उत्पादन बंद कर दिया है वहीँ बाजार में गुटके के रेट आसमान छूने लगे है. इन दिनों गुटके के दामो में दोगुनी वृद्धि देखि जा रही है.
अधिकृत विक्रेता कूट रहे है चांदी
ऐसा नहीं है की तम्बाकू में यह तेजी पीछे से आई है. बल्कि गुटको के अधिकृत विक्रेताओं ने माल की कमी दिखा कर इनके रेटों में अनाप-शनाप तेजी ला दी है. हाल यह है की जो गुटका ज्यादा बिकता है वो आज दोगुने से भी ज्यादा दामो पर लोगो को खाना पड़ रहा है. जबकि जिनकी बिक्री कम है वो आज भी उसी दाम पर बिक रहा है.भ्रष्टाचार को मिलेगा बढ़ावा
ऐसे कानूनों से भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलने के पूरे आसार होते है. ऐसा इसलिए की जब किसी अधिकारी व् कर्मचारी का दिल किया वो किसी प्रतिष्ठान पर जाकर इस कानून के तहत अपनी जेब गर्म कर सकता है. इसके लिए भी उच्च अधिकारियों को विशेष ध्यान देना होगा.
3 आपकी गुफ्तगू:
bhai tu gutkhe kee wakalat kar raha hai kya yahan........tujhe mehnga gutkha kharidna pada to supreme court ko kosne laga..........
बहुत कुछ समेट लिया आज की गुफ्तगू में आपने!
जिसने भी यह टिपण्णी की उस सहित सभी को यह बताना चाहूँगा की मैंने इस पोस्ट में ना तो गुटके की वकालत की है ओर ना ही मै कभी नशे की वकालत करूँगा. मैंने पोस्ट में भी लिखा है की मै न्यायलय पर कोई उंगली नहीं उठा रहा बल्कि मेरी गुफ्तगू का पहलू सिर्फ इतना है की जब कोई कानून बनाया जाता है तो उस पर अमल भी हो. गुटके का जिक्र यहाँ इसलिए किया गया की आज बहुत सी वस्तुए पॉलीथीन में पैक होकर बाजार में बिक रही है लेकिन क्या पॉलीथीन के बंद होने का असर सिर्फ गुटके के ऊपर ही पड़ रहा है. फिर वहीँ क्यों दोगुने दामो पर बिक रहा है.
फिर भी मै गुरु जी श्री रूप चन्द्र शास्त्री जी का व् इन महानुभाव का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ की यह मेरी गुफ्तगू में शामिल हुए ओर मेरी हौंसला अफजाई की.
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