आओ प्यार करें



आज का दिन प्यार करने वालो का दिन. तो क्या अब यह मान लें की अब हम को पश्चिमी सभ्यता के अनुरूप प्यार करने का दिन भी मुक़र्रर करना पड़ेगा. अगर ऐसा हुआ तो देश प्रेम की खातिर सीमा पर खड़े जवानों के लिए यह पश्चिमी सभ्यता क्या कहेंगी. क्या उनको सीमा पर नहीं खड़े होना चाहिए या देश प्रेम की खातिर सिर्फ 14 फरवरी को ही सीमा पर जाना चाहिए. अगर ऐसा हुआ या यह कहा जाएँ की प्यार करने का दिन भी मुक़र्रर किया जाने लगा तो हम वैलेंटाइन डे तो क्या कोई भी डे नहीं मना पाएंगे. रही बात युवाओं की तो उनके लिए सारी उम्र पड़ी है प्यार करने की.
चलो जी हमको क्या फर्क पड़ता है कोई किसी भी दिन प्यार करे. लेकिन तकलीफ इस बात की है की कौन किस से ज्यादा प्यार करता है. कहने और दिखावे के लिए तो हर कोई प्यार करता है, लेकिन सवाल यह उठता है की कितना. अब देखो ना हिन्दुस्तान धर्मनिरपेक्ष देश है. यहाँ हर धर्म और जाति के लोग बड़ी ही सदभावना और प्यार के साथ रहते है. लेकिन क्या आप जानते है की हम को एक विलक्षण चीज आपस में जोड़े हुए है. यह शायद इतिफाक ही है की TEMPLE में छः अक्षर होते है जबकि CHURCH भी छः अक्षरों से मिलकर बना है. इसके साथ MOSQUE में भी छः ही अक्षर होते है.
यह भी मजेदार बात है की GEETA में जहाँ पांच अक्षर होते है वही BIBLE भी पाँच ही अक्षरों से मिलकर बना है. जबकि QURAN में भी पाँच अक्षर ही होते है. यह एकता और शब्दों के जरिये भगवान् का दिया वो प्यार है जिसको आज हम भूलते जा रहे है. हम तो भूलते जा ही रहे है लेकिन आज का युवा तो इस बारे में जानता ही नहीं. आज इस बारे में ना सिर्फ सोचना होगा बल्कि इसका ज्यादा से ज्यादा प्रचार भी करना होगा. तभी शायद हम पश्चिमी सभ्यता को भूल कर भारतीय संस्कृति को आने वाली पीढ़ी के समक्ष रख सकेंगे. और यहीं आज की जरुरत है.
बात प्रेम की चल रही है तो क्यों ना थोड़ी सी बात देश प्रेम की ही कर ली जाएँ. अब देखो ना पंजाब फाइटिंग के लिए जाना जाता है तो बंगाल राइटिंग के लिए. राजस्थान का नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज है तो महाराष्ट्र जीत के लिए मशहूर है. कर्णाटक का सिल्क तो हरियाणा का मिल्क पूरे विश्व में विख्यात है. केरला के लोगो का दिमाग तो उत्तरप्रदेश के गेंहू का कोई सानी नहीं है. इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश सेब तो उड़ीसा मंदिरों के लिए लोकप्रिय है. मध्यप्रदेश आदिवासी और जनजाति के लिए जाना जाता है तो बिहार संगीत के लिए. जब हिन्दुस्तान में इतना सब कुछ है तो हम को प्यार करने के लिए किसी दूसरी संस्कृति व् दिन की क्या आवश्यकता है. आज जरुरत है तो अपने अन्दर के इंसान और प्यार को जगाने की.
14 फरवरी को वैलेंटाइन डे है कह कर सभी प्यार करने की बात करते है. जबकि सच्चाई यह है की आज कौन किस से प्यार करता है. आज भाई भाई का नहीं है और संतान माँ-बाप की बात सुनती तक नहीं. ऐसे में हम 14 फरवरी को कौन से प्यार की दुहाई देते है. उस प्यार की जो हम न कभी देख सकते है ना समझ सकते है. ऐसा मै इसलिए बोल रहा हूँ की जिस प्यार को हमने देखा और समझा है उसके बारे में तो हम जानते ही नहीं की 14 फरवरी 1931 की सुबह लाहोर में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर लटकाया गया था. यह प्यार नहीं तो क्या था की देश के तीन महान सपूत हँसते-हँसते फांसी पर झूल गए और हमारे मनाने के लिए वैलेंटाइन डे छोड़ गए.
क्या यही प्यार है ?
1. माँ-बाप कहते की बेटा पढ़-लिख कर कुछ बन जाओ तो बुरा लगता है लेकिन अगर यहीं बात गर्लफ्रेंड कहें तो लगता है की केयर करती है.
2. गर्लफ्रेंड के लिए हमेशा माँ-बाप से झूठ बोला जाता है जबकि कभी भी माँ-बाप के लिए गर्लफ्रेंड से झूठ नहीं बोला जाता.
3. यह आज दुर्भाग्य ही है की गर्लफ्रेंड से शादी करने के नाम पर हम माँ-बाप को छोड़ तक देते है लेकिन कभी माँ-बाप के लिए गर्लफ्रेंड को नहीं छोड़ सकते.
4. गर्लफ्रेंड से रोज रात को बात भी करते है और पूछते भी है की खाना खाया क्या लेकिन माँ-बाप के पास बैठने में शर्म आती है और माँ-बाप से कभी नहीं पूछते की खाना खाया की नहीं.
अंत में में इतना ही कहूँगा की प्यार भगवान् है ना की कोई प्यारा. अगर प्यार ही करना है तो अपने माता-पिता से करो. फिर भी कोई गलती हो जाये तो उसको सुधारों क्योंकि माता-पिता ही सब कुछ है.

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2 आपकी गुफ्तगू:

वीना श्रीवास्तव said...

सही कहा आपने...यह तो होता ही है...गर्ल फ्रैंड क्या शादी के बाद भी कमोबेश यही हालत रहती है...

वीना श्रीवास्तव said...

आआपका ब्लॉग भी फॉलो कर रही हूं...

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