कहते है की तलवार की धार कई बार इतना गहरा घाव नहीं देती जितना की जुबान से निकली बोली चोट मार देती है. ऐसा ही कुछ तस्वीरों के साथ भी संभव है. कभी-कभी इतना कुछ हो जाता है की कलम नहीं लिख पाती लेकिन एक छोटी सी तस्वीर सब कुछ बयान कर जाती है. जैसा की आपको पता है की आज कल गुफ्तगू रोचक जानकारिय आप तक पहुंचा रहा है वैसे-वैसे इसके पाठक भी बहुत सी जानकारियों के साथ मेल करने लगे है. हाल ही में मुझे एक मेल मिली थी. मेल का शीर्षक था असमंजस में कलम . पढ़ कर कुछ अजीब सा लगा लेकिन जब मेल खोल कर कवि की सोच और भाव पढ़े तो उंगलिया अपने आप चलने लगी और यह मेल गुफ्तगू पर प्रकाशित हो गई. प्रकाशित भी क्या हुई आदरणीय रूप चन्द्र शास्त्री जी मयंक ने इसको अपने चर्चा मंच में स्थान दिया. जिसके लिए कविता का लेखक और शास्त्री जी दोनों ही बधाई के पात्र है. अब भाई जिसकी कविता उसी को मुबारक और यह मेरे लिए अच्छी बात है की किसी अच्छे कवि की वजह से मेरी गुफ्तगू को चर्चा मंच में स्थान मिला. अब देखो ना हम बात कर रहे थे अजब तस्वीरों के गजब खेल की. तो हाल ही में मुझे एक और मेल मिली. मेल में कुछ तस्वीरे थी जिन्हें देख हँसी भी आ रही थी तो कुछ ऐसा भी लग रहा था की क्या वाकई ऐसा हो सकता है. यह तस्वीरे मैं आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ. आशा है आपको भी उतनी ही रोचक लगेगी जितनी की मुझे लगी है.
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3 आपकी गुफ्तगू:
मजेदार तस्वीरें.
अजब तस्वीरों का गजब खेल देखकर मजा आ गया .......
bahut badhiya - accha laga
Jolly Uncle
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