पिछले दिनों जो कुछ घटित हुआ उससे सिर्फ हिसार ही नहीं अपितु हरियाणा भी पूरे देश-विदेश में सुर्ख़ियों में रहा. कभी जाट समुदाय तो कभी बाल्मीकि समुदाय. इन्ही मामलों पर कभी नेता कोई ब्यान दे रहे थे तो कभी न्यायालय कोई ऐसा कदम उठा रही थी की हर कोई चर्चा में था. ऐसे में जो सबसे अधिक आवाज उठा रहे थे वो थे जाट समुदाय के लोग. कभी वो आरक्षण मांग रहे थे तो कभी मिर्चपुर प्रकरण पर रेल और रास्ता जाम कर रहे थे. आम आदमी के लिए सबसे बड़ी समस्या यह थी की जगह-जगह चार लोग ही रास्ते जाम कर बैठे थे और पुलिस थी की बिलकुल मौन. ऐसे में अगर मैंने समाचार के साथ-साथ अपना ध्येय पूरा करते हुए दूसरे पहलू पर गुफ्तगू की तो क्या गलत किया. अगर किसी समुदाय के विरोध प्रदर्शन से किसी आम इंसान को परेशानी हो रही हो और मै गुफ्तगू ना करूँ मै दोषी, लेकिन अगर गुफ्तगू कर रहा हूँ तो मै दोषी क्यों.
कहते है की लेखक कभी कर्मो से छोटा नहीं होता लेखनी से जरुर छोटा हो सकता है. फिर भी मै गुफ्तगू की शुरुआत में सबसे पहले उनसे क्षमा मांगता हूँ जो मुझे जाट समुदाय पर गुफ्तगू करने का दोषी मानते है. बात कुछ ऐसी है की बीते दिनों हिसार सहित हरियाणा में क्या कुछ घटित हुआ वो आपने ना सिर्फ सुना होगा अपितु देखा भी होगा. इस पर मैंने भी समय-समय पर गुफ्तगू की. वो सब कुछ लिखा जो घटित हुआ. एक समय ऐसा आया जब गुफ्तगू के मुख्य पृष्ठ पर सिर्फ आरक्षण और मिर्चपुर प्रकरण को लेकर ही गुफ्तगू दिखाई दी. ऐसे में एक महिला पाठक ने किसी भी गुफ्तगू पर तो कोई कोमेंट नहीं दिया की यह गलत लिखा गया या ऐसा कैसे लिख दिया, बदले में मुझे एक मेल मिली की आपकी गुफ्तगू यह दर्शाती है की आप जाट समुदाय के प्रति पक्षपात पूर्ण रवैया अपना रहा हूँ और सिर्फ उनके खिलाफ लिख रहा हूँ. क्या यह सही है.
जब मैंने यह मेल पढ़ी तो कुछ अचरज भी हुआ और दुःख भी. ना तो मेरी कभी यह सोच रही की मै किसी के खिलाफ लिखूं और ना ही मैंने इन पोस्टो में ऐसा कुछ लिखा था जो गलत हो. मैंने सिर्फ वहीँ लिखा जो मैंने देखा या वो लिखने का प्रयास किया जो समाचार पत्रों में नहीं छप सकता लेकिन ऐसे कुछ मुद्दों पर गुफ्तगू की जा सकती है. इसके साथ ही मुख्य पृष्ठ पर आजादी, गणतंत्र दिवस, अपराध, क्रिसमस, नववर्ष, युवा, फैशन सहित माँ और उसकी ममता पर ढेरो गुफ्तगू प्रकाशित की गई है. जबकि अन्य गुफ्तगू का यहाँ अम्बार है. ऐसे में मुझे दोष देना कहाँ तक उचित है की मेरी सभी पोस्ट सिर्फ जाट समुदाय के खिलाफ है. यह सब मै उनको मेल के द्वारा भी कह सकता था लेकिन मै इस विषय पर आपके साथ गुफ्तगू करना चाहता था. बावजूद इसके अगर आप भी मुझे दोषी मानते है तो मै जाट समुदाय पर लिखने के लिए उनसे और आप से क्षमा मांगता हूँ.
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कहते है की लेखक कभी कर्मो से छोटा नहीं होता लेखनी से जरुर छोटा हो सकता है. फिर भी मै गुफ्तगू की शुरुआत में सबसे पहले उनसे क्षमा मांगता हूँ जो मुझे जाट समुदाय पर गुफ्तगू करने का दोषी मानते है. बात कुछ ऐसी है की बीते दिनों हिसार सहित हरियाणा में क्या कुछ घटित हुआ वो आपने ना सिर्फ सुना होगा अपितु देखा भी होगा. इस पर मैंने भी समय-समय पर गुफ्तगू की. वो सब कुछ लिखा जो घटित हुआ. एक समय ऐसा आया जब गुफ्तगू के मुख्य पृष्ठ पर सिर्फ आरक्षण और मिर्चपुर प्रकरण को लेकर ही गुफ्तगू दिखाई दी. ऐसे में एक महिला पाठक ने किसी भी गुफ्तगू पर तो कोई कोमेंट नहीं दिया की यह गलत लिखा गया या ऐसा कैसे लिख दिया, बदले में मुझे एक मेल मिली की आपकी गुफ्तगू यह दर्शाती है की आप जाट समुदाय के प्रति पक्षपात पूर्ण रवैया अपना रहा हूँ और सिर्फ उनके खिलाफ लिख रहा हूँ. क्या यह सही है.
जब मैंने यह मेल पढ़ी तो कुछ अचरज भी हुआ और दुःख भी. ना तो मेरी कभी यह सोच रही की मै किसी के खिलाफ लिखूं और ना ही मैंने इन पोस्टो में ऐसा कुछ लिखा था जो गलत हो. मैंने सिर्फ वहीँ लिखा जो मैंने देखा या वो लिखने का प्रयास किया जो समाचार पत्रों में नहीं छप सकता लेकिन ऐसे कुछ मुद्दों पर गुफ्तगू की जा सकती है. इसके साथ ही मुख्य पृष्ठ पर आजादी, गणतंत्र दिवस, अपराध, क्रिसमस, नववर्ष, युवा, फैशन सहित माँ और उसकी ममता पर ढेरो गुफ्तगू प्रकाशित की गई है. जबकि अन्य गुफ्तगू का यहाँ अम्बार है. ऐसे में मुझे दोष देना कहाँ तक उचित है की मेरी सभी पोस्ट सिर्फ जाट समुदाय के खिलाफ है. यह सब मै उनको मेल के द्वारा भी कह सकता था लेकिन मै इस विषय पर आपके साथ गुफ्तगू करना चाहता था. बावजूद इसके अगर आप भी मुझे दोषी मानते है तो मै जाट समुदाय पर लिखने के लिए उनसे और आप से क्षमा मांगता हूँ.
1 आपकी गुफ्तगू:
@ aap dosi nahi hai bilkul nahi
आपको सपरिवार बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
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