अजब तस्वीरों का गजब खेल


कहते है की तलवार की धार कई बार इतना गहरा घाव नहीं देती जितना की जुबान से निकली बोली चोट मार देती है. ऐसा ही कुछ तस्वीरों के साथ भी संभव है. कभी-कभी इतना कुछ हो जाता है की कलम नहीं लिख पाती लेकिन एक छोटी सी तस्वीर सब कुछ बयान कर जाती है. जैसा की आपको पता है की आज कल गुफ्तगू रोचक जानकारिय आप तक पहुंचा रहा है वैसे-वैसे इसके पाठक भी बहुत सी जानकारियों के साथ मेल करने लगे है. हाल ही में मुझे एक मेल मिली थी. मेल का शीर्षक था असमंजस में कलम . पढ़ कर कुछ अजीब सा लगा लेकिन जब मेल खोल कर कवि की सोच और भाव पढ़े तो उंगलिया अपने आप चलने लगी और यह मेल गुफ्तगू पर प्रकाशित हो गई. प्रकाशित भी क्या हुई आदरणीय रूप चन्द्र शास्त्री जी मयंक ने इसको अपने चर्चा मंच में स्थान दिया. जिसके लिए कविता का लेखक और शास्त्री जी दोनों ही बधाई के पात्र है. अब भाई जिसकी कविता उसी को मुबारक और यह मेरे लिए अच्छी बात है की किसी अच्छे कवि की वजह से मेरी गुफ्तगू को चर्चा मंच में स्थान मिला. अब देखो ना हम बात कर रहे थे अजब तस्वीरों के गजब खेल की. तो हाल ही में मुझे एक और मेल मिली. मेल में कुछ तस्वीरे थी जिन्हें देख हँसी भी आ रही थी तो कुछ ऐसा भी लग रहा था की क्या वाकई ऐसा हो सकता है. यह तस्वीरे मैं आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ. आशा है आपको भी उतनी ही रोचक लगेगी जितनी की मुझे लगी है.








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3 आपकी गुफ्तगू:

Udan Tashtari said...

मजेदार तस्वीरें.

Dr. Shashi Singhal said...

अजब तस्वीरों का गजब खेल देखकर मजा आ गया .......

JOLLY UNCLE - Writer & Graphologist said...

bahut badhiya - accha laga
Jolly Uncle

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अंग्रेजी से हिन्दी में लिखिए

तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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