
भारत की जीत के साथ वर्ल्ड कप का आक्रामक आगाज हुआ. शाम होते होते जैसे-जैसे वीरेंद्र सहवाग एक-एक बाल पर रन जुटा रहे थे वैसे-वैसे बाजारों से रौनक ख़त्म होती जा रही थी. एक समय वो आया जब बाजार बिलकुल सुने नजर आने लगे थे. अगर वर्ल्ड कप तक ऐसे ही रहा तो ग्राहकों के भरोसे दो वक्त की रोटी जुटाने वाले दुकानदारों का क्या होगा. अगर पहले मैच में यह हाल था तो आने वाले चार-पांच महीनो में क्या होगा यह सोच-सोच कर मै परेशान था. कुछ यही सोच कर आपसे गुफ्तगू करने बैठ गया. सोचा की शायद आपको ही पता हो की अगर ऐसे ही क्रिकेट पर सट्टा लगता रहा तो आज की युवा पीढ़ी का भविष्य क्या होगा.

क्रिकेट, मैच और सट्टे के साथ आज इनको खेलने का अंदाज भी बदल गया है. आज वो समय नहीं है जब सिर्फ जुआ एक टीम की हार-जीत का लगता था. समय के साथ-साथ आज हर बाल, खिलाडी, ओवर, पावर प्ले, क्वार्टर फ़ाइनल, सिमी फ़ाइनल और यहाँ तक की फ़ाइनल मैच में भी कौन सी टीम पहुंचेगी इस तक का सट्टा लगता है. एक समय वो भी आता है जब एक ही बाल पर या तो हजारों आने की उम्मीद होती है या लाखों लगने की नौबत तक आ जाती है. कुछ भी हो लेकिन इतना जरुर है की सट्टा बाजार के चलते पहले वर्ल्ड कप और इसके बाद होने वाले आईपीएल से लोगो खासकर कर युवाओं को बहुत सी उम्मीदे है.
क्रिकेट मैचो के दौरान एक और जहाँ पुलिस विभाग का काम भी बढ़ जाता है वहीँ यह कहने में भी कोई अतिश्योक्ति नहीं की पुलिस भी इन मैचो का पूरा फायेदा उठाते हुए पैसा-पैसा खेलती है. मैचो के दौरान समाचार पत्रों में यह समाचार आम होता है की पुलिस ने आज छापा मार कर इतने की नगदी पकड़ी और कितने जुआरी पकडे गए. लेकिन यह किसी को नहीं पता होता की इस बीच पुलिसकर्मी कितने ही पैसे डकार जाते है. ऐसा नहीं होता की पुलिस विभाग को नहीं पता हो की सटोरिये कहाँ से अपना नेटवर्क चला रहे है. लेकिन कमी होती है तो सिर्फ सतर्कता की, और जब पैसा हो तो कैसी सतर्कता. सटोरिये भी पुलिस द्वारा की जाने वाली किसी भी कार्यवाही से बचने के लिए मोटी रकम देकर उन्हें पहले ही खुश कर देते है.
इनका रखना होगा ख्याल
वर्ल्ड कप के मद्देनजर भले ही सट्टा बाजार सक्रिय हो गया हो लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं की सट्टे की मालामाल दुनिया से दूर क्रिकेट का जूनून पूरे यौवन पर है. बूढ़े हो या जवान या भले ही हो लडकियां, क्रिकेट का भूत सबके सर चढ़ कर बोल रहा है. इन सबमे वो बच्चे भी शामिल है जो शायद क्रिकेट में ही अपना भविष्य खोज रहे है. ऐसे में अगर सट्टे के कारण भारत यह वर्ल्ड कप अपनी ही धरती पर खेलते हुए नहीं जीत सका तो इन मासूमो के दिल पर क्या बीतेगी यह कोई भी नहीं जानता, लेकिन सोचना और समझना जरुरी हो जाता है की पैसा-पैसा खेलने के साथ-साथ सरकार, प्रशासन, खिलाडी और क्रिकेट बोर्ड खेल और जनता की भावना को जाने.
3 आपकी गुफ्तगू:
काफी लोग यह खेल
खेल रहे हैं!
Miya beebi raazee to kya karega qaazee??
यह तो सब को पता हे फ़िर भी दिवाने हे इस खेल के? क्या करे? बहुत सही लिखा आप ने धन्यवाद
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