ट्रैक्टर पर हो के सवार चला रे


हरियाणा के मुख्यमंत्री प्रदेश के लिए नारा देते है नंबर वन हरियाणा. उनका कहना ठीक है की आज हरियाणा नंबर वन है. लेकिन कोई उनसे पूछे की किस चीज में, तो शायद जो वो कहेंगे उनमे से एक भी चीज में नहीं. ना यहाँ बिजली है, ना पानी. रही-सही कसर सड़के और अपराध पूरी कर देते है. इस पर भी अगर कोई जवाब या सुना-सुनाया जुमला सुना दिया जाये तो मिर्चपुर प्रकरण और जाट आरक्षण की आग अभी तक बुझी नहीं है. तो अब आप कहेंगे की फिर हरियाणा नंबर वन कैसे है. वो ऐसे की पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने प्रदेश में ताबड़तोड़ बेमौसमी रैलियाँ कर हरियाणा को नंबर एक पर ला दिया. उसके बाद इनलो व् हरियाणा जनहित कांग्रेस ने भी प्रदेश में बेमौसमी रैलियाँ कर मुख्यमंत्री हुड्डा का साथ दिया. अब भाजपा भी इसी नक़्शे कदम पर चल रही है. यह तो भविष्य की गर्भ में है की इन रैलियों का किस को क्या फायेदा मिलता है लेकिन इतना जरुर है की जनता सब कुछ देख-समझ रही है की मौजूदा समय में हरियाणा नंबर वन क्यों है.
वैसे राजनितिक तौर पर हरियाणा हमेशा ही नंबर वन रहा है. क्योंकि यहाँ की राजनीति हमेशा तिकोनी रही है. एक समय था जब यह तीन लालो का ढंका बजता था. देवी लाल, भजन लाल और बंसी लाल. लेकिन समय के साथ और बंसी लाल की मृत्यु के साथ हरियाणा विकास पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया. अब बचे दो लाल, उसमे से भजन लाल ने अपनी अलग पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस बना ली. तो अब कुल मिला कर लालो के प्रदेश में ओम प्रकाश चौटाला अकेले कमान संभाल रहे है. ऐसे में कांग्रेस और इनलो हर दम आमने-सामने रहते है. लेकिन इस बीच चर्चा में कोई रहता है तो वो है भजन लाल के पुत्र और हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई. वो समय-समय पर अपने बयानों और क्रिया-कलापों से सुर्खियाँ बटोरते रहते है. कहने को तो वो अपने को प्रदेश का आगामी मुख्यमंत्री बताते है लेकिन यह वो भी भली-भांति जानते है की अकेले मुख्यमंत्री बनना तो दूर प्रदेश की राजनीति में चलना भी उनके लिए बहुत कठिन है.
लेकिन मजे की बात यह है की इन दिनों कुलदीप बिश्नोई किसी साइकिल, जानवर, गाड़ी या पैदल नहीं बल्कि ट्रैक्टर पर बैठ कर प्रदेश का दौरा कर रहे है. आपको यह भी बता दें की चुनाव आयोग द्वारा उनकी पार्टी हजकां का चुनाव चिन्ह बदल कर अब ट्रैक्टर कर दिया है. यहीं कारण है की अब वो जहां कभी भाजपा के डर पर दीखते है तो कभी ट्रैक्टर पर बैठ कर किसी गाँव के दौरे पर. कभी वो रैली में देसी घी का हलवा बाँट रहे है तो कभी महंगाई, भ्रष्टाचार और बिजली-पानी के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार की खिंचाई करते नजर आते है. जबकि बीते विधानसभा चुनावों में हजकां की टिकट पर जीतने वाले 5 विधायक जो अब कांग्रेस में शामिल हो चुके है उनका क्या होगा यह शायद कुलदीप बिश्नोई भी नहीं जानते. इतना जरुर है की इस मुद्दे पर वो सिर्फ मुख्यमंत्री हुड्डा, पांचो विधायको और विधानसभा स्पीकर को सिर्फ कोस ही सकते है. चलो जी अब जब कुलदीप बिश्नोई ट्रैक्टर पर बैठ कर निकल ही पड़े है तो उसकी रफ़्तार क्या रंग दिखाती है यह तो आगामी चुनावों में ही पता लगेगा.

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2 आपकी गुफ्तगू:

Anonymous said...

ये सब नाटक बाज हैं!

shailendra said...

badiya nautanki hai...

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अंग्रेजी से हिन्दी में लिखिए

तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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