जवान सिरफिरे और नेता...


कई दिनों से सोच रहा था की जिस 26/11 को भूल नेता सिर्फ अपनी जेबे भरने में लगे है मै भी उस पर कुछ लिखूं. लेकिन क्या लिखूं और क्यों लिखूं. क्या सिर्फ इसलिए की मै एक भारतीय हूँ या इसलिए की एक पत्रकार का कर्तव्य है की वो सच्चाई को लिख अपना धर्म निभाए.
बात सच्चाई की आती है तो डर भी लगने लगता है. डर इसलिए की सच्चाई बड़ी कडवी होती है. अब कडवा लिखूंगा तो दर्द भी होगा. तो सच्चाई यह है की आज 26/11 का दर्द किस के जहन में है. शायद उनके जिनके चिराग 26/11 के हमले में शहीद हो गए. जबकि आज आम जनता और नेताओ को तो याद भी न आये की 26/11 को देश में क्या हुआ था.
इसका मुख्य कारण यह है की आज नेता हो या राजनेता या भले ही हम हो. सब अपने काम में व्यस्त है. अब देश की इफाजत करने वाले जवान तो सिरफिरे होते है. उनका एक ही मकसद होता है की उनके देश की तरफ कोई बुरी नजर ना देखे. अगर कोई गलती से देख भी ले तो उनमे मादा होता है की वो या तो मर जायेंगे या मार देंगे.
ऐसे में अगर कुछ जवान शहीद भी होते है तो किसी को क्या फर्क पड़ता है. यही कारण रहा की समय निकलता गया और नेता या हम अपने रोजमर्रा के काम के लीन होते गए. लेकिन क्या कभी यह सोचा की इस दौरान क्या बदला. क्या कोई नीति बनी या कोई कार्यवाही ही हुई हो. तो जवाब मिलेगा की कुछ नहीं. तो ऐसी जिंदगी से क्या फायेदा.
तो क्या हम यह मान ले की हम सिर्फ अपने लिए जीते है और सीमा पर खड़ा जवान हम सभी के लिए. जबकि उसी जवान की खैर-खबर रखने वाले नेताओ को तो आज-कल घोटालो से ही फुर्सत नहीं है. कहने का भाव यह है की मुंबई पर हुए हमले के बाद से देश में कितने ही घोटाले हुए. कितने नेता इन घोटालो में संलिप्त है. क्या उनमे से कुछ को भी इस बात का मलाल है की देश रक्षा करते हुए शहीद हुए जवानो को दो मिनट के लिए तो श्रधांजलि दी जाये. नहीं ऐसा नहीं है. अगर ऐसा होता तो आज किसी की क्या हिम्मत की वो मेरे देश की तरफ आँख उठा कर भी देख ले. क्योंकि आज यही नहीं पता की :-
सरकार में घोटाले या घोटालो में सरकार

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1 आपकी गुफ्तगू:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

किसी दिन फौजियों का दिमाग गर्म हो गया तो ये सब ठीक हो जायेंगे.

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