और अब जाट आरक्षण


राजस्थान, दिल्ली और उत्तरप्रदेश में जाटों को मिले आरक्षण के पश्चात हरियाणा में भी जाटों ने आरक्षण की मांग क्या रखी की हिसार सहित पूरे प्रदेश में मानो जैसे चिंगारी ने भयानक आग का रूप ले लिया हो. प्रदेश का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जहा इस आग का धुँआ ना उठा हो. अगर यहाँ बात हिसार की करे तो आग का फैलाव हिसार से ही शुरू हुआ. वैसे तो जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने 13 सितम्बर को प्रदेश के कई स्थानों पर सम्मलेन आयोजित किये थे. हिसार के मय्यड गाँव में हजारो की संख्या में किसानो ने इस सम्मलेन में भाग लिया. किसी भी अनहोनी को टालने के लिए जिला प्रशासन ने पुलिस के पुख्ता इंतजाम किये थे. लेकिन कहते है की अनहोनी को कौन टाल पाया है. इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए जिला पुलिस कप्तान सुभाष यादव व् ग्रामीणों के बीच कहा-सूनी क्या हुई ग्रामीणों ने उग्र रूप धारण कर लिया. इसी का नतीजा था की हिसार-दिल्ली जैसे मुख्य राजमार्ग पर लगभग सात घंटे तक अराजकता का आलम रहा. इस दौरान वो सब कुछ घटित हुआ जिसकी कल्पना कोई आम शांतिप्रिय नागरिक नहीं कर सकता.
आखिरकार वही हुआ जिसका मौके पर मौजूद सभी को खतरा था. जैसे ही आन्दोलन की आग भड़की वैसे ही पुलिस ने आंसू गैस के गोले सहित लाठी चार्ज कर दिया. मामला बिगड़ता देख पुलिस अधीक्षक को फायरिंग के आदेश देने पड़े. इसी बीच एक छात्र सहित अनेको लोग गोली लगने से घायल हो गए जिनमे से दो ने बाद में दम तोड़ दिया. घायल होने वालो में पुलिस कर्मी भी थे. एक बारगी तो ऐसा लगने लगा था की यहाँ शासन और प्रशासन नाम की कोई चीज बाकी नहीं बची है. यही कारण था की पुलिस अधीक्षक से मारपीट सहित उनके कपडे फाड़ना, सड़क पर खड़े वाहनों में आग, दमकल गाडियों को जलाना, पेट्रोल पम्पो को फूंकना, रेलवे ट्रैक को नुक्सान पहुँचाना, प्रशासनिक कर्मचारियों व् महिला पुलिस कर्मियों को बंधक बनाना सहित वो सब कुछ हुआ जो क्षेत्र में फैली अराजकता की दुहाई देने के लिए काफी था. हद तो उस समय हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने तेल से भरे खड़े ट्रक, बैंको, ए.टी.एम., सरकारी व् निजी बसों सहित निजी इमारतो को भी अपना निशाना बनाया.
तू-तू मै-मै से भड़का विवाद
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले ग्रामीण शांतिपूर्ण तरीके से सम्मलेन आयोजित कर जब राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाने के लिए एकत्रित हो थे उस समय पुलिस अधीक्षक के साथ उनकी कहासुनी हो गई. अभी कहासूनी चल ही रही थी की भीड़ में से निकल कर एक महिला ने पुलिस अधीक्षक को तमाचा दे मारा और उनकी वर्दी फाड़ दी. बात तू-तू मै-मै तक बढ गई और कोई नतीजा नहीं निकलने पर पुलिस और ग्रामीणों में जम कर संघर्ष हुआ.
अफवाहों का बाजार रहा गर्म 
वैसे तो जाट समुदाय का यह सम्मलेन पूर्व निर्धारित था लेकिन सोमवार को जो कुछ हुआ वो कल्पना से परे था. यही कारण था की इस दौरान अफवाहों का बाजार पूरे दिन गर्म रहा. इसी के चलते ग्रामीण एक के बाद एक चीज को स्वाह करते चले गए. कुछ समय के पश्चात आगजनी और मौत की अफवाहे जंगल की आग की तरह फैलती चली गई. गोली लगने से घायल हुए छात्र सुनील श्योरान सहित कभी दो तो कभी चार लोगो की की मृत्यु की खबर जैसे ही ग्रामीणों को मिली तो माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण हो गया और ग्रामीणों ने अपनी हिंसात्मक कार्यवाही को और अधिक बढ़ा दिया.

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2 आपकी गुफ्तगू:

माधव( Madhav) said...

reservation is cancer for nation

शिवम् मिश्रा said...


बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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