माँ, ममता और मातृत्व


माँ, ममता और मातृत्व, दुनिया के ये तीनो वो अनमोल शब्द है जिनके बिना आज एक औरत अधूरी समझी जाती है. लेकिन ऊपर वाले ने इन तीनो ही शब्दों को इस तरह पिरोया है की किसी भी शब्द को किसी से अलग नहीं किया जा सकता. यही कारण है की माँ से ममता और ममता से मातृत्व जुड़ा है. अगर किसी औरत के पास इनमे से एक भी चीज नहीं है तो उसका दर्द समझा जा सकता है. ऐसे में एक औरत दिल पर पत्थर रख अपने पति को या तो दूसरी शादी करने पर मजबूर करती है या उसके ससुराल वाले स्वयं तांत्रिको के चक्कर में पड़ जाते है. बात यही ख़त्म नहीं होती. ऐसे में एक औरत को कितनी ही बाते सुननी पड़ती है इस बात से भी हम भलीभांति वाकिफ है. लेकिन कोई इसे कुदरत की देन समझ कर चुप बैठ जाता है तो कोई डाक्टरों के चक्कर काट काट कर अपना शरीर ख़त्म कर लेता है. लेकिन होता वही है जो भाग्य को मंजूर होता है. 
ऐसा ही कुछ हाल हिसार के समीपवर्ती गाँव सातरोड़ निवासी भतेरी देवी का भी था. शादी के 45 वर्षो बाद भी वो इन तीनो ही सुखो से वंचित थी. भतेरी देवी पर कहर जब टूटा जब उनके पति ने बच्चे की चाह में दूसरी शादी की. लेकिन उनकी सभी रिपोर्ट सही होने के बावजूद दूसरी और फिर तीसरी बीवी से उनको संतान सुख नहीं मिला. लेकिन कहते है की ऊपर वाले के यहाँ देर है अंधेर नहीं. यही कारण रहा की अन्य दोनों पत्नियों से संतान सुख नहीं मिलने पर भतेरी देवी के पति देवा सिंह ने उन्हें ही अपने साथ रखा. आखिरकार 66 वर्ष की उम्र में हिसार के नेशनल फर्टिलिटी सेंटर में IVF तकनीक के माध्यम से भतेरी देवी ने गर्भ धारण किया. इसके साथ ही वो दुनिया की सबसे अधिक उम्र में माँ बनने वाली महिला बन गई है. इस उम्र में खतरों को देखते हुए भी भतेरी देवी की बच्चेदानी में तीन भ्रूण डाले गए थे.
डा. अनुराग बिश्नोई ने बताया की पहली दो बार में दो-दो भ्रूण डाले गए थे लेकिन तीसरी बार में तीन भ्रूण डाले गए. जो सफल हो गए. इसके साथ ही 29 मई 2010 को उन्होंने दो पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया.
कितना सही किता गलत
ऐसा नहीं है की इससे पहले इस तरह के प्रयास सफल नहीं हुए हो. लेकिन समय-समय पर इनके खिलाफ आवाज भी उठती रही है. इस पद्धति में जहा महिला की जान को खरता रहता है वही जन्म लेने वाले बच्चे का भविष्य भी ज्यादा सुरक्षित नहीं है. जानकारों की माने तो जन्म लेने वाले बच्चे का विकास बहुत ही धीमी गति से होता है. जबकि बच्चे की जान को खतरा रहता है वो अलग. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. कहते है की किसी भी काम को बनवाने के लिए प्रयास जरुरी है लेकिन भाग्य का साथ भी कही आवश्यक है. प्रयास के बलबूते पर ही भतेरी देवी को तीन बच्चे हुए लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था. यही कारण था की दो पुत्रो में से एक का देहांत हो चुका है.

Related Articles :


Stumble
Delicious
Technorati
Twitter
Facebook

3 आपकी गुफ्तगू:

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

भारत के पूर्व राष्ट्रपति
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिन
शिक्षकदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

Asha Lata Saxena said...

शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |बहुत सटीक रचना ,बधाई |
आशा

Post a Comment

अंग्रेजी से हिन्दी में लिखिए

तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
a
 

gooftgu : latest news headlines, hindi news, india news, news in hindi Copyright © 2010 LKart Theme is Designed by Lasantha