पूरा देश आजादी की 63वी वर्षगाठ मनाने के लिए तैयारियों में जुटा हुआ है.कहीं कलाकार दिन रात एक कर अपनी कला का लोहा मनवाने का प्रयास कर रहे है तो कहीं समारोह में किसी तरह की कोई कोर-कसर ना रह जाये इसके लिए प्रशासन और राजनितिक दलों की और से कमेटिया गठित की जा रही है. इतना भी अवश्य है की जिला व् प्रदेश स्तर पर गठित की गई यह कमेटिया स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को सफल बना देगी.
आज कल संसद में उठ रही महंगाई की गूंज दूर तक सुनाई दे रही है. कोई नेता इसके पीछे किसी अन्य नेता को दोषी बता रहा है तो कोई महंगाई के लिए सरकार को कोस रहा है. बात आजादी की चल रही थी तो कहने का अर्थ यह है की आजाद भारत की आजाद छवि इन दिनों संसद में खूब देखने को मिल रही है. नेता नेता नहीं लग रहा तो सरकार किसी भी मुद्दे पर चूं तक नहीं कर रही. बात बात में केंद्रीय रेल मंत्री ममता बेनर्जी भी नक्सलवाद से घिरी नजर आ रही है.
जिस तरह हमारी आजादी के दिन बढ़ते जा रहे है ठीक उसी तरह देश में भ्रष्टाचार भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. रही भ्रष्टाचारियो की बात तो आज वो प्रत्येक विभाग में घुसे बैठे है. मानो उनका एक ही मकसद है की वो एक कलाकार की भांति यह दिखाने का प्रयास कर रहे हो की वो अपनी कला में कितने माहिर है. यही कारण है की राष्ट्रमंडल खेलो के आयोजको से लेकर हिसार के थर्मल प्लांट में हुए तेल घोटालो में सिर्फ कर्मचारी ही नहीं अधिकारी तक ने देश का सिर झुकाने का प्रयास किया है.
वैसे तो बहुत पहले से ही राष्ट्रमंडल खेलो को लेकर दिल्ली सरकार और इससे जुड़े अधिकारियो पर उंगली उठने लगी थी लेकिन आखिर वो दिन आ ही गया जब सभी को यह पता लगा की इन खेलो को लेकर किस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ था. जो कुछ हो रहा है उससे देख ऐसा लगता है की यहाँ तो अंधेर नगरी चोपट राजा वाली बात है. उधर हिसार स्थित खेदड़ पावर प्लांट से जनता को अभी बिजली मिलनी तो शुरू नहीं हुई लेकिन कर्मचारियो और अधिकारियो की जरुर पौ-बराह हो गई. उन्हें प्लांट से कहीं और से कुछ खाने को नहीं मिला तो प्लांट में आने वाले डीजल में ही घोटाला कर दिया.
फिलहाल पुलिस उनके पीछे है और वो आगे-आगे. अभी तक पुलिस तेल घोटाले के 13 आरोपियों को पकड़ चुकी है जबकि अभी कुछ पुलिस पकड़ से बाहर है. मजेदार घटनाक्रम तो उस समय हुआ जब इस तेल घोटाले में प्लांट का डीजीएम भी दोषी पाया गया. उधर राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के मौजूदा अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और पूर्व अध्यक्ष टीएस दरबारी के बीच शुरू हुआ वाकयुद्ध आजादी को शर्मसार करता नजर आएगा वही भोपाल गैस त्रासदी को लेकर जो कुछ चल रहा है उससे भी आजादी की ख़ुशी काफूर होती नजर आ रही है.
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आज कल संसद में उठ रही महंगाई की गूंज दूर तक सुनाई दे रही है. कोई नेता इसके पीछे किसी अन्य नेता को दोषी बता रहा है तो कोई महंगाई के लिए सरकार को कोस रहा है. बात आजादी की चल रही थी तो कहने का अर्थ यह है की आजाद भारत की आजाद छवि इन दिनों संसद में खूब देखने को मिल रही है. नेता नेता नहीं लग रहा तो सरकार किसी भी मुद्दे पर चूं तक नहीं कर रही. बात बात में केंद्रीय रेल मंत्री ममता बेनर्जी भी नक्सलवाद से घिरी नजर आ रही है.
जिस तरह हमारी आजादी के दिन बढ़ते जा रहे है ठीक उसी तरह देश में भ्रष्टाचार भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. रही भ्रष्टाचारियो की बात तो आज वो प्रत्येक विभाग में घुसे बैठे है. मानो उनका एक ही मकसद है की वो एक कलाकार की भांति यह दिखाने का प्रयास कर रहे हो की वो अपनी कला में कितने माहिर है. यही कारण है की राष्ट्रमंडल खेलो के आयोजको से लेकर हिसार के थर्मल प्लांट में हुए तेल घोटालो में सिर्फ कर्मचारी ही नहीं अधिकारी तक ने देश का सिर झुकाने का प्रयास किया है.
वैसे तो बहुत पहले से ही राष्ट्रमंडल खेलो को लेकर दिल्ली सरकार और इससे जुड़े अधिकारियो पर उंगली उठने लगी थी लेकिन आखिर वो दिन आ ही गया जब सभी को यह पता लगा की इन खेलो को लेकर किस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ था. जो कुछ हो रहा है उससे देख ऐसा लगता है की यहाँ तो अंधेर नगरी चोपट राजा वाली बात है. उधर हिसार स्थित खेदड़ पावर प्लांट से जनता को अभी बिजली मिलनी तो शुरू नहीं हुई लेकिन कर्मचारियो और अधिकारियो की जरुर पौ-बराह हो गई. उन्हें प्लांट से कहीं और से कुछ खाने को नहीं मिला तो प्लांट में आने वाले डीजल में ही घोटाला कर दिया.
फिलहाल पुलिस उनके पीछे है और वो आगे-आगे. अभी तक पुलिस तेल घोटाले के 13 आरोपियों को पकड़ चुकी है जबकि अभी कुछ पुलिस पकड़ से बाहर है. मजेदार घटनाक्रम तो उस समय हुआ जब इस तेल घोटाले में प्लांट का डीजीएम भी दोषी पाया गया. उधर राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के मौजूदा अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और पूर्व अध्यक्ष टीएस दरबारी के बीच शुरू हुआ वाकयुद्ध आजादी को शर्मसार करता नजर आएगा वही भोपाल गैस त्रासदी को लेकर जो कुछ चल रहा है उससे भी आजादी की ख़ुशी काफूर होती नजर आ रही है.
2 आपकी गुफ्तगू:
"पूरा देश आजादी की 53वी वर्षगाठ मनाने के लिए ......."
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कृपया सुधार कर लीजिएगा!
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शायद टंकण की गलती से 63 की जगह 53 हौ गया होगा!
आज देश में आम इन्सान आजाद नहीं हैं ! आम इन्सान कैद है अपनी समस्याओं में ! गुलाम है दकियानूसी प्रथा और रीति -रिवाजों का ! आज तक आजाद नहीं हुआ उस विकृत मानसिकता का जो इंसानियत पर एक बदनुमा दाग लगाती हैं ! आज भी आजाद नहीं है वह औरतें जो दहेज़ लोभी घरों में कैद हैं, सिर्फ किसी के लालच के कारण ! आम आदमी आजाद नहीं है, आज के दूषित वातावरण में ! आम इन्सान भूल गया अपनी असली आजादी का मतलब !
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