बाढ़, सरकार और नेता


हरियाणा में जिसके पानी को राजनितिक दलों ने आज तक अपनी राजनितिक चमकाने के लिए सिर्फ मुद्दा बनाये रखा, उसी नहर के पानी ने आज फिर से राजनितिक दलों को मुद्दा दे दिया है. मुद्दा यह नहीं की उस नहर के पानी को हरियाणा का किसान कैसे उपयोग करेगा या कब से करेगा बल्कि मुद्दा यह है की उस नहर के पानी से हुई तबाही के लिए प्रदेश सरकार किसानो को 15 हजार करोड़ से अधिक का मुआवजा दे. जी हां हम यहाँ बात कर रहे है हर चुनाव में अपना रंग दिखाने वाली एसवाईएल नहर का. यह नहर हरियाणा के प्रत्येक चुनावों में मुद्दे का काम करती है. लेकिन पिछले एक सप्ताह से बाढ़ की स्थिति झेल रहे अम्बाला, कुरुक्षेत्र, कैथल और फतेहाबाद जैसे जिलो सहित देश-प्रदेश के अनेको नेताओ को बाढ़ और उससे हुए नुक्सान पर वाकयुद्ध करने के लिए इस नहर ने एक और मुद्दा दे दिया है.
मुद्दे के बावजूद 
वैसे तो पानी और बिजली ऐसे दो मुख्य मुद्दे है जिनका हरियाणा के साथ चोली-दामन का साथ है. पंचायत चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावो तक में इन दोनों ही मुद्दों की गूंज सुनी जा सकती है. बावजूद इसके आज तक ना तो हरियाणा के किसानो को एसवाईएल का पानी मिला और ना ही प्रदेश का किसान हांसी-बुटाना लिंक नहर के पानी का सही से इस्तेमाल कर पाया. दोनों ही नहरों के पानी को लेकर अपनी राजनीति चमकाने वाले हर नेता और दल के लिए मुख्य मुद्दा होने के बावजूद आज चार जिलो सहित प्रदेश की जनता पानी की पीड़ा पर भारी पड़ रही राजनीति को सहने को मजबूर है.
तबाही ही तबाही
आज तक के समाचारों को पढ़-सुन कर तो यही लगता है जहा भी बाढ़ का पानी पहुंचा है वह हर तरफ तबाही ही तबाही नजर आ रही है. खेतो में खड़ी फसले जहा नष्ट हो चुकी है वही कई लोग अब तक काल का ग्रास बन चुके है. इतना जरुर है की अनाज पर राजनीति करने वाले नेताओ की जुबान पर भी ताले लग चुके है. क्योंकि अब तक हजारो टन अनाज पानी लगने से खराब हो चुका है. उधर हजारो लोगो के बेघर होने का भी समाचार है. अभी पहले वाला पानी निकला नहीं और हर घंटे जहा वह अपना कहर बरपा रहा है वही मौसम विभाग ने चेतावनी दी है की एक-दो दिन में मानसून फिर से दिक्कत कर सकता है.
ऐसा तो सभी कर रहे है 
चुनाव हुए, नेता चुने गए और सरकार बन गई. नेताओ ने पांच साल तक क्या किया किसी को पता नहीं चलता. सरकार ने कितने विकास किये जनता पांच साल के उपरान्त भूल जाती है. लेकिन प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज काम कर रही है यह तो तभी पता चलता है जब ऐसी कोई त्रासदी से जनता को दो-चार होना पड़ता है. आज प्रदेश में जो कुछ हो रहा है उससे देख तो नहीं लगता की अभी तक प्रदेश में सरकार है. बाढ़ को आये एक सप्ताह होने को आया और अब तक विभिन्न पार्टियों के नेता जिनमे हजंका सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई शामिल है बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो का हवाई सर्वेक्षण कर चुके है. उधर इनलो, भाजपा और हजंका सहित अनेक राजनितिक दलों के नेता मौके पर जाकर जनता का दुःख बाँट चुके है. 
ऐसा कुछ हो की लगे की सरकार है
अभी तक जो सभी ने किया है प्रदेश सरकार के मुखिया ने भी कुछ-कुछ वैसा ही किया है. भले ही उस काम की शुरुआत उन्होंने पहले की हो लेकिन हुड्डा जी ऐसा कुछ ख़ास अभी तक नहीं कर पाए की लगे की यह काम सरकार की तरफ से किया गया है. प्रदेश में कोई सरकार काम कर रही है या करती है इसका एहसास जनता को तभी होता है जब सरकार जनता की आशाओं पर खरा उतारे. लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो का हवाई दौरा करने और जनता का दर्द सुनने के अलावा मुख्यमंत्री हुड्डा व् केंद्र सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया की लगे की सरकारे काम कर रही है. अगर कुछ किया तो सिर्फ इतना की प्रदेश सरकार केंद्र से मदद के रूप में करोडो रूपए की मांग है.

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1 आपकी गुफ्तगू:

संजय भास्‍कर said...

प्रदेश सरकार केंद्र से मदद के रूप में करोडो रूपए की मांग है.
maang to ki hai par wo paisa unhe milga ya nahi
gerenti nahi hai....

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