गर्मी, खान-पान और आवभगत


उत्तर भारत में इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है. कोई विरला ही ऐसा होगा जो इस भीषण गर्मी के प्रकोप से बचा हुआ होगा. ऐसा नहीं है की इस गर्मी में हम कोई ठंडा खाद्ध प्रदार्थ खा कर या पी कर गर्मी दूर नहीं कर सकते. आप भी कहेंगे की बाजार में ऐसी बहुत सी वस्तुए है. मैं भी यही मानता हूँ. लेकिन क्या करू दिल है की मानता ही नहीं. आज दिन-प्रतिदिन बढती गर्मी ने जहाँ जीना मुहाल कर दिया है वही इस गर्मी में महमानों की आवभगत करना भी मुश्किल हो गया है. उत्तर भारत में आज परा 46 डिग्री से पार जा चुका है जबकि अभी मई शुरू ही हुई है. उधर बिजली-पानी के बिना जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. ऊपर से संकट इस बात का की जब बिजली होती है तो पानी नहीं आ रहा होता और जब पानी आता है तो बिजली इसलिए काट दी जाती है की आम जनता पानी भर सके. अब कोई इन्हें बताने वाला हो की आज घरो में बिना मोटर के पानी कैसे भरा जाये. इसका हल प्रशासन ने यह निकाला की सुबह तीन या चार बजे पानी देने लगे. अब इतनी जल्दी उठ कर आम जनता कैसे पानी भरे. लेकिन चलो जी सरकार और प्रशासन के आगे किसकी चली है.
अब रही बात खान-पान की. एक तो भगवान् ऊपर से गर्मी इतनी बरसा रहा है की हर पल पानी की घूंट पीने का दिल करता है. अब पानी तो है नहीं और जो थोडा बहुत है वो गन्दा सप्लाई किया जाता है. इस पर आम जनता क्या करें. जबकि भगवान् के रूप में पूजा जाने वाला किसान भी आज जनता पर तरस नहीं खा रहा है. मोटी कमाई के चक्कर में आज वो खेती से मजाक करने लगा है. इसमें सारा कसूर किसान का भी नहीं है. हम है की अनाज से लेकर फल-फ्रूट तक हम आज विदेशी मांगने लगे है. अनाज है तो एक-एक दाना टना-टन चाहिए और फल है तो ऐसा हो की देखते ही खाने की इच्छा हो. यही कारण है की आज किसान ने अपनी फसल को हमारी मांग के अनुरूप बनाने के लिए विदेशी टीको ( आक्सीटोन ) का उपयोग करना शुरू कर दिया है. वो यह भूल गया है क्यों उसे भगवान् का दर्जा दिया जाता है. आज उसे मतलब है तो सिर्फ पैसो से. ऐसा ही कुछ हाल शीतल पेयों का है. भारी मात्रा में शुगर, कीटनाशक और शरीर की हड्डियों को गलाने वाले कैमिकल के कारण इन्हें पीना मौत को गले लगाने के बराबर है. बावजूद इसके आज इनका उपयोग रुक नहीं रहा है.
अब आप ही बताये जो हाल मैंने आपको सुनाया है ऐसे मे आप इतनी गर्मी में घर में आये महमानों की आवभगत कैसे करेंगे. उनको कुछ नहीं खिलाया तो हँसी होगी और कुछ खिलाया तो पहले यह सोचना पड़ता है की क्या खिलाया जाये. ऐसा इसलिए की पानी घर में है नहीं. और जो थोडा बहुत है वो अपने लिए भी चाहिए. भले ही वो सप्लाई से आया गन्दा पानी हो. उसके बाद नंबर आता है शीतल पेय का. तो बाबा रामदेव की मेहरबानी है की किसी को यह ना पता हो की शीतल पेय शरीर को कितना नुक्सान करता है. अब मेहमानों को देने के लिए बचा फल-फ्रूट. जिसमे आप गर्मी के मौसम में पपीता, तरबूज, निम्बू पानी, खरबूजा व् फल में सेब, अनार, आम सहित अनेको चीजे दे सकते हो. लेकिन आप यह भली-भांति पता है की जो दिखने में बढ़िया फल-फ्रूट आप अपने महमानों को परोसने के लिए लाये हो वो सभी आक्सीटोन टीको से ऐसे बने है की आपको देखते ही पसंद आ गए. तो अब आप ही बताये की इतनी गर्मी में आप क्या खा कर स्वस्थ रहेंगे और क्या खिला कर मेहमानों को खुश करेंगे.

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1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत ही उपयोगी आलेख!
शायद कुछ शीतलता मिल जाये!

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