डर सा जो लगने लगा है


अभी कुछ दिनों पहले तक की बात है. मैं रात को अपने कार्यालय में बैठा गुफ्तगू किया करता था. मेरे अपने व् मिलने वाले इस बात को लेकर अक्सर मुझे टोकते की आज कल रात को सुनसान सड़क पर अकेले बैठ कर काम करने का समय नहीं है. कल को कोई अनहोनी हो गई तो किसी को क्या जवाब देगा की रात को 10 बजे तक अपने कार्यालय में बैठ कर क्या किया करता. फ्री में ब्लोगिंग ही करनी है तो समय से काम निपटा लिया करो और घर चले जाया करो. मैं उन्हें अक्सर कहता की कोई मुझ से क्या लेकर जायेगा और मुझे भला क्या कहेगा. आखिर पत्रकार हूँ और चलता सड़क है और समय भी 10 ही तो बजते है. इसलिए डरने की कोई बात नहीं है.
शहर में होने वाली छोटी-छोटी वारदातों को
नजरअंदाज कर मैं लम्बे अरसे से सभी की बातो को अनसुना कर रात को गुफ्तगू किया करता.
रविवार होली वाले दिन की बात है. मैं अपने कार्यालय में बैठा होली पर गुफ्तगू कर रहा था की कुछ दोस्त मिलने आ धमके. बोले तुझे तो आज कल समय है नहीं हम ही होली की बधाई देने आ गए. दोस्तों का अचानक आना अच्छा भी लगा लेकिन जैसे ही उन्होंने सुनसान सड़क पर मेरा कार्यालय और मुझे अकेले बैठे देखा तो हो गए शुरू किच-किच करने. जो मुझे गवारा नहीं लगा. लेकिन त्यौहार पर कुछ भी कहना मुझे सही नहीं लगा सो सुनता गया. जैसे-जैसे उनकी बाते आगे बढ़ी मुझे कुछ-कुछ समझ भी आने लगा की एक तो आज रविवार है दूसरा होली के कारण सड़क सुनसान सी हो गई है. कल को कोई मनचले त्यौहार पर मेरे कार्यालय में आकर किसी अनहोनी को अंजाम दे उससे अच्छा है की इनकी बात मान लूँ. लेकिन तभी दिल के किसी कोने से आवाज आई की अगर में ऐसे करने लगा तो गुफ्तगू कर ही नहीं पाऊंगा. रात को सभी मना करते है और दिन में ये काम नहीं करने दे रहे.
मैंने जब उन्हें अपने दिल की बात से अवगत करवाया तो एक दोस्त बोला की भैया आज दिन में भी आदमी सुरक्षित नहीं है और तू तो रात-रात भर काम करता है. अभी कुछ दिनों पहले मेरे बाजार में एक रेडीमेड की दुकान पर चार-पांच लड़के आये और बदमाशी के दम पर दुकान स्वामी से लगभग 2000 रूपए कीमत का सामान मात्र 500 रूपए में ले गए. उसमे भी उसको धमकी दे गए है की ये रख ले वरना इनसे भी जाता रहेगा. इस किस्से में मजेदार बात यह थी की जैसे ही ये लोग आये आते ही उन्होंने दुकान में रखी दो टी-शर्ट उठा कर अपने थैले में रख ली. उसके बाद उन्होंने लगभग 1500 रूपए कीमत की दो जींस पसंद कर ली और 500 रूपए देकर चलते बने. भरे बाजार का यह किस्सा सुनते हुए दोस्त ने कहा की अब तू सोच अगर कोई चार-पांच युवक गुप्ती के साथ किसी के पास आ जाये तो क्या वो बोल पायेगा.
यह किस्सा सुन कर भी मैंने सोचा की कोई बात नहीं छुट-मुट घटनाये तो होती रहती है. जिंदगी के 12 साल इन्ही घटनाओ पर ही तो पत्रकारिता की है. डरने की क्या जरुरत है.
अभी दो दिन पुरानी बात है. शुक्रवार को चोरो ने एक घर को निशाना बनाते हुए 20 लाख के माल पर हाथ साफ़ किया तो शनिवार को जब एक दुकान स्वामी दुकान से घर लौट रहा था तो दो-तीन युवको ने चाकू के दम पर उसे रोका और नकदी सौपने की बात कही. थोड़ी आनाकानी करने पर दुकान स्वामी को जहा चाकू का जख्म झेलना पड़ा वही नकदी से भी हाथ धोना पड़ा. एक और लुटेरे जहा इस घटना को अंजाम दे रहे थे वही साढ़े दस बजे शहर के बाजार में ही दो युवक मोटर साइकिल पर एक सुनार की दुकान पर आये और बन्दुक की नोक पर दुकान पर रखा पांच लाख का सोना उड़ा ले गए. दुकान पर काम कर रहे दो-तीन युवक जब तक माजरा समझ पाते तब तक दोनों लुटेरे फरार हो चुके थे. रविवार को नगर में यही चर्चा थी की अगर ऐसे ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब आम आदमी का जीना दूभर हो जायेगा. पुलिस का क्या है दिल किया तो चोर और लुटेरो को पकड़ लिया वरना केस चल रहा है.

अब फिर मेरी बारी थी
जैसे-तैसे कर मैंने हिम्मत जुटाई और दो तीन लुट के यह किस्से मेरे मिलने वालो को बताये. साथ ही मेरा दर्द भी बताया की मैं भी रात को अपने कार्यालय में अपनी साईट पर गुफ्तगू करता हूँ. तो कुछ का कहना था की यह तो गलत है तो कुछ ने कहा की चल तेरी बात मान भी ली की वो तेरे पास से क्या ले जायेंगे लेकिन भाई साहब ये जो 30000 का लेपटॉप रखा है ये ले गए तो भी बहुत है. बात कुछ-कुछ समझ में आई और अपना सा मुंह लेकर घर आ गया. लगा की हर बात मेरे ऊपर ही आकर ख़त्म हो जाती है. तो क्या मैं वाकई ही गलत कर रहा हूँ. या फिर युवाओं को इस गर्त में धकेलने के लिए यह महंगाई दोषी है. आज नौजवान युवक या तो अपराध की दलदल में फंस रहे है या बेरोजगारी को दूर करने का यह शोर्टकट रास्ता उन्हें भाने लगा है. जो भी है वो ठीक नहीं है और आने वाला समय इस से भी खतरनाक है.

Related Articles :


Stumble
Delicious
Technorati
Twitter
Facebook

2 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सशक्त अभिव्यक्ति!

नारी-दिवस पर मातृ-शक्ति को नमन!

Unknown said...

सन्देश अच्छा दिया है आपने एक तरफ आपनी बात भी कह दी और दूसरी तरफ आज कल के युवक गलत पथ चुन रहे हैं ये भी बता दिया अच्छी अभिव्यक्ति .

विकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com

Post a Comment

अंग्रेजी से हिन्दी में लिखिए

तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
a
 

gooftgu : latest news headlines, hindi news, india news, news in hindi Copyright © 2010 LKart Theme is Designed by Lasantha