मेरा ब्लॉग एक वर्ष का


मेरे ब्लॉग का जन्मदिन आया और चला भी गया. पता ही नहीं चला की कैसे यह एक वर्ष बीत गया. उससे ज्यादा दुःख मुझे इस बात का है की मैं अपने प्यारे से ब्लॉग का जन्मदिन नहीं बना पाया. इस एक वर्ष में जहा मैंने अपने ब्लॉग को एक बच्चे की तरह पाला वही उससे ज्यादा प्यार मुझे और मेरे ब्लॉग को अपने पाठको के साथ-साथ गुफ्तगू करने वाले साथियों और समर्थको का भी मिला. कोमेंट की ज्यादा लालसा तो नहीं थी लेकिन मेरी गुफ्तगू को जिस तरह से मुझसे उम्र और तजुर्बे में बड़े लोगो ने सराहा है उनका मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ. इस बात में कोई दो राय नहीं की उड़न तस्तरी वाले समीर लाल जी, संगीता पुरी जी, रूप चन्द्र शास्त्री जी और अदा जी सहित अनेको वरिष्ठ ब्लोगरो ने समय-समय पर
गुफ्तगू कर मेरा हौसला बढाया है. बतौर पत्रकार पाक्षिक पत्रिका में 15 दिन में एक बार समाचार देने से मन उबने लगा था सो एक दिन मेरे ब्यूरो चीफ ने मुझे ब्लॉग के बारे में सुझाया. उनका सुझाव जहा मुझे अच्छा लगा वही यह बात दिल में घर कर गई की अब मैं दिल खोल कर गुफ्तगू कर सकता हूँ. सो मैंने ब्लॉग का नाम गुफ्तगू रख दिया.
दिल को बड़ा सुकून मिला. जब धीरे-धीरे ब्लोगिंग का रंग चढ़ने लगा तो पता लगा की यह दुनिया का एक ऐसा अजूबा है की यहाँ स्वयं ही संपादक और खुद ही पत्रकार है. शुरूआती झटको के बाद धीरे-धीरे ब्लोगिंग के गुर आने लगे तो लेखनी के साथ-साथ गुफ्तगू करने का तरीका भी सुधरने लगा. मेरे ब्लॉग के जन्मदिन पर मै यही कह सकता हूँ की आज दिल में एक तसल्ली है की कोमेंट भले ही ना मिले लेकिन गुफ्तगू तो गुफ्तगू है. सिर्फ समझ में आनी चाहिए की क्या गलत है और क्या ठीक. क्योंकि समाचार का दूसरा पहलु तो भैया समझना पड़ता है. बताता कोई नहीं. इस एक वर्ष में मैंने 126 गुफ्तगू की जिसके बदले मुझे प्यार स्वरूप 77 कोमेंट मिले और 17 समर्थक. विभिन्न विषयों पर की गई मेरी गुफ्तगू के साथ-साथ हिसार की गुफ्तगू और फोटो गैलरी को कई लोगो ने पसंद किया. तो ताजा गुफ्तगू को भी अब तक 5 कोमेंट मिल चुके है. जो मेरे प्रयास को सफल बताने के लिए बहुत है. अंत में इतना ही बताना चाहूँगा की ब्लोगिंग का सब से बड़ा दुःख मुझे उस समय हुआ जब हिसार की अतिरिक्त जनसुचना अधिकारी ने एक बार मुझे कहा की मैं ब्लॉग नहीं पढ़ती क्योंकि लोग ब्लॉग पर कुछ भी लिख देते है. अगर अच्छी गुफ्तगू ही करनी है तो यह ब्लागस्पाट हटाओ और एक अच्छी साईट बनाओ.
यही कारण है की आज मुझे अपने नाम ( www.gooftgu.blogspot.com ) की जगह ( www.gooftgu.co.nr ) करवाना पड़ा. दो दिन पूर्व ही मुहे यह नाम मिला है. जैसे ही मैंने यह नाम अपने कुछ परिचितों को बताया तो उनमे से एक ने मुझे आज बताया की एक वर्ष हो गया यह साईट बनाये और आज तक बताया ही नहीं. तब कहीं जाकर मुझे पता लगा की आज मेरे ब्लॉग का जन्म दिन है. SO HAPPY BIRTH DAY GOOFTGU

क्या ख़त्म हो सकता है भ्रष्टाचार
मेरे एक मित्र ने आज मुझ से पूछा की क्या देश में भ्रष्टाचार ख़त्म हो सकता है. मैंने कहा ऐसा तो किसी देश में भी नहीं हो सकता. फिर भारत किस खेत की मूली है. यहाँ तो ऊपर से लेकर नीचे तक सभी भ्रष्टाचार में लिप्त है. और तू कहता है की भ्रष्टाचार ख़त्म हो सकता है. वो हँसने लगा. मैंने सोचा की यह तो पगला लिया है. उसने कहा एक तरीका है अगर तू इस को अपनी साईट पर जगह तो मैं बताता हूँ की भ्रष्टाचार कैसे ख़त्म हो सकता है. मैंने उसकी हँसी और हौसला देख हामी भर दी. तभी वो तपाक से बोला की अगर देश में 10, 20 और 50 से बड़े नोट बंद हो जाये तो भ्रष्टाचार ख़त्म हो सकता है. मैंने कहा वो कैसे. उसने कहा की जो बड़े नेता और अधिकारी मोटी घुस खाते है जब बड़े नोट ही नहीं होंगे तो इतनी बड़ी रकम कैसे भुगताई जाएँगी. बात कुछ समझ में आई और मैं उसकी तरफ देखता रह गया. लेकिन उसको पता ही नहीं था की वो मजाक-मजाक में कितनी पते की बात कर गया था.

Related Articles :


Stumble
Delicious
Technorati
Twitter
Facebook

1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

ब्लॉग का एक वर्ष पूर्ण होने पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

Post a Comment

अंग्रेजी से हिन्दी में लिखिए

तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
a
 

gooftgu : latest news headlines, hindi news, india news, news in hindi Copyright © 2010 LKart Theme is Designed by Lasantha