शायद बाबा - 94 को मौत ने ही बुलाया था


मैं आज अपनी 100वी गुफ्तगू लिख रहा हूँ. दिल में बड़ी ख़ुशी सी है कि मैंने 100 गुफ्तगू में आपसे दिल कि अपनी हर वो बात कही जो या तो समाचार थे या उनका दूसरा पहलु वो था जिसके बारे में हम सोचते तो अक्सर थे लेकिन समझ नहीं पाते थे. अब वो तो आप गुफ्तगू करेंगे कि क्या मैं अपने मकसद में कामयाब हो पाया या नहीं. कृपया बताये कि मुझ में कहा कमी रही और मैं कहा ठीक रहा. इस दौरान मैंने आपसे अपराधिक, राजनितिक, सामाजिक, प्रशासनिक सहित हर वो गुफ्तगू कि जो मेरा लक्ष्य था. अब मुझे इंतजार है तो सिर्फ आपकी गुफ्तगू का.
कहते है कि मौत से आज तक कोई नहीं लड़ पाया है. यही कारण है कि भले ही बाबा - 94 ने भलाई कर जनता का दिल जीत लिया हो लेकिन वो मौत से नहीं जीत सके. बताने वालो ने बताया कि बाबा अक्सर घर से बाहर ही कही सोते थे. लेकिन बुधवार को शायद मौत ने ही उनको बुलाया था कि वो सट्टे का नंबर जानने आये तीनो युवको को घर पर ही मिल गए. उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व अपनी हत्या प्रयास
के चलते बाबा रात्रि को अक्सर इधर-उधर ही कही सोया करते. जिसका किसी को पता नहीं होता था.

क्या हुआ था बाबा के साथ
कुछ समय पूर्व बाबा के पास कोई सट्टे का नंबर लेने आया. जैसा कि बाबा के बारे में बताया गया है कि बाबा कोडवर्ड में नंबर बताया करते उसके साथ भी बाबा ने ऐसा ही किया. बाबा ने उसे कोड के जरिये नंबर तो बता दिया लेकिन या तो वो नंबर समझ नहीं पाया या फिर यह भी कह सकते है कि बाबा द्वारा बताया नंबर लगा ही नहीं. कहते है कि नंबर पूछने वाला ऊँची पहुच रखता था यही कारण था कि उसने नंबर पर 5000 रूपए के करीब लगा दिए. लेकिन नंबर नहीं आने पर उसने अपने साथियो के माध्यम से बाबा को उठा लिया. इस दौरान उन्होंने बाबा को मारने कि कोशिश भी कि. लेकिन किसी तरह बाबा ने अपनी जान बचाई. इसके बाद बाबा अक्सर रात अक्सर इधर-उधर ही सोया करते. लेकिन उस रात शायद बाबा कि मौत.....

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1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

गुफ्तगू के शतक के लिए बधाई!

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