खट्टी - मीठी यादों के साथ साल 2011 हमको अलविदा कह गया. बहुत सी यादें छोड़ गया तो बहुत कुछ करने को सपने दे गया. लेकिन जाते-जाते यह हिसारवासियों को शर्मसार कर गया. शर्मसार सिर्फ इसलिए नहीं की हिसार ए फिरोजा की धरती पर साल गुजरते-गुजरते गुंडागर्दी के साथ-साथ जम कर तोड़-फोड़ हुई बल्कि यह दूसरा मौका था जब देश की "ए" ग्रेड यूनिवर्सिटी में "सी" ग्रेड काम हुआ. 31 दिसंबर की रात से पहले कुछ माह पूर्व जब गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में कुछ गैर शिक्षक कर्मचारियों ने शिक्षकों को पीटा, उसे देख यह गुफ्तगू आम थी की कौन कह सकता है की यह तकनीकी विश्वविद्यालय "ए" ग्रेड विश्वविद्यालय की श्रेणी में आता है. जबकि 31 दिसंबर की रात 11:59 पर गुजवि में जो कुछ हुआ वो वाकई शर्मसार करने वाला था.
देश के कोने-कोने से गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में पढने आये छात्रों को उनके परिजनों ने मात्र इसलिए भेजा था की हिसार ए फिरोजा की धरती पर जाकर उनके बच्चे अच्छे संस्कारों के साथ अपने उज्जवल भविष्य का आइना देखेंगे, लेकिन उन्हें क्या पता था की शराब के नशे में धुत उनके बच्चे 50 से अधिक कमरों के शीशे, दरवाजे तोड़ देंगे. इस दौरान आरोपी युवकों ने ना सिर्फ होस्टल वार्डन के कमरे, स्नानघर, कैंटीन सहित सभी जगह के बिजली उपकरणों सहित सारे सामान की तोड़ फोड़ की बल्कि बाद में टूटे सामान को होस्टल के बाहर ले जाकर उसे जला दिया. होस्टल नंबर 1 में नव वर्ष के आगमन पर हास्टल में रहने वाले और बाहर से आए युवकों ने खूब गुंडागर्दी और दहशतगर्दी फैलाई.
हास्टल में गुंडागर्दी और दहशत फैलाने वाले युवकों को जो सामान सामने दिखा उसे तोड़ते चले गए. उनकी जुबान से एक ही बात निकल रही थी कि यहां के हम हैं डॉन, और नए साल का जश्न डॉन ऐसे ही मनाते हैं. यह घटना जितनी शर्मनाक है उससे भी ज्यादा शर्म की बात तो यह है की गुजवि प्रशासन ने विश्वविद्यालय में पढने वाले हजारों बच्चो की परवाह किये बिना अज्ञात युवकों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया. हालांकि जिस हास्टल में यह वारदात हुई उस हास्टल के सैकड़ो बच्चे इस घटना के गवाह है. इतना ही नहीं इस वारदात के प्रत्यक्षदर्शी वो सुरक्षा कर्मी भी है जो रात को डयूटी पर तैनात थे. मजेदार बात तो यह है की प्रशासन ने यह जानने का प्रयास तक नहीं किया की तोड़-फोड़ और गुंडागर्दी करने वाले युवक आखिर कौन थे.
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देश के कोने-कोने से गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में पढने आये छात्रों को उनके परिजनों ने मात्र इसलिए भेजा था की हिसार ए फिरोजा की धरती पर जाकर उनके बच्चे अच्छे संस्कारों के साथ अपने उज्जवल भविष्य का आइना देखेंगे, लेकिन उन्हें क्या पता था की शराब के नशे में धुत उनके बच्चे 50 से अधिक कमरों के शीशे, दरवाजे तोड़ देंगे. इस दौरान आरोपी युवकों ने ना सिर्फ होस्टल वार्डन के कमरे, स्नानघर, कैंटीन सहित सभी जगह के बिजली उपकरणों सहित सारे सामान की तोड़ फोड़ की बल्कि बाद में टूटे सामान को होस्टल के बाहर ले जाकर उसे जला दिया. होस्टल नंबर 1 में नव वर्ष के आगमन पर हास्टल में रहने वाले और बाहर से आए युवकों ने खूब गुंडागर्दी और दहशतगर्दी फैलाई.
हास्टल में गुंडागर्दी और दहशत फैलाने वाले युवकों को जो सामान सामने दिखा उसे तोड़ते चले गए. उनकी जुबान से एक ही बात निकल रही थी कि यहां के हम हैं डॉन, और नए साल का जश्न डॉन ऐसे ही मनाते हैं. यह घटना जितनी शर्मनाक है उससे भी ज्यादा शर्म की बात तो यह है की गुजवि प्रशासन ने विश्वविद्यालय में पढने वाले हजारों बच्चो की परवाह किये बिना अज्ञात युवकों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया. हालांकि जिस हास्टल में यह वारदात हुई उस हास्टल के सैकड़ो बच्चे इस घटना के गवाह है. इतना ही नहीं इस वारदात के प्रत्यक्षदर्शी वो सुरक्षा कर्मी भी है जो रात को डयूटी पर तैनात थे. मजेदार बात तो यह है की प्रशासन ने यह जानने का प्रयास तक नहीं किया की तोड़-फोड़ और गुंडागर्दी करने वाले युवक आखिर कौन थे.
1 आपकी गुफ्तगू:
Hadso ka nahi... Gundon ka shahar kahiye janab....
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