एकाएक
वह महान् हो गया।उसकी कवितायें पोस्टर बन गयीं
और पुस्तकों की लग गयी प्रदर्शनी।
उसके विचार दर्शन बन गये और वह
आम कवि से मसीहा बन गया।
इसके लिये उसने कुछ नहीं किया
बस, वह अपना नश्वर शरीर छोड़ गया।
मैं शर्म से गड़ गया कि
यदि लोकप्रिय होने का यही है नुस्खा
तो उसकी जगह मैं क्यों न मर गया ?









































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