सभी को पता है की फरवरी आने को है. आप कहेंगे की यह तो प्रतिवर्ष आती है. तो यह भी पता होगा की फरवरी आते ही युवा मचलने लगते है. इन दिनों में लड़के-लड़कियों के बीच गुफ्तगू बढ़ने लगती है. अब गुफ्तगू होगी तो उसे आप तक पहुँचाना मेरा फर्ज बन जाता है. अब देखो ना फरवरी के मद्देनजर आज कल मोबाइल पर जोक्स या अन्य मैसेज कम और वैलेंटाइन डे, रोज डे व् चोकलेट डे सहित और ना जाने कौन-कौन से डे के मैसेज आने शुरू हो गए है.
आज कल इंग्लिश त्यौहारों खासकर डे का प्रचलन कुछ ज्यादा हो गया है. समय-समय पर मै इन त्यौहारों के प्रति गुफ्तगू करता रहता हूँ. कुछ दिनों से आने वाले मैसेज को पढ़ कर आज भी मै सुबह से ऐसी ही एक गुफ्तगू के बारे में सोच रहा था. इन मैसेज से पहले तो मैंने एक डेट सीट तैयार की फिर दूसरे मैसेज से गुफ्तगू तैयार की. उम्मीद है आपको मेरी यह गुफ्तगू पसंद आएगी. पहले मैसेज की पहली गुफ्तगू.
युवाओं के लिए फरवरी की डेट सीट आ गई है. कुछ तैयार हो गए है तो कुछ ने तैयारी शुरू कर दी है.
7 फरवरी- रोज डे
8 फरवरी-प्रपोज डे
9 फरवरी- चोकलेट डे
10 फरवरी- टेडी डे
11 फरवरी- प्रोमिश डे
12 फरवरी- हग डे
13 फरवरी- किस डे
14 फरवरी- वैलेंटाइन डे
अब जिन युवाओं के कंधो पर हम भारत जैसे संस्कारिक देश के बोझ होने का दावा करते है अगर वो ही आज यह डे मनाने लगे तो आप किस से आशा करोगे की भारत की सभ्यता जीवित रह सकती है. अब युवाओं के हाल पर यह गुफ्तगू भी पढ़ लो.
100 रूपए का नोट बहुत ज्यादा लगता है जब एक गरीब को देना हो,
लेकिन जब दो दोस्त होटल में बैठे हो तो यही बहुत कम लगता है.
3 मिनट भगवान् को याद करना बहुत मुश्किल काम लगता है,
लेकिन दो दोस्त बैठे हो तो 3 घंटे की फिल्म भी छोटी लगने लगती है.
पूरे दिन मेहनत के बाद जिम जाना नहीं थकाता,
लेकिन जब अपने ही माँ-बाप के पैर दबाने पड़ जाये तो हम तंग आ जाते है.
वैलेंटाइन डे पर गर्लफ्रैंड के लिए 200 रूपए के बूके ले जाना याद रहता है,
लेकिन मदर्स डे पर अपनी जननी को एक गुलाब का फूल भी नहीं दिया जाता.
इस मैसेज को फोरवर्ड करना बहुत मुश्किल काम लगता है,
लेकिन फिजूल जोक्स को फोरवर्ड करना हमारा फर्ज बन जाता है.
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कितना अजीब है ना
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तड़का मार के

तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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2 आपकी गुफ्तगू:
Gantantr diwas kee hardik badhayee!
wah.........bahut sare days hai
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