पुल के लिए बनाया पूल


हिसार की जनता आजकल पशोपेश में है. स्थिति यह है की जहा उनकी यातायात की समस्या पिछले चार वर्षो से खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी वही उनके जख्मो पर नमक छिड़कते हुए जिला प्रशासन के अनेको विभागों ने आपस में पूल बना लिया है. पूल इसलिए नहीं की यह समस्या खत्म कर दी जाये बल्कि यह पूल इसलिए किया गया है की इस समस्या को जस का तस रखा जाये. एक के बाद एक विभाग इस पूल से जुड़ते चले गए. आज आलम यह है की पूर्व में इस समस्या को लेकर धरना-प्रदर्शन करने वाली जनता भी इस पूल के आगे अपने को बेबस समझ रही है.
हुआ कुछ यूँ की आज से लगभग चार वर्ष पहले नगर के पुराने ओवर ब्रिज का एक हिस्सा कंडम घोषित किया गया था. उस समय यह कहा गया था की इस पुल पर से भारी वाहन नहीं गुजरेंगे. ऐसा ना हो इसके लिए प्रशासन ने बाकायदा पुल पर पोल गाड दिए थे. जब एक लम्बे अरसे के बाद भी यह पुल नहीं खोला गया तो जनता ने धरना-प्रदर्शन आरम्भ कर दिए. इसके लिए जब स्थानीय नेताओ द्वारा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से बात की जाती तो जवाब मिलता की हमारे द्वारा पुल को ठीक कर दिया गया है, इसको खोलने की मंजूरी रेलवे विभाग से मिलनी है.
उधर बार-बार जब रेलवे अधिकारियो से पुल के ठीक होने और इसे खोलने को लेकर बात की जाती तो एक ही जवाब मिलने लगा की यह मंजूरी बीकानेर से आनी है, हम क्या कर सकते है. इसकी शिकायत जब जिला प्रशासन के अधिकारियो पर जाने लगी तो आज उनका भी कुछ यही हाल है. जिला उपायुक्त का कहना है की पुल संबंधी अधिकारियो से बात चल रही है जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जायेगा. उधर ट्रक चालक रात बेरात पूल के दूसरे हिस्से से गुजरने लगे. बीते दिनों गलत दिशा से आ रहे एक ट्रक और एक कार की भिडंत में एक व्यक्ति की मौत हो गई.
इसकी एवज में पुलिस प्रशासन भी इस पूल में शामिल हो गया. पुलिस अधीक्षक ने सबसे पहले एक सही कदम उठाते हुए एक टीम गठित कर 24 घंटे गश्त करने के आदेश दिए. लेकिन कुछ ही समय के पश्चात जनता के जख्मो पर नमक छिड़कते हुए पुल के दोनों तरफ पोल लगा दिए गए. कुछ भी हो लेकिन जनता यह सब्र किये बैठी है की अधिकारियो और विभागों द्वारा किये गए पूल के आगे उनकी एक नहीं चलने वाली.

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2 आपकी गुफ्तगू:

kshama said...

Janta aawaaz to utha rahi hai! Yahi jaan ke achha laga...aksar to log,' ham kya kar sakte hain',kah,chup ho jate hain!

Anonymous said...

janta aawaaz uthati rahe lekin parshaasan yadi laaparwahi barte to samay aane par janta ke partinidhiyon se jawab maanga jaye tabhi jaakar parshasan v janta partinidhiyon ko hosh ayega kyonki partinidhi 5 saal mein 2 mahine elections ke samay he dikhte hain. yatha raja ththa parja

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